MP Board Class 7 Social Science Chapter 18 Adrata ebong Barsha Solution
Madhya Pradesh (MP) State Board Class 7 Social Science Chapter 18 Adrata ebong Barsha (आद्रता एव वर्षा) full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Social Science teacher.
Chapter 18आद्रता एव वर्षा
अभ्यास प्रश्न
1.) निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(1) ओला होता है-
(अ) द्रव
(ब) ठोस
(स) लचीला
(द) गैसीय
उत्तर – (ब) ठोस
(2) पश्चिमोत्तर भारत में चक्रवातीय वर्षा किस ऋतु में होती है-
(अ) ग्रीष्म ऋतु
(ब) शीत ऋतु
(स) बसन्त ऋतु
(द) वर्षा ऋतु
उत्तर –
2.) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) जल के वाष्प में बदलने की क्रिया को ………… कहते हैं।
जल के वाष्प में बदलने की क्रिया को वाष्पीकरण है।
(2) जलवाष्प के पुनः द्रव या ठोस रूप में बदलने को ………… कहते हैं।
जलवाष्प के पुनर द्रव या ठोस रूप में बदलने को संघनन कहते हैं।
(3) वर्षा मापने वाले यंत्र को ………… कहते हैं।
वर्षा मापने वाले यंत्र को वर्षा मापक कहते हैं।
3.) लघु उत्तरीय प्रश्न-
(1) जलवाष्प किसे कहते हैं?
जल के बहुत छोटे-छोटे कान जब गैस का रूप धारण करके वायुमंडल में फैल जाते हैं तो उन गैसीय जल कणों को ही जलवाष्प कहते हैं।
(2) वाष्पीकरण क्यों घटता-बढ़ता है?
तापमान के बढ़ने और घटना से वाष्पीकरण घटता और बढ़ता रहता है।
(3) बादल कैसे बनते हैं?
वाष्पयुक्त गर्म वायु जब हल्की होकर ऊपर की ओर उठती है और फैल कर ठंडी हो जाती है तो इससे बादल बनते हैं।
(4) हिमपात किसे कहते हैं?
आकाश में अधिक ऊंचाई पर पहुंचने पर वाष्प बहुत ज्यादा ठंडी होने से हम कानों में बदल जाती है। यही हिम कण धरातल पर हम या बर्फ के रूप में बरसते हैं इस हिमतपत कहा जाता है।
(5) चक्रवातीय वर्षा किसे कहते हैं?
पृथ्वी की गति के कारण हवाएं गोलीय में घूमती हुई चक्करदार होती है ऐसी हवाओं को चक्रवात कहते हैं।
4.) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
(1) संघनन क्या है? इसके विभिन्न रूपों को लिखिए।
संघनन के विभिन्न रूप –
ओस –
वाष्प या आर्द्र वायु ठंडी होने के कारण उसकी बूंद में बदल जाती है। जब रात्रि के समय में धरती ठंड हो जाती है तब हवा भी ठंड हो जाती है और वायु में रहने वाली वाष्प को ठंडी होने पर जल कणों के रूप में धरातल पर बनती है। पेड़ पौधों के पत्तों पर गिरने वाले यही जल कण एकत्र होकर ओस की बूंदे बनते हैं।
पाला –
वायु का तापमान जब 0⁰ और सेल्सियस से कम होने पर वाष्प जल कणों में न बदलकर हिम कणों में बदल जाती है। यही हिम कण पत्तों पर जम जाते हैं जिस पाला कहते हैं।
कुहरा –
आद्र वायु का तापमान घटने पर जल कण हवा में फैले धूल कणों के चारों ओर एकत्र हो जाते हैं और हवा में उड़ते हैं। यह धूल के बादल जैसे दिखते हैं इन्हें कुहरा कहते हैं।
धुन्ध –
धुन्ध हल्के धुएं जैसे होते हैं। धुन्ध कुहरे का हल्का रूप है।
बादल या में –
वाष्प युक्त गर्म वायु जब हल्की होकर ऊपर की ओर उठती है और फैल कर ठंडी होती है तो इससे बादल बनते हैं। जल कणों के बड़े-बड़े समूह बादल या मेघ कहलाते हैं।
वर्षा –
खुली स्वच्छ हवा में वायुमंडलीय जलवायु का लगातार संघनन होने पर संघनित कणों के आकार में वृद्धि होती है। यह काण भारी हो जाते हैं पृथ्वी के धरातल पर गिरने लगते हैं जब यह बूंद का रूप प्राप्त करके धरती पर गिरते हैं तो उसे वर्षा कहा जाता है।
हिमपात –
आकाश में अधिक ऊंचाई पर पहुंचने पर वाष्प ज्यादा ठंडी होने से ही कणों में बदल जाती है। यही हिम कण धरातल पर हिम या बर्फ के रूप में बरसते हैं तो इसे ही में वर्षा कहते हैं।
ओले –
ऊंचे आकाश में तैरते हिम कण जब आपस में जुड़कर ठोस आकार लेकर धरती पर गिरते हैं तो हम उन्हे ओला कहते है।
(2) वर्षा कितने प्रकार की होती है? सचित्र वर्णन कीजिए।
पृथ्वी पर वर्ष तीन प्रकार की होती है संवहनीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा और चक्रवातीय वर्षा
संवहनीय वर्षा –
गर्म प्रदेशों में और समुद्र तटीय भागों में समुद्र व अन्य जलाशयों से तेज गर्मी के कारण पानी भाप बनता है। यही वाष्प गर्म हवाओं के साथ काफी ऊपर पहुंचता है वह संघनित होकर बूंद के रूप में बरसता है। इस क्रिया को संवहन कहते हैं इसीलिए ऐसी वर्षा को संवहनीय वर्षा कहा जाता है।
पर्वतीय वर्षा –
समुद्र से स्थल की ओर चलने वाली वाष्पयुक्त हवाओं की दिशा में जब पर्वत आ जाते हैं तो हवाई पर्वतों के सहारे ऊपर उठने लगती है। जब यह हवाएं अधिक ऊंचाई पर पहुंचती है तब वह ठंडी होकर पर्वतों पर वर्षा करती है। इसे ही पर्वतीय वर्षा कहते हैं।
चक्रवर्तीय वर्षा –
गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने पर गर्म हवाएं ऊपर की ओर उठती है और ठंडी हवाएं चारों ओर से उसे कम दबाव के क्षेत्र की ओर दौड़ती है। पृथ्वी की गति के कारण यह हवाएं गोलाई में घूमती हुई चक्करदार होती है ऐसी हवाओं को चक्रवात कहते हैं। चक्रवात में मध्य की हवाई ऊपर उठकर ठंडी होने पर वर्षा करती है। इसे चक्रवर्तीय वर्षा कहते हैं।
(3) वर्षा मापक का चित्र बनाइए।
(4) आर्द्रता क्या है? आर्द्रता के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
संघनन की क्रिया द्वारा वायुमंडल में उपस्थित आद्रता निम्नलिखित रूपों में बदल जाती है।
ओस –
वाष्प या आर्द्र वायु ठंडी होने के कारण ओस की बूंदों में बदल जाती हैं। जब रात्रि का समय होता है तो धरती ठंडी हो जाती है तब वायु भी ठंडी होती है और वायु में रहने वाली वाष्प भी ठंडी होने पर जल कणों के रूप में धरती पर बनती है। पेड़ पौधों के पत्तों पर गिरने वाले यही जलकर एकत्र होकर उसकी बंदे बनाते हैं।
पाला –
वायु का तापमान 0⁰ सेल्सियस से कम होने पर वाष्प जल कणों में न बदलकर हिम कणों में बदल जाती हैं। ये जब पत्तो पर जमते है तो इसे पाला कहा जाता है।
कुहरा –
आर्द्र वायु का तापमान घटने पर जल कण हवा में फैले धूल कणों के चारों ओर एकत्र हो जाते है। इन्हें कुहरा कहा जाता हैं। ठंडी और गर्म हवा एकत्रित मिल जाने से कुहरा बन जाता हैं।
धुन्ध –
कुहरे का हल्का रूप धुन्ध होता हैं। धुन्ध में जल कण धूल कणों पर जमा नहीं होते बल्कि हवा में तैरते रहते है।
बादल या मेघ –
वाष्प युक्त गर्म हवा जब हल्की होकर ऊपर की ओर उठती हैं और फैल कर ठंडी हो जाती हैं तो इससे बादल बनते हैं। जल कणों के बड़े समूह को बादल कहते हैं। जब जल कणों का घनत्व काम ही जाता हैं तब बादल सफेद दिखते है और जब इनका घनत्व बढ़ता है तब यह काले दिखने लगते हैं।
वर्षा –
जब स्वच्छ हवा में जलवायु का संघनन होता है तब संघनित कणों के आकार में वृद्धि होती हैं। जब ये भारी हो जाते है तब पृथ्वी पर बूंदों के रुप में गिरने लगते हैं।
हिमपात –
वाष्प जब आकाश में ऊंचाई पर जाती हैं तब वह ज्यादा ठंडी होने से हिम कणों में बदल जाती हैं। यही कण हिम या बर्फ के रूप में बरसते हैं इन्हें हिमपात कहते हैं।
ओले –
ऊंचाई पर आकाश में तैरते कण जब आपस में जुड़ जाते हैं तब वह ठोस आकार लेते है। जब यह ठोस आकार लेकर धरती पर गिरते हैं तब इन्हें ओला कहते हैं।
अतिरिक्त प्रश्न –
1.) जलवाष्प –
जल के बहुत छोटे-छोटे कान जब गैस का रूप धारण कर वायुमंडल में फैलते हैं तो उन गैसीय जल कणों को ही जलवाष्प कहते हैं। वायुमंडल को जल वाष्पों की प्राप्ति समुद्र, झील, तालाब, नदियों आदि से होती है।
2.) वाष्पीकरण –
जल के वाष्प में बदलने की क्रिया ही वशीकरण है। सूर्य की ऊर्जा या गर्मी के कारण जल से वाष्पीकरण होता है। जिस तरह से तापमान घटता या बढ़ता है उसे वजह से वाष्पीकरण भी घटना या बढ़ता रहता है। जब वायु का वेग बढ़ जाता है तब वाष्पीकरण तेज हो जाता है।
3.) संघनन –
जल भाजपा के पुनः द्रव या ठोस रूप में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। वाष्प से बादल बनकर जल और हिम की वर्षा होती है।
4.) पर्वतीय वर्षा –
समुद्र से स्थल की ओर चलने वाली वाष्प युक्त हवाओं की दिशा में जब पर्वत आ जाते हैं तो हवाएं पर्वतों के सहारे ऊपर उठने लगती है। अधिक ऊंचाई पर पहुंचने पर हवाएं ठंडी होकर पर्वतों पर वर्षा करती है। इसे ही पर्वतीय वर्षा कहा जाता है। मानसूनी और पछुआ हवाओं के क्षेत्र में ऐसी वर्षा बहुत मात्रा में होती है।
5.) वृष्टिछाया प्रदेश –
पर्वत के वर्षा वाले भाग के विपरीत भाग में वर्षा या तो होती नहीं या फिर कम होती है। ऐसे पर्वत के भाग को वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है। भारत में पश्चिमी घाट के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में पर्वतीय वर्षा खूब होती है लेकिन इसके पूर्वी भाग में वर्षा कम होती है इस वजह से इस प्रदेश को वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है।
प्र.) 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति करो।
1.) हमारे चारों ओर हवा या ………… है।
हमारे चारों ओर हवा या वायु है।
2.) सूर्य की ऊर्जा या गर्मी के कारण जल से ……………… होता है।
सूर्य की ऊर्जा या गर्मी के कारण जल से वाष्पीकरण होता है।
3.) गर्म प्रदेशों में और समुद्र तटीय भागों में समुद्री व अन्य जलाशयों से तेज ………… के कारण पानी भाप बनता है।
गर्म प्रदेशों में और समुद्र तटीय भागों में समुद्री व अन्य जलाशयों से तेज गर्मी के कारण पानी भाप बनता है।
4.) पर्वत के जिस भाग में वर्षा या तो होती नहीं क्या काम होती है ऐसे भाग को …. ………… प्रदेश कहते हैं।
पर्वत के जिस भाग में वर्षा या तो होती नहीं क्या काम होती है ऐसे भाग को वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं।
5.) पर्वतीय वर्षा अधिकतर मानसूनी और …. . . …. … हवाओं के क्षेत्रों में होती हैं।
पर्वतीय वर्षा अधिकतर मानसूनी और पछुआ हवाओं के क्षेत्रों में होती हैं।
प्र.) 3 एक-एक वाक्य में उत्तर लिखो।
1.) वायुमंडल के आर्द्रता किसे कहते हैं?
वायुमंडल में पाए जाने वाले नमी या जलवाष्प ही वायुमंडल की आर्द्रता कहलाती है।
2.) वायुमंडल में आर्द्रता की मात्रा घटती या बढ़ती क्यों रहती हैं?
धरातल पर वाष्पीकरण होने से वायुमंडल में आर्द्रता पहुंचती है और उसकी मात्रा घटती और बढ़ती रहती है।
3.) जल कण कौन सी चीजों पर गिरकर उसकी बंदे बनते हैं?
जल कण पेड़ पौधों के पत्तों पर गिरकर एकत्र होकर ओस की बूंदे बनते हैं।
4.) पृथ्वी पर कितने प्रकार की और कौन से प्रकार की वर्षा होती है?
पृथ्वी पर तीन प्रकार की वर्षा होती है।
1.) संवहनीय वर्षा
2.) पर्वतीय वर्षा
3.) चक्रवातीय वर्षा
5.) शीत ऋतु में पश्चिम उत्तर भारत में किस प्रकार की वर्षा होती है?
शीतल तुम्हें पश्चिम उत्तर भारत में चक्रवातीय वर्षा होती है।
6.) वर्षा मापक किसे कहा जाता है?
किसी स्थान पर एक निश्चित समय में हुई वर्षा की मात्रा को नापने के लिए जी यंत्र का प्रयोग करते हैं उसे वर्षा मापी या वर्षा मापक कहते हैं।
7.) कौन से क्षेत्र में पर्वतीय वर्षा खूब होती है?
भारत में पश्चिमी घाट के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में पर्वतीय वर्षा खूब होती है।
प्र.) 4 जोड़ियां लगाओ।
1.) संवहनीय वर्षा – वर्षा नापने का यंत्र
2.) पर्वतीय वर्षा – जल के वाष्प में बदलने की क्रिया
3.) चक्रवर्तीय वर्षा – गर्म प्रदेश और समुद्रतटीय भाग
4.) वर्षमापी – पश्चिम तटीय क्षेत्र
5.) वाष्पीकरण – पश्चिमोत्तर भारत
उत्तर –
1.) संवहनीय वर्षा – गर्म प्रदेश और समुद्रतटीय भाग
2.) पर्वतीय वर्षा – पश्चिम तटीय क्षेत्र
3.) चक्रवर्तीय वर्षा – पश्चिमोत्तर भारत
4.) वर्षमापी – वर्षा नापने का यंत्र
5.) वाष्पीकरण – जल के वाष्प में बदलने की क्रिया
प्र.) 5 दी गई विधाने सही है या गलत लिखो।
1.) वायुमंडल जलवाष्प कहलाती हैं।
गलत
2.) तापमान के बढ़ने घटने से वाष्पीकरण बढ़ता घटता है।
सही
3.) तेज हवा में कपड़े जल्दी नहीं सूखते।
गलत
4.) पाला पड़ने से फसलों का नुकसान हो जाता है।
सही
5.) धुन्ध कुहरे का हल्का रूप है।
सही
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