MP Board Class 9 Hindi Navneet Chapter जीवन दर्शन Solution
Madhya Pradesh State Board Class 9 Hindi Navneet Chapter जीवन दर्शन full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
बोध प्रश्न
(क) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) “काँटे कम से कम मत बोओ।” का क्या आशय है ?
“काँटे कम से कम मत बोओ।”इस पंक्ति का आशय यह है कि अगर हम दूसरों के साथ खड़े नहीं हो सकते दूसरों का भला नहीं कर सकते तो हमे उनके सामने संकट खड़ा करने का भी कोई अधिकार नहीं है।
(2) भय से कातर होने पर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?
भाई से जो मनुष्य कातर होता है उसकी स्थिति दयनीय हो जाती है।
(3) जीवन का सच क्या है?
संघर्ष ही जीवन का सच है।
(4) जीवन मार्ग में काँटे और कलियाँ क्या हैं?
जीवन मार्ग में काँटे मतलब मुसीबत, संकट और कलियाँ मतलब सुख, समाधान यह है।
(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) कवि अंचलजी के अनुसार दुनिया की रीति क्या है?
कवि अंचल जी के अनुसार दुनिया की यही रीत है कि इस दुनिया में काम कोई करता है और उसके परिणाम कोई और भोगता है। कवि कहते हैं कि हमारे शरीर को जो भी पीड़ा होती है वह यातनाएं शरीर सहता है लेकिन इन यातनाओं की वजह से हमारा मन हमेशा रोता रहता है।
(2) “संकट में यदि मुस्का न सके, भय से कातर हो मत रोओ।” पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है ?
“संकट में यदि मुस्का न सके, भय से कातर हो मत रोओ।”इन पंक्तियों के माध्यम से कई हमसे यह कहते हैं कि मनुष्य बहुत सहनशील है वह संकट में भी मुस्कुरा सकता है। लेकिन अगर वह संकट में मुस्कान ना सके तो उसे भय से डर कर रोना भी नहीं चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से मनुष्य कितना दुर्बल है यह दिखाई देता है।
(3) गुप्त जी ने जीवन का संदेश किसे माना है और क्यों?
गुप्त जी यह संदेश देते हैं कि मनुष्य के जीवन में कितनी भी मुश्किलें आए, कितनी भी संकटों का उसका सामना हो जाए फिर भी मनुष्य को अपने लक्ष्य से पीछे हटना नहीं चाहिए। अपनी मंजिल की तरफ उसे आगे कदम बढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से ही वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
(4) गुप्तजी ने अपने हृदय को सशक्त बनाने के लिए क्या मार्ग सुझाया है?
गुप्ता जी अपने हृदय को सशक्त बनाने के लिए यह कहते हैं कि हमेशा ही हमें कठिन मार्ग का चुनाव करना चाहिए। हमें हमेशा ही मुश्किलों का सामना करना चाहिए। जिस मार्ग पर हमें संघर्ष करना पड़े ऐसे मार्ग को चुनना चाहिए। तभी हम अपने जीवन में अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। अपना जीवन सफल बना सकते हैं।
(ग) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(1) “काँटे कम से कम मत बोओ।” कविता की केन्द्रीय भावना लिखिए।
कभी इन पंक्तियों के माध्यम से हमें यह कहना चाहते हैं कि अगर हम किसी के मार्ग में फूल नहीं बिछा सकते तो हमें उसके मार्ग में कांटे भी नहीं डालने चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं कर सकते हम दूसरों के हित के बारे में नहीं सोच सकते तो हमें दूसरों को दुख देने का भी कोई अधिकार नहीं है।
(2) वह जिन्दगी क्या जिन्दगी जो सिर्फ पानी सी वही कथन को स्पष्ट कीजिए।
वह जिन्दगी क्या जिन्दगी जो सिर्फ पानी सी वही इन पंक्ति का अर्थ यह है कि मनुष्य को हमेशा ही अपना मार्ग स्वयं चुनना चाहिए। उसे मार्ग पर जो भी मुश्किल है जो भी संकट आता है उसका सामना हिम्मत से करना चाहिए। हमारा स्वभाव पानी जैसा नहीं होना चाहिए के जैसा भी पात्र है उसमें जाकर उसे पत्र जैसा बन जाए। हमने इतनी सहनशीलता आनी चाहिए कि हम अपना मार्ग स्वयं बना सके।
(3) निम्नलिखित काव्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए-
अ.) यदि बढ़ न सको विश्वासों पर सांसों के मुरदे मत डोओ। यदि फूल नहीं वो सकते तो, कांटे कम से कम मत बोओ!
हमें हमारे जीवन में जो अंधकार है उसे दूर करके अपने जीवन में प्रकाश फैलाना चाहिए। विश्वास को मजबूत बनाने के लिए प्रयत्न करने चाहिए। बादलों के बीच जाकर हवा जैसे अपना अस्तित्व दिखती है वैसे ही हमें अपने मन में विश्वास जगाना चाहिए। अगर हम फूल नहीं बन सकते तो दूसरों के मार्ग में कांटे भी नहीं बोने चाहिए। इसका अर्थ यह है कि अगर हम दूसरों की प्रगति में उनका हाथ नहीं बटा सकते उनकी मदद नहीं कर सकते तो हमें उनके मार्ग में मुश्किलें निर्माण करने का भी कोई हक नहीं है।
आ.) है अगम चेतना की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का मन ममता की शीतल छाया में होता, कटुता का स्वयं शमन !
इस दुनिया को अगम चेतन की घाटी कहा गया है और मानव का मन बड़ा कमजोर है। अगर वह अपने समाज में अपने कार्यों से सबकी मदद करें तो दुनिया में कटुता काम हो जाएगी। सभी जगह पर आनंद की वर्षा होने लगेगी।
इ.) सब हम नहीं सच तुम नहीं।
अपने हृदय का सत्य अपने आप हमको खोजना
अपने नयन का नीर अपने आप हमको पोंछना।
हमारे हृदय में जो सत्य बसा हुआ है उसे हमें ही खोजने चाहिए। हमारे आंखों में जो आंसू आते हैं उसे पूछने के लिए ना तो दुनिया आती है नहीं पृथ्वी। इसीलिए हमें कमजोर नहीं बना है। हमें हमारे हृदय को किस बात से आनंद मिल सकता है उसे बात को हमें खोजना चाहिए। यह बाहरी जो संसार है वह हमें कभी सुखी नहीं रख सकता इसीलिए हमारा सुख किस में है यह हमें ही ढूंढना होगा। और इसके लिए हमें हमेशा ही संघर्ष करते रहना होगा।
काव्य सौन्दर्य
1.) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए- हार, बड़ा, विश्वास, अपना
हार – जीत
बड़ा – छोटा
विश्वास – अविश्वास
अपना – पराया
2.) वर्तनी सुधारिए –
निरमल, घाटि, विसवास, मारत, कलीयां
निर्मल
घाटी
विश्वास
मृत्यु
कलिया
3.) निम्नलिखित पंक्तियों में निहित भाव सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए-
क.) “मत याद करो, मत सोचो ज्वाला में कैसे बीता जीवन। “
हमारे मार्ग में जो अड़चनें आती है, जो संकट आते हैं, जो मुसीबत आती है उनके बारे में अगर हम सोचते रहेंगे तो हम जीवन में आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हम जीवन में सुखी नहीं हो पाएंगे। यह सब हमें भूलने होंगे तभी हम हमारे जीवन में सुखी हो जाएंगे।
ख.) यदि बढ़ न सको विश्वासों पर, साँसों से मुरदे मत दोओ
अगर हम हमारे जीवन पर या फिर हम कुछ करके दिखा सकते हैं इस बात पर विश्वास नहीं रख सकते तो हम जीवित नहीं है हमारा जीवन मृत्यु के समान है। हम सिर्फ सांसे ले रहे हैं।
ग.) जो नत हुआ वह मृत हुआ क्यों अंत से झरकर कुसुम
जो भी अपने जीवन में आए संकट उनसे मुसीबत से डरता है उस से हार मान लेता है उसका जीवन मृत्यु के समान है। जिस प्रकार डाली से टूटकर पुष्प गिर जाता है उसके बाद वह सुख भी जाता है। इसी प्रकार अगर मनुष्य संघर्ष नहीं करता तो उसके जीवन को कोई अर्थ प्राप्त नहीं होता उसका जीवन भी सूख जाता है
निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार पहचान कर लिखिए-
क.) अनसुना, अचीन्हा, करने से संकट का वेग नहीं करता।
उत्तर – अनुप्रास अलंकार
ख.) जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृत से झरकर कुसुम
उत्तर – उपमा अलंकार
ग.) वह जिन्दगी क्या जिन्दगी जो सिर्फ पानी-सी बही
उत्तर – उपमा अलंकार
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