Essay on Literature is the Mirror of Society in Hindi for Class 6, 7, 8, 9, & 10 Class Board Students. This Essay on Literature is the Mirror of Society in Hindi also named as साहित्य समाज का दर्पण है पर निबंध. This essay will help You for exams.
Essay in Hindi – Literature is the Mirror of Society for Class 6 – 10 Class Students
साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। क्योंकि समाज की गतिविधियों से साहित्य प्रभावित होता हैl एक साहित्यकार जो कुछ अपने साहित्य में लिखता है, वह समाज का ही एक प्रतिबिंब होता है। साहित्य और समाज का एक अटूट संबंध है। साहित्य के मदद से एक साहित्यकार अपनी भावनाओं को समlज के सामने लाता है। साहित्यकार समाज में रहता है समाज में होने वाली सारी घटनाओं का उस पर परिणाम होता है । यही सारी सामाजिक घटना कहीं ना कहीं उसके साहित्य पर प्रभाव डालती है। यह सारी घटनाएं राग , प्रेम ,उत्साह आदि भावनाओं से संबंधित होती है। यही सारी भावनाएं एक साहित्यकार् की साहित्य में झलकती है तथा उसके साहित्य में जान बनती है। साहित्य समाज का दर्पण है और इस दर्पण में समाज के हर छवि चाहे वह अच्छी हो या बुरी हो वह दिखाई देती है। साहित्यकार ने अपने जीवन में जो कुछ अनुभव किया है वह उसे साहित्य में पिरोता है। साहित्य यह युगो युगो से चली आ रही साहित्यकारों के अनुभव की प्रतिलिपि होता है। यह अच्छे या बुरे अनुभव साहित्यकार अपने साहित्य द्वारा व्यक्त करते हैं। अपने
भावनाओं को बहुत साहित्य द्वारा प्रकट करते हैं। साहित्य में मानव जाति का हित निहित होता है l साहित्य यह साहित्यकार के भाव तथा विचारों को समाज में प्रकट करने का एक उत्तीर्ण मार्ग है। साहित्यकार अपने शब्द द्वारा अपने भाव व्यक्त करते हैं।
साहित्यकार समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। साहित्य समाज का मुख् होता है। समाज में होने वाली सारी घटनाएं हमें साहित्य से पता चलती है चाहे वह प्राचीन काल की क्यों ना होl समाज में चल रही घटनाओं तथा रूढ परंपराओं को समझने में साहित्य हमारी मदद करते हैं। साहित्य से समाज की भावना प्रकट होती है तथा हम समाज के दिल तक सिर्फ और सिर्फ साहित्य के द्वारा पहुंच सकते हैं। यदि हमें समाज को समझना है तो हमें साहित्य को समझना जरूरी है। साहित्य के हर शब्द यह समाज का दर्पण और प्रतिबिंब होते हैं।
साहित्यकार यह समाज का हितकारी होता है वह अपने साहित्य में हमेशा समाज का हित हो ऐसी चीजें लिखता है। कई साहित्यकारों ने अपने शब्दों से समाज बदल डाला। समाज में नई चेतना तथा प्रेरणा उन्होंने निर्माण की। अंग्रेजों के काल में साहित्यकारों ने समाज में चल रही अंग्रेजों की दादागिरी के बारे में वर्णन किया। अंग्रेजों के विरुद्ध समाज जागृति में साहित्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है। रविंद्र नाथ टैगोर ,मुंशी प्रेमचंद, बंकिम चंद्र चटर्जी तथा आदि साहित्यकारों ने समाज को प्रेरित किया है। प्राचीन काल से समाज में जागृति लाने में साहित्य का बहुत बड़ा योगदान है। साहित्य हमारे विचारों तथा जीवन पर गहरा प्रभाव डालतl हैं। भारतीय आंदोलन के समय साहित्यकारों ने समाज का वर्णन किया जिससे समाज में चल रहे पाखंड का पता सर्व साधारण नागरिकों को चला।
साहित्य यह एक प्रवाह है जो सदियों से चला आ रहा है। समाज के परिस्थितियों के अनुसार कई बार साहित्य में भी परिवर्तन हुए हैं। साहित्य में शराब का दो तथा विजय की शाश्वत दोनों होती है। साहित्य यह समाज में चल रही घटनाओं का ही दूसरा रूप है। साहित्य और समाज को अलग करना यह संभव है। साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक है।
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