कविवीर बिहारी | Kavivar Bihari in Hindi | Hindi Essay | Kavivar Bihari Essay in Hindi.
कविवीर बिहारीजी का पूरा नाम बिहारीलाल चौबे था। कवि बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में 1595 में हुआ था। कवि बिहारी लाल जी के पिता का नाम केशवराय था। बिहारी जी की सतसई रचना बहुत प्रसिद्ध है। यह रचना मूलककाव्य है। इस रचना में 719 दोहे संकलित किए गए हैं। सतसई रचना के लिए बिहारी जी ने ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। कवि बिहारीजी की कविता का मुख्य विषय श्रृंगार होता था। इस विषय के साथ-साथ भक्ति, भावना, प्रकृति चित्रण और बहुज्ञता भी होती थी। और इसके साथ-साथ शांत, हास्य, करून आदि रस भी दिखते थे। कवि बिहारीजी ने अपने जीवन काल में सिर्फ दो ही छंद अपनाए थे दोहा और सौरठा था।
कवि बिहारीजी की जन्म भूमि भले ही ग्वालियर हो पर उनकी कर्मभूमि जयपुर थी। कवि बिहारी एक प्रसिद्ध कवि थे जिनका नाम हिंदी साहित्य के रीतिकाल के कवियों में महत्वपूर्ण है। कवि बिहारीलालजी जाति से माथुर चौबे थे। बिहारी जी के एक दोहे से उनके बाल्यकाल, व योवनकाल का मान्य प्रमाण मिलता है। कवि बिहारीलालजी के पुस्तके थे जिनमें सबसे प्रसिद्ध बिहारी सतसई, बिहारी के दोहे और बिहारी लाल के पच्चीस दोहे थे। कवि बिहारीजी के प्रसिद्ध काव्य है जैसे मार्ट सरोवर सौरभ ले, नील पर कटि तट और बोरसरी मधुपान छक्यो है यह आजु बसंत समौ आदि।
कवि बिहारी लाल जी अपने जीवन काल में काव्य रचनाओं से हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान दिया है। कवि बिहारीलालजी ने रचित काव्य ग्रंथ सतसई ने उन्हें साहित्यम क्षेत्र में अमर कर दिया है। कवि बिहारी लाल जी को महाकवि बिहारीलाल के नाम से भी संबोधित किया जाता है। उनकी मृत्यु 1663 ईसवी के लगभग मानी जाती है। और उनके जन्म और मृत्यु के साल के हिसाब से उनका जीवनकाल 70 वर्ष है।
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