MP Board Class 9 Hindi Navneet Chapter प्रेरणा दीप Solution
Madhya Pradesh State Board Class 9 Hindi Navneet Chapter प्रेरणा दीप full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
बोध प्रश्न
1.) रामायण के रचयिता कौन हैं ?
महर्षि वाल्मीकि जी रामायण के रचयिता हैं।
2.) नदी के तट पर किस पक्षी का जोड़ा था?
क्रौञ्ज पक्षी का जोड़ा नदी के तट पर था।
3.) वाल्मीकि के शिष्य का नाम क्या था? बताइए ।
वाल्मीकि के शिष्य का नाम भारद्वाज था।
4.) राम के वंश का नाम लिखिए ।
सूर्यवंशी इक्ष्वाकु यह नाम राम के वंश का था।
5.) कौरव सेना के सेनानायक का नाम क्या था?
भीष्म पितामह कौरव सेना की सेनानायक थे।
6.)युधिष्ठिर कौरव की सेना में क्यों गए थे?
गौरव सेवा में भीष्म पितामह और पांडवों के अन्य गुरु भी थे। उनके पैर छूने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए युधिष्ठिर कौरव सेवा में गए थे।
7.) वाल्मीकि ने निषाद को क्या और क्यों अभिशाप दिया ?
निषाद ने कामासक्त क्रौञ्ज पक्षी के जोड़े में से नर जोड़े का वध किया था इस वजह से वाल्मीकि ने निषाद को अभिशाप दिया दिया के तू आने वाले समय में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकेगा।
8.) वाल्मीकि को ध्यान के समय ब्रह्मा जी ने दर्शन देकर क्या कहा ?
जब वाल्मीकि ध्यान लगाकर बैठे थे तब ब्रह्मा जी ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मेरी जो इच्छा वाणी है वह आपके मुंह से निकली है। वह श्लोक के रूप में निकली है आप ही रामचंद्र के संपूर्ण चरित्र का वर्णन कीजिए। यह कथा नारद जी संक्षेप के रूप में सुन चुके हैं। अब इस कथा को आप ही आगे बढ़े। उनके चरित्र में जो भी होगा वह आपको आपकी आंखों के सामने दिखाई देगा। राम लक्ष्मण और सीता इनका वृतांत आप ही लिखिए। आप जो लिखेंगे वही सत्य होगा। और यह रामायण संपूर्ण पृथ्वी पर अमर हो जाएगी।
9.) श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट स्वरूप में क्या दिखलाया ?
श्री कृष्ण ने अपना विराट स्वरूप अर्जुन को दिखाया। यह स्वरूप देखकर अर्जुन कांप उठे। उन्होंने यह देखा कि एक बहुत बड़ी अग्नि की ज्वाला निर्मित हो रही है इस जवाहरलाल में सभी दिशाओं से कीड़े मकोड़े आते हैं और उसे ज्वाला में जाकर बस हो जाते हैं। इस कीड़े मकोड़े की तरह ही सभी कौरव भी कृष्ण के मुख में समा रहे हैं। इसे देखकर अर्जुन ने मोह त्याग दिया और कृष्ण को वंदन किया।
10.) माता सत्यवती से भीष्म ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
माता सत्यवानी ने भीष्म से यह प्रतिज्ञा ली कि जो भी हो वह राजा के ही पक्ष में रहेंगे और उनकी तरफ से ही युद्ध करेंगे।
11.) तमसा नदी की प्राकृतिक सुन्दरता का वर्णन कीजिए।
बसंत ऋतु का आगमन होने के कारण सभी जगह सुंदर दिखाई दे रही थी। तमाशा नदी का सौंदर्य भी बहुत मनोहरी था। उसे नदी का पानी स्वच्छ था। नदी के किनारे पर विविध पक्षी बैठे थे। नदी का जल स्वच्छ होने के कारण उसका तल दिखाई दे रहा था और नदी में जो मछलियां तैर रही थी वह भी दिखाई दे रही थी। पक्षी नदी के जल में चोंच डुबोकर उसका पानी पी रहे थे। सभी इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।
12.) नारद जी की वाणी याद आने पर वाल्मीकि ने नारद जी से क्या पूछा तथा नारद जी ने क्या उत्तर दिया? लिखिए।
वाल्मीकि जी ने निषाद को श्राप दे दिया था और इसी श्राप के कारण वाल्मीकि जी चिंता में द। इस समय नारद जी ने जो कहा था वह उन्हें याद आ गया। उन्होंने नारद जी से मिलकर यह पूछा कि मुझे ऐसे किसी पुरुष का नाम बताइए जो धर्मात्मा हो जो अपने सत्य पर अड़ा रहे अगर किसी को वचन देता है तो वह वचन पूर्ण करने के लिए अपने जान की बाजी लगा दे। सबका ही चाहे विद्वान हो धैर्यवान हो गुणवान हो बलवान हो और उससे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई ना हो। यह सब सुनकर नारद जी ने वाल्मीकि जी से कहा कि मैं ऐसे एक पुरुष को जानता हूं। राजा दशरथ के पुत्र राम यह इक्ष्वाकु वंश के है। यह जब क्रोध करते हैं तब सभी देवता और दानव भी डर जाते हैं।
13.) श्रीकृष्ण का कर्मयोग संक्षिप्त में समझाइए।
रणभूमि में जब अर्जुन अपने ही रिश्तेदारों को अपने सामने देखा है तब उसके मन में मोह उत्पन्न हो जाता है। वह अपना गांडीव धनुष रख देता है और श्री कृष्ण से कहता है कि यह सब मेरे अपने हैं मैं इसे युद्ध किस तरह से कर सकता हूं तब श्री कृष्ण अर्जुन को समझते हैं वह अपना विराट रूप अर्जुन को दिखाते हैं। उसको उसके मुंह से वंचित कर देते हैं। श्री कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का उपदेश देते हैं। और कहते हैं की आत्मा अमर है। इसलिए तुम व्यर्थ ही चिंता कर रहे हो तुम सिर्फ अपना कम करो।
14.) कुरुक्षेत्र में खड़ी सेनाओं का वर्णन कीजिए।
रणभूमि पर अर्जुन मतलब पांडव और कौरवों की सेवा खड़ी थी अर्जुन की तरफ से सात अक्षौहिणी सी थी और कौरवों के तरफ से ग्यारह अक्षौहिणी सेना तैयार थी। इन्होंने अपने-अपने व्यूह की रचना की हुई थी। कौरव सेना की सेनापति भीष्म पितामह थे और पांडवों के तरफ से अर्जुन आगे था। अर्जुन के रथ का साहित्य स्वयं कृष्ण कर रहा था। भीष्म पितामह के रथ के साथ दुशासन का रथ खड़ा था।