Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 1 रैदासबानी Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 1.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Madhyakalin Kavita Chapter 1 Raidasbani.
Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 1 – रैदासबानी Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 1
- Chapter Name – रैदासबानी.
- I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1.) रैदास किसकी रट लगाए हुए हैं ?
रैदास जी राम की रट लगाए हुए हैं।
2.) अंग–अंग में किसकी सुगंध समा गई है ?
अंग अंग में चंदन की सुगंध मतलब राम के भक्ति की सुगंध समा गई है।
3.)चकोर पक्षी किसे देखता रहता है ?
चंदा को चकोर पक्षी देखता रहता है।
4.) रैदास अपने आपको किसका सेवक मानते हैं ?
रैदास अपने आपको राम जी का सेवक मानते है।
5.) रैदास किस प्रकार जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते हैं ?
श्रम करके अपना जीवन का निर्वाह करने के लिए रैदास कहते है।
6.) रैदास के अनुसार कभी भी क्या निष्फल नहीं जाता ?
रैदास के अनुसार कभी भी नेक कमाई निष्फल नहीं जाती।
7.) रैदास किस राज्य की कामना करते हैं ?
जहा सबको अन्न मिले ऐसे राज्य की कामना रैदास करते हैं।
II )निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है ?
रविदास कहते हैं कि प्रभु जी अगर तुम बादल बन गए, तो हम मोर बन जाएंगे। प्रभु अगर तुम दीपक हो तो हम बाती है। अगर आप मोटी हो तो हम धागा है। आप स्वामी है और हम आपके दास है। इस तरह आपका और हमारा संबंध हो कभी न टूटने वाला है। ऐसे भगवान और भक्त के संबंधों को रैदास जी ने वर्णित किया है।
2.) परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास के क्या विचार हैं ?
परिश्रम के महत्व को बताते हुए रविदास जी कहते हैं कि हमें हमेशा ही प्रयत्न करते रहना चाहिए सही मार्ग से किए गए पर्यटन कभी भी निष्फल नहीं जाते। किसी पर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा ही निष्ठा से अपना कार्य करते रहना चाहिए इसे मैं हमारी भलाई है। ऐसे के गई कमाई कभी भी व्यर्थ नहीं जाती।
3.) रैदास ने किस प्रकार के राज्य का वर्णन किया है ?
रैदास जी ऐसे राज्य के कामना करते हैं जिसमें सभी को समान अधिकार मिले। सभी लोग अपना अपना काम करके खुश रहे। आनंदी रहे। वह कहते कि हमें ऐसा राज्य मिलना चाहिए जिसमें कोई छोटा ना हो ना कोई बड़ा हो। सभी को सामान तरीके से अधिकार प्राप्त होने चाहिए। सभी लोगों को अन्य मिलना चाहिए। संत रैदास जी ने राम राज्य की कल्पना की है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1.) अब कैसे छूटै राम रट लागी ।
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग अंग बास समानी ।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य गौरव इस पाठ्यपुस्तिका के रविदास बनी इस कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार संत रैदास जी है।
संदर्भ. संत रैदास जी ने श्री राम जी के चरणों में अपना आपको समर्पित किया है।
स्पष्टीकरण. संत रैदास जी कहते हैं कि, राम नाम का अब मुझे मोह लग गया है अब यह कभी भी नहीं छूटेगा। वह कहते हैं कि प्रभु आप चंदन के समान हो और हम पानी के जैसे। जिस तरह चंदन का सुवास सभी जगह फैलता है वैसे ही आपकी भक्ति का सुवास मेरे अंग अंग में समाया है।