Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – 700 Words
Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस आंदोलन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इस आंदोलन की शुरुआत 22 जनवरी 2000 को हुई। आज 21वीं सदी में भी लड़कियों को जन्म होना पाप माना जाता है। आज भी लड़कों को वंश का दिया माना जाता है। ग्रामीण भाग में तो यही बात आज भी सभी मानते हैं। हमारे देश को स्वतंत्रता मिली। इस बात को 75 साल पूरे हो गए। लड़कियों को पढाने के लिए स्वतंत्रता के पहले से ही आंदोलन शुरू हो गए थे। लेकिन इतने साथ बीत गए आज भी लोग बेटियों को बोझ समझते हैं।
आज सभी महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हुआ है। लेकिन आज भी हमारे घर में जब बेटी पैदा होती है तो उसकी जगह पर हम बेटा चाहते हैं। जब हमारे घर में गाय पैदा होती है तो हमें खुशी होती है। लेकिन जब बेटी पैदा होती है तो हम अफसोस करते हैं। स्त्रियों को सभी ने देवताओं का दर्जा दिया है लेकिन बेटी किसी को भी नहीं चाहिए।
इसी पार्श्व भूमि को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस आंदोलन की शुरुआत की। इसके अंतर्गत उन्होंने बालिकाओं का अस्तित्व और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की। उन्हें शिक्षा मिले इसके लिए उन्होंने प्रयत्न किया। इसके साथ-साथ हमारे पाठ्य पुस्तक के माध्यम से बालिकाओं के साथ जो गलत व्यवहार किया जाता है उसके बारे में उन्हें अवगत किया। बालिकाओं को और विशेष रूप से महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए उन्होंने प्रयत्न किया। बेटियां बेटों से काम नहीं है वह भी किसी भी क्षेत्र में अपना अस्तित्व दिखा सकती है। बेटों के बराबरी वह काम कर सकती है। यह बात इस आंदोलन की वजह माध्यम से हम सबको बताई।
आज भी बेटों की चाहत में कई लड़कियों की हत्या मां के गर्भ में ही की जाती है। इस वजह से लड़की और लड़कों की संख्या में बहुत अंतर निर्माण हो रहा है। 1000 लड़कों के बराबर लड़कियों की संख्या मात्र 915 है। अगर इसी तरह से लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार होता रहा उन्हें गर्भ में ही हम मार देंगे तो लड़कियों की संख्या धीरे-धीरे और कम होते जाएगी। स्वतंत्रता मिलने के इतने साल बाद भी महिलाओं को उनके अधिकार नहीं मिल रहे। आज महिलाओं ने क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है फिर भी आज भी सभी जगह पर पहली प्राथमिकता पुरुषों को ही दी जाती है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस योजना के अंतर्गत सरकार ने बेटियों को कई लाभ सुनिश्चित किए हुए हैं। जब बेटी का जन्म होता है तभी से लेकर उसे यह लाभ मिलते हैं।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस योजना की शुरुआत हरियाणा से की गई क्योंकि हरियाणा राज्य में बेटी और बेटे में भेदभाव करना यह आम बात मानी जाती है। स्त्रियों के लिए वहां अनेक कुरीतियों का प्रचलन आज भी है। कई बार इन गलत कुरीतियों के कारण बेटियां शिक्षा नहीं ले पाती। जबकि उन्हें शिक्षा का अधिकार मिल गया है। कई जगहों पर तो स्त्रियों का घर से निकलना आज भी गलत माना जाता है। उसे संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता उसे शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता। कई जगहों पर तो बाल विवाह आज भी किए जाते हैं। लोग कहते हैं की बेटियों को पढ़कर हम क्या करेंगे इसका हमें तो कोई फायदा नहीं है। इससे अच्छा है उसकी शादी करवा दो और उसे उसके घर भेज दो। लेकिन यह कोई नहीं समझता की बेटी एक नहीं दो-दो घर रोशन करती है। वह अकेली नहीं पड़ती जब वह पड़ती है तो उसका पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस आंदोलन की वजह से कई लोगों की सोच बदली है। आज देश की कई बेटियां अपने मां-बाप का नाम रोशन कर रही है। अपने ऊपर हो रहे अन्याय का विरोध कर रही है। अपने आसपास चल रहे कुरीतियों का विरोध कर रही है। हमें यह बात समझनी चाहिए की बेटी अभी काम नहीं होती। इस दुनिया को चलाने के लिए जितनी जरूरत पुरुषों की है उतनी ही जरूरत स्त्रियों को भी है। भगवान ने दोनों को ही समान बनाया है। दोनों को ही उनकी जिम्मेदारी या दी है। अगर इन दोनों में से एक घटक भी नष्ट हो गया तो यह दुनिया नष्ट हो जाएगी।
इसलिए हमें भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस आंदोलन में शामिल होना चाहिए। अगर हमारे घर के आसपास ऐसी कोई परिवार है जो बेटियों को नहीं पढ़ा रहा है तो हमें उनके घर जाकर उनके विचारों में बदलाव लाना चाहिए।