MP Board Class 9 Hindi Navneet Chapter कल्याण की राह Solution
Madhya Pradesh State Board Class 9 Hindi Navneet Chapter कल्याण की राह full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
बोध प्रश्न-
(क) अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
(1) कवि ‘मन’ में किस बात के लिए इंगित करते हैं ?
जैसे सूरज हमेशा गतिशील रहता है वैसे ही हमारा विश्वास भी हमेशा गतिशील बना रहे कवि ‘मन’ में बात के लिए इंगित करते हैं।
(2) कवि किस चक्र को नहीं रुकने देने की बात करता है ?
विश्वास और प्रगति का जो चक्र है उसे चक्र को रोकना नहीं है ऐसी बात कवि करते हैं।
(3) तुलसीदास एवं गिरिजाकुमार माथुर की दो अन्य कविताओं के नाम लिखिए।
तुलसीदास की कविताएं – कृष्ण गीतावली, दोहावली
गिरिजा कुमार माथुर की कविताएं- बुद्ध, भीगा दिन
(4) ‘तात राम नर नहीं भूपाला कथन किसने किससे कहा?
विभीषण ने रावण से यह कथन कहा है।
(5) माल्यवंत कौन था ?
माल्यवंत रावण का सचिव था।
(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न-
(1) विभीषण रावण से बार बार क्या विनती करता है ?
विभीषण रावण से हर बार यही विनती करता है की श्री राम को उनकी पत्नी सीता जी लौटा दीजिए। श्रीराम कोई साधारण पुरुष नहीं है। यदि आप अपना और हम सबका कल्याण चाहते है तो मेरी बात मान जाइए। श्री राम जी कल के भी काल है। अगर हम उन्हें शरण जाते है तो वह हमारी रक्षा करेंगे।
(2) “सीता देहु राम कहुँ अहित न होय तुम्हार” से क्या आशय है ?
विभीषण रावण के पैर पड़कर कह रहा है कि सीता जी को श्री राम को वापस लौटा दो। आप हमारी रक्षा करना चाहते हैं तो आप मेरी यह बात मान लो। अगर हम उन्हें सीता जी वापस लौटा देंगे तो हमारा वह रक्षण करेंगे। वह कभी भी हमारा अहित नहीं होने देंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो राक्षसों के कुल के लिए सीता काल सिद्ध हो जाएगी।
(3) पाँव में अनीति के मनुष्य कभी झुके नहीं” का आशय स्पष्ट कीजिए।
गिरिजा कुमार माथुर इन पंक्तियों के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि हमें कभी भी अन्य नहीं करना चाहिए और अनीति के मार्ग पर कभी भी हम अपना कदम नहीं बढ़ाना चाहिए। यह दो बातें हमारे प्रगति में मुश्किलें पैदा करती है। अगर हमें अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करना है तो वह प्राप्त करने के लिए हमें नीति का अनुसरण करना होगा। तभी हम अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
(ग) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
(1) विभीषण के समझाने पर रावण ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की ?
विभीषण मेरा रावण को समझने का हर तरह से प्रयत्न किया विभीषण ने रावण को समझा दिया की बहुत तीनों लोगों के स्वामी है। वह कल के भी कल है। अगर हम उनकी शरण में जाएंगे तो वह हमारी रक्षा जरूर करेंगे हमारा कल्याण होगा। यह बात जब विभीषण ने रावण को समझाइ तब रावण बहुत गुस्सा हो गया और विभीषण और माल्यावंत से कहने लगा कि तुम हमारे शत्रु का गुणगान क्यों गाते हो? दरबार में बैठे अन्य दरबारी से उसने कहा कि कोई है जो इन दोनों को दरबार से बाहर निकाल दे? जब रावण ने ऐसा कहा तो माल्यवंत उठाकर चला गया l लेकिन विभीषण ने अपनी कोशिश जारी रखी। वह रावण को समझने का हर तरह से प्रयत्न करने लगा। लेकिन आखिर में रावण ने अपने पैरों से उसपर वार किया। इस वजह से विभीषण चला गया।
(2) ‘सूरज का पहिया’ से कवि का क्या आशय है ?
सूरज का पहिया’ से कवि हमसे यह कहना चाहता है की जिस तरह सूर्य निरंतर चलता रहता है। कभी भी वह थकता नहीं। उसकी ज्वाला कभी शांत नही होती। इसी प्रकार हमारा विश्वास भी कभी कम नही होना चाहिए। हमारे विश्वास का सुवर्ण चक्र हमें चलता रहना चाहिए।
(3) ‘विभीषण रावण संवाद’ एवं ‘सूरज का पहिया’ कविताएँ कल्याण की राह बताती हैं। स्पष्ट किजिए।
विभीषण रावण से कहता है कि तुम अपना हट छोड़ दो। जो पर स्त्री है उसको श्री राम को लौटा दो। अगर तुम उनकी शरण में जाओगे तो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा। अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हारे साथ-साथ हम सब का विनाश निश्चित है।
सूरज का पहिया इस कविता में कई कहते हैं कि हमें सूरज की तरह होना चाहिए वह हमेशा ही बिना थके बिना रुके अपने मार्ग पर हमेशा ही चलता रहता है। वैसे भी हमें भी हमेशा विश्वास की राह पर चलना चाहिए।
(4) ‘सूरज की तस्तरी’ से कवि का क्या आशय है?
सूरज की तस्करी इसका अर्थ है के जैसे सूरज सारे संसार को ज्ञान रुपए प्रकाश बाटता रहता है। वह कभी भी थकता नहीं है, वह कभी भी रुकता नहीं है। वह हमेशा ही अपने मार्ग की ओर आगे बढ़ता रहता है। सूरज की तस्करी के जैसे उसकी चमक भी होती है वह भी कभी भी कम नहीं होती।
काव्य सौन्दर्य-
संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(1) सचिव, बैद गुरु तीनि जो प्रिय बोलहिं भय आस ।
राज धर्म तन तीनि कर होई बेगही नास।
कभी तुलसीदास कहते हैं कि मंत्री वैद्य और गुरु यह अगर हमेशा झूठ बोलते रहते हैं तो राज्य शरीर और धर्म का नाश हो जाता है। मतलब अगर मंत्री राजा से झूठ बोलता है राज्य की स्थिति कैसी है वह बताता नहीं तो राज्य विनाश की ओर चलता है। अगर विद्या के पास कोई रोगी जाता है और उसे रोगी को वैद्य सत्य स्थिति नहीं बताता तो रोगी को अपने रोग का पता नहीं चलता और वह हमेशा भटकता रहता है उसके शरीर का विनाश हो जाता है। इसी तरह से अगर गुरु भी धर्म की बात नहीं करता तो धर्म का भी विनाश होने लगता है इसलिए कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
(2) मन के विश्वास का यह सीनचक्र रुके नहीं।
जीवन की पियरी केसर कभी चुके नहीं।
हमारे मन में जो विश्वास होता है वह हमेशा ही मजबूत बनाए रखना चाहिए। जैसे सूरज अपनी गति कभी नहीं छोड़ता और वह हमेशा अपने मार्ग पर चलता रहता है इसी तरह हमें भी विश्वास की राह कभी नहीं छोड़नी चाहिए। हमारे मन में जो पीली केसर की तरह सपना जन्म ले रहे हैं वह कभी भी मुरझाने नहीं चाहिए। वह हमेशा ही पल्लवित रहने चाहिए। जिस तरह सूरज सबको प्रकाश देता है खुद भी प्रकाशित रहता है इसी तरह हमें भी खुद प्रकाशित रहना चाहिए।
(3) काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ
सब परिहरि रघुबीरहिं भज भजहिं जेहि संत
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि हमसे यह कहना चाहते हैं कि काम क्रोध लोभ मोह इन सबको हमें त्याग देना चाहिए। और हमें राम के गुणगान गाने चाहिए। इसी से हमारा कल्याण हो सकता है अगर हम वासना क्रोध अहंकार लोग मोह इनके पीछे चलेंगे तो हमें हमेशा ही नरक में जाना पड़ेगा। इन सब का हमें त्याग करना होगा। मतलब सीता जी को राम को सौंप देना चाहिए और जैसे साधु संत श्री राम का भजन करते हैं वैसे भी हमें भी उनका भजन करना चाहिए इसी से हमारा कल्याण हो सकता है।
(4) ‘तुलसीदास’ एवं ‘गिरिजाकुमार माथुर की काव्य कला की विशेषताएँ लिखिए।
तुलसीदास जी कहते हैं कि व्यक्ति के आचरण में जितनी पवित्रता होगी उतना ही हमारे समाज का कल्याण हो सकता है। इसी को ही उन्होंने विभीषण और रावण के संवाद से सबको बताया है।
गिरिजा कुमार माथुर यह आधुनिक कविता के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। इनके के गीत छायावादी प्रभाव से बने हैं। इनके के गीतों में आनंद, संताप, रोमांस के साथ-साथ लय भी देखने मिलती है।
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