Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 2 सूरदास के पद Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 2.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Madhyakalin Kavita Chapter 2 Raidasbani.
Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 2 – सूरदास के पद Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 2
- Chapter Name – सूरदास के पद.
I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1.) अपने आपको कौन भाग्यशालिनी समझ रही हैं ?
अपने आपको कौन भाग्यशालिनी गोपिकाएं समझ रही हैं।
2.) गोपिकाएँ किसे संबोधित करते हुए बातें कर रही हैं ?
उद्धव को गोपिकाएं संबोधित करते हुए बातें कर रही हैं।
3.) श्रीकृष्ण के कान में किस आकार का कुंडल है ?
मकराकृत आकार का कुंडल श्रीकृष्ण के कान में है।
4.) वाणी कहाँ रह गई ?
मुख में वाणी रह गई।
5.) कौन अंतर की बात जानने वाले हैं ?
अंतर की बात जानने वाले श्रीकृष्ण है।
6.) श्रीकृष्ण के अनुसार किसने सब माखन खा लिया ?
श्रीकृष्ण के अनुसार सखा मतलब दोस्त सब माखन खा गए।
7.) सूरदास किसकी शोभा पर बलि जाते हैं ?
कृष्ण को गोद में जिन्हों ने उठाया है ऐसे ग्वालिनी के शोभा पर सुरदास बलि जाते है।
II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) गोपिकाएँ अपने आपको क्यों भाग्यशालिनी समझती हैं ?
जिन आंखों से उद्धव ने श्री कृष्ण को देखा था वही आंखें गोपिकाओं को मिल गई है। गोपिया उन्हें उन्हीं आंखों से कान्हा को देख सकती है। श्याम का रूप निहार सकती है। इस वजह से गोपी अपने आपको भाग्यशाली समझता है।
2.) श्रीकृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन कीजिए ।
जमुना तट पर कृष्ण को जब गोपिका ने देखा तब वे उनके सौंदर्य को देखती रह गई। सर पर उन्हों ने मोर का मुकुट पहन रखा था। कान में मकराकृत कुण्डल थे, शरीर पर चंदन लगाया था, पिला वस्त्र उन्होंने पहना था। ऐसे कृष्ण को देख सबकी आंखें तृप्त हो गई, उनके मुख से आवाज निकालना बंद हो गई। उनके हृदय में कृष्ण के प्रति प्रेम भर आया।
3.) सूरदास ने माखन चोरी प्रसंग का किस प्रकार वर्णन किया है ?
जब कान्हा माखन खा रहे थे उसी वक्त गोपी कहानी उन्हें पकड़ लिया। और कहने वालों की तुम हमें हर वक्त सताते रहते हो तुम्हारे पीछे दौड़ते हो लेकिन आज तुम्हारा हमारे हाथ माखन खाते हुए लग गए हो। अब हम तुम्हें जाने नहीं देंगे हम तुम्हें भली भाती जानते हैं। तुम ही हमारे मटकी में से माखन चुराते हो और जब हम तुम्हें पूछने आते हैं तो कहते हो नहीं मैं तुम्हारा माखन नहीं खाया मेरे दोस्त ही है जो सब माखन खा जाते हैं। जब कान्हा यह सब बातें कहता है तो बहुत प्यारा लगता है और गोपियां कृष्ण को अपनी गोदी में उठा लेती है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1.) ऊधौ हम आजु भई बड़–भागी ।
जिन अँखियन तुम स्याम बिलोके, ते अँखियाँ हम लागीं ।
जैसे सुमन बास लै आवत, पवन मधुप अनुरागी ।
अति आनंद होत है तैसैं, अंग-अंग सुख रागी ।
प्रसंग . यह पंक्तियां साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तक के सूरदास के पद इस कविता से ली गई है। इसकी रचना कवि सूरदास जी ने की है।
संदर्भ . गोपिया कान्हा को देख रही है और उसे देखते वक्त गोपियों को बड़ा ही आनंद आ रहा है।
स्पष्टीकरण. गोपिया इस पद में अपने आप को भाग्यशाली समझ रही है क्योंकि उन्हें उद्धव की आंखें मिली है और इसी आंखों से वह श्री कृष्ण को देख सकती है। श्री कृष्ण को देखकर वह बड़ा आनंद महसूस कर रही है। उनके हृदय में कृष्ण के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। उन्हें अब दर्पण में भी देखना बहुत अच्छा लगता है। सूरदास जी कहते हैं कि ऐसे कान्हा अगर हमें भी मिल जाए तो हमारा भी दुख दूर हो जाएगा।