‘आपदा’ का मतलब मनुष्य या कोई भी जानवर जीव जंतुओ पर आने वाले संकट को आपदा कहते हैं। प्राकृतिक आपदा का मतलब प्राकृतिक तथा नैसर्गिक तरीके से होने वाला नुकसान या संकट से मनुष्य जाति को होने वाली हानी को कहते हैं। सभी जातियों को जो हानि होती है,उसे प्राकृतिक आपदा कहते है। कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं है।भूकंप ,ज्वालामुखी,बाढ़ ,सूखा, वनों में आग लगणा, शीत लहर , समुद्र तूफान, तप लहर, सुनामी, बिजली गिरना, बादलों का फटना अन्य।
‘प्राकृतिक आपदा पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on Natural disaster in Natural disaster par Nibandh Hindi mein)
प्राकृतिक आपदा एक बहुत ही बड़ा संकट है, जिसे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। मतलब हम उसे रोक ही नहीं सकते। प्राकृतिक आपदा सभी के लिए खतरनाक होती है। वह पृथ्वी की प्राकृतिक में से ही उत्पन्न होती है। इससे सभी तरह का नुकसान होता है। आज पृथ्वी पर अनेक प्रकार की आपदाओं के कारण प्रतिवर्ष कई जाने जाती है ।उत्पन्न का भी नुकसान होता है।प्राकृतिक आपदा तबाही की अचानक होने वाली घटना है।
प्राकृतिक आपदा से पहले हमें कभी-कभी संदेश होता है। पर हम उस पर ज्यादा तौर पर ध्यान नहीं देते हैं। भूकंप होने से पहले जमीन हल्के से हिलने जैसी दिखती है।समुद्र में कोई आपदा आने से पहले समुद्र का पानी जो है, वह तेज होता दिखता है। बाढ़ में कई घर परिवार बहकर जाते हैं। वनों में आग लगने के कारण वृक्ष रोपण कम होता है। जीव जंतुओं के जान के लिए हानिकारक होती है। पानी की बारिश ज्यादा होने पर खेतों में फसल अच्छे से नहीं होती और कम होने पर फसल सूख सी जाती है।बिजली गिरने से कई नुकसान होता है। पर वहां पर कई साल तक कुछ भी नहीं उगता है।
जिस प्रकार से पूरी दुनिया में तेजी से विकास हो रहा है। उसके पीछे प्राकृतिक हानी एवं मानवीय हानी भी ज्यादा बढ़ती दिखती है। यह हमारे लिए एक चिंता का विषय है। हर रोज कुछ नहीं खबर सुनने को मिलती है।प्राकृतिक आपदाएं के कारण पुल बह जाते हैं। पेड़ गिरते हैं, घर टूट जाते हैं ,पर्यावरण ज्यादा तौर पर प्रदूषित हो रहा है। इसका कारण मानव के ज्यादा किए गए कुछ गलत काम भी हो सकते हैं।
जिसके कारण विश्व के सभी जीवों को भुगतना पड़ता है।जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की वजह से भी पर्यावरण को दबाव होने के कारण प्राकृतिक आपदा होती है। हमें आपदा से पहले ही आपदा के बारे में जानकारी को एकत्र करनी चाहिए। जिससे हम उस पर कुछ उपाय कर सकेंगे। लोगों को जागरूक करेंगे, हम आपदा के समय वृद्ध और आपदा में फसे लोगों को खान-पान या उनका इलाज करने के लिए मदद कर सकते हैं।
आपदा आने पर हम निर्भयता से उसका सामना करना चाहिए। दूसरों को भी प्रोत्साहन करना चाहिए। जहां पर बाढ़ नहीं आ सकती वहां की जगह हमें पहचान कर रखनी चाहिए क्योंकि बाढ़ के समय हम वहां जा सकते हैं। हमें अपना ध्यान रखना चाहिए और आपदा में फांसे अन्य जीव जंतु और लोगों की मदद करनी चाहिए। हमें अपना मानव जाति के हक्का जता कर उसक मान रखना चाहिए।अपने परिवार यानी,अपनी विश्व को बचाने के लिए हमें लोगोंको जागृत रहना चाहिए।