महावीर भगवान | Mahavir Bhagwan in Hindi | Hindi Essay | Mahavir Bhagwan Essay in Hindi.
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर थे l उनका जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार में वैशाली के कुंडलपुर में लिच्छवी वंश में हुआ। उनके पिता का नाम महाराज सिद्धार्थ और माता का नाम महारानी त्रिशला था l उनका बचपन का नाम वर्धामान था।
भगवान महावीर का आत्माधर्मा जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था।” दुनिया की सभी आत्मा एक सी है। हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हो” यही महावीर भगवान का संदेश था । यही जियो और जीने दो का सिद्धांत है।
वे अहिंसा सत्य असत्य और अपरिग्रह के संदेश कहलाते हैं। उनके अनुसार यह गुण जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने और अस्तित्व की धारा को पार कराने के लिए आवश्यक है। अहिंसा संयम और तप ही धर्म है। महावीर जी कहते हैं जो धर्मात्मा है जिसके मन में सदा धर्म रहता है उसे देवता भेज नमस्कार करते हैं। वे अपने वचनों में धर्म, सत्य ,असत्य ,अहिंसा ,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, शांति पर सबसे अधिक जोर दिया करते हैं।
24 तीर्थ कर में से जैन समाज मुख्य रूप से चार की पूजा करते हैं, महावीर ,पार्श्वनाथ, नेमिनाथ और ऋषभ नाथ। जैन धर्म सिखाता है कि आत्म ज्ञान का मार्ग अहिंसा के माध्यम से है। और जितना संभव हो सके जीवित चीजों का नुकसान कम करना चाहिए ।
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