Karnataka 2nd PUC Hindi Poem Chapter 6 हो गई हैं पीर पर्वत सी Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 6.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Poem Chapter 6 Ho Gayi Hai Peer Parvat Si.
Karnataka 2nd PUC Hindi Poem Chapter 6 – हो गई हैं पीर पर्वत सी Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 6
- Chapter Name – हो गई हैं पीर पर्वत सी.
I एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1.) कवि दुष्यन्त कुमार के अनुसार जनता की पीड़ा किसके समान है ?
कवि दुष्यंत कुमार कहते हैं की जनता की पीड़ा पर्वत के समान है।
2.) पीर पर्वत हिमालय से क्या निकलनी चाहिए ?
पीर पर्वत हिमालय से गंगा निकलनी चाहिए।
3.) दीवार किसकी तरह हिलने लगी ?
पर्दों की तरह दीवार हिलने लगी।
4.) कवि के अनुसार क्या शर्त थी ?
बुनियाद हिलनी चाहिए कवि के अनुसार यह शर्त थी।
5.) पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार चलना चाहिए ?
हाथ लहराते हुए पीड़ित व्यक्ति को चलना चाहिए।
6.) कवि का क्या मकसद नहीं है ?
कवि का मकसद हंगामा खड़ा करना नहीं है।
7.) सोने में क्या जलनी चाहिए ?
सीने में आग जलनी चाहिए।
- II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) कवि दुष्यन्त कुमार के अनुसार समाज में क्या फैला हुआ है ?
कभी दुष्यंत कुमार यह कहते हैं कि आज समाज में बहुत सारा दुख, दर्द, पीड़ा भरी हुई है। इस दुख से समाज को बाहर निकलना चाहिए। दुखों को पर्वत की तरह पिघला देना चाहिए। समाज में हर समय बदलाव होने जरूरी है।
2.)” हो गई है पीर पर्वत सी गज़ल से पाठकों को क्या संदेश मिलता है ?
पीर पर्वत सी गजल यह प्रतिवादी विचारधारा की गजल है। कभी कहते हैं कि जब तक हमारे देश के दिन दलित का दुख मुश्किलें दूर नहीं होती तब तक हमारा देश आगे नहीं बढ़ सकता। हमारे देश में रहने वाले हर एक व्यक्ति को सम्मान से जीने का अधिकार है। कभी कहते हैं कि ऐसे नियम बनाने चाहिए ऐसी व्यवस्था हमारे देश में होनी चाहिए के वहां पर सभी लोग सुख चैन से जी सके।
3.) पीड़ित व्यक्ति की संवेदना को कवि दुष्यन्त कुमार ने किस प्रकार व्यक्त किया है ?
कवि दुष्यंत कुमार पीड़ित व्यक्तियों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। वह कहते है कि यहापर लोगोंको दुःख, दर्द बहुत बड़े हो गए हैं। मनुष्य मनुष्य के बीच बड़ी दिवारे बनी हुई है। इस दीवारों को खत्म करना होगा। हमे हंगामा खड़ा नही करना है। हमे समाज में बदलाव लाना है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1.)आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य गौरव इस पुस्तिका के पीर पर्वत – सी इस कविता से लिया गया है। इस कविता की रचना दुष्यंत कुमार है।
संदर्भ. इस गजल से कवि देशवासियों को परिवर्तन करने के लिए कहते हैं।
स्पष्टीकरण. कवि कहते है की अब लोगों में परिवर्तन आना जरूरी है। समाज में जो भेदभाव है, धर्म के नाम पर लोगों को फसाया जा रहा है। इस सबको मिटा देना चाहिए। अत्याचारों को विरोध करना चाहिए।
2.) सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य गौरव इस पुस्तिका के पीर पर्वत – सी इस कविता से लिया गया है। इस कविता की रचना दुष्यंत कुमार है।
संदर्भ. कवि कहते हैं कि सिर्फ हंगामा करने से कुछ नहीं होगा।
स्पष्टीकरण. देश में सभी लोगों के जीवन में दुःख भरा हुआ है। इन्हीं दुखों को काम करना है। मनुष्य के जीवन में जो दुखों का पहाड़ है उसे पिघलाना होगा। सभी को खुशी से जीने का अधिकार है। सिर्फ हंगामा खड़ा करने से कुछ नहीं होगा। दुखों को नष्ट करना है तो समस्याओं को जड़ से मिटाना होगा।
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