Karnataka 2nd PUC Hindi Prose Chapter 3 गंगा मैया से साक्षात्कार Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 3.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Prose Chapter 3 Ganga Maiya Se Sakshatkar.
Karnataka 2nd PUC Hindi Prose Chapter 3 – गंगा मैया से साक्षात्कार Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 3
- Chapter Name – गंगा मैया से साक्षात्कार.
- I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1.) लेखक ने किनसे साक्षात्कार लिया है?
लेखक ने गंगा मैया से साक्षात्कार लिया है।
2.) लेखक मकर संक्रान्ति के दिन कहाँ थे?
मकर संक्रांति के दिन लेखक इलाहाबाद में थे।
3.) माँ कहाँ विराज रही थी?
मां मंदिर में विराज रही थी।
4.) माँ के चेहरे पर क्या थी?
मां के चेहरे पर उदासी थी।
5.) किसका संकट चर्चा का विषय बना हुआ है?
चर्चा का विषय बना हुआ है- चरित्र का संकट
6.) गंगा मैया ने सत्य को क्या कहा है ?
गंगा मैया ने सत्य को निर्भय कहा है।
7.) किसका व्यापारीकरण हो रहा है ?
धर्म का व्यापरीकरण हो रहा है।
8.) असली झगड़ा किसके बारे में है ?
कुर्सी के बारे में असली झगड़ा है।
9.) मनुष्य के कुकर्मों पर कौन हँसने लगे हैं?
मनुष्य के कुकर में ऊपर पशु पक्षी हंसने लगे हैं।
10.) गंगा मैया ने किसे सर्व शक्तिमान कहा है?
गंगा मैया ने प्रकृति को सर्वशक्तिमान कहा है।
11.) पुनः उत्थान की किरणें कब फूटती हैं ?
पतंग की जब पराकाष्ठा हो जाती है तभी पुनः उत्थान की किरणें फूटती है।
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II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) प्रदूषण के संबंध में गंगा मैया ने क्या कहा है ?
प्रदूषण के संबंध जब गंगा मैया से पूछा गया तब गंगा मैया ने उससे कहा के मैं अपना प्रदूषण अपने आप कैसे समाप्त कर सकती हूं? जब पूरे देश का वातावरण ही दूषित, प्रदुषणमय हो रहा है, तो मैं कैसे बच सकती हूं। अब यह तो चरित्र का संकट बन गया है। सबके मन ही दूषित हो गए हैं। सारे लोग सभी जगह का कचरा लाके मुझ में डालते है और कहते है के यह प्रदूषण अपने आप समाप्त हो जाएगा। यह सब जो भी कहते हैं वह उल्लू ही नहीं उल्लू के आस्थावान शिष्य भी है।
2.) समाज में कौन-कौन सी समस्याएँ बढ़ रही हैं ?
समाज में सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है। यह ऐसा विषय है कि बढ़ता ही जा रहा है। दूसरा संकट है चरित्र का संकट। अब सिर्फ शब्दकोश में चरित्र का नाम शेष है उपदेश को के प्रयोग में भी आ रहा है। सेवा करने से चरित्र बनता है सेवा रानी को भी मारकर जाने कहां भगा दिया। अब तो सब सेवा नहीं मेवा बटोरने में लगे हैं। तीसरी समस्या है धर्म। अपने देश में धर्म को जीवन से अलग कर रखा है जब तक गीता आदि धर्म ग्रंथों के अनुसार आचरण नहीं किया जाता तब तक समझ में सुधार नहीं हो सकता। इसी तरह से महंगाई रिश्वतखोरी और पासविकता भी बढ़ती जा रही है इसका अंत नहीं दिखाई देता। धर्म का व्यापरीकरण हो रहा है। सभी लोग झगड़ा पैदा कर रहे हैं। सभी कुर्सी, वैभव, धन, सम्मान इस बातों के लिए लड़ रहे हैं।
3). गंगा मैया का कुर्सी से क्या अभिप्राय है?
गंगा मैया रहती है कि सभी कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं कुर्सी से गंगा मैया का मतलब है शक्ति और शक्ति मां ने वैभव धन सम्मान करती आदि। यह समस्याएं हमारे समाज में बढ़ती जा रही है। इसके साथ-साथ महंगाई रिश्वतखोरी और पार्श्विकता भी बढ़ रही है। अगर यह सभा से चला जाए तो व्यक्ति ऐसे भटकता है जैसे मजनू लैला के पीछे घूमता है।
ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1.) ‘वत्स, देश का वातावरण ही जब प्रदूषित हो गया तब मैं कैसे बच सकती थी ।’
प्रसंग. यह प्रसंग साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तिका के गंगा मैया के साक्षात्कार इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक डॉ. बरसाना लाल चतुर्वेदी है।
संदर्भ. लेखक गंगा मैया का साक्षात कर ले रहे हैं और गंगा मैया उनको प्रश्न के उत्तर दे रही है।
स्पष्टीकरण. गंगा मैया लेखक से कहती है कि मुझे खुद ही समझ नहीं आ रहा कि यह इतना प्रदूषण क्यों हो रहा है। सभी कह रहे हैं कि यह प्रदूषण अपने आप समाप्त हो जाएगा लेकिन वही उल्लू ही नहीं उल्लू के आस्था वाले शिष्य भी है। लोगों का मन दूषित हो गया है। तब मैं कैसे बच सकती हूं। भगवान के नाम पर भक्ति संस्कृति के नाम पर गंगा जैसे पवित्र जल को सभी लोग प्रदूषित कर रहे हैं। सारा कचरा मुझ में डाल रहे हैं। वत्स का वातावरण ही जब प्रदूषित हो गया तब मैं कैसे बच सकती थी?
2.)’बेटा, शब्दकोशों में उसका नाम शेष है, उपदेशकों के प्रयोग में भी आ रहा है।’
प्रसंग. यह प्रसंग साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तिका के गंगा मैया के साक्षात्कार इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक डॉ. बरसाना लाल चतुर्वेदी है।
संदर्भ. जब लेखक गंगा मैया को चरित्र के बारे में पूछता है तब गंगा मैया लेखक से कहती है।
स्पष्टीकरण. लेखक गंगा मैया से पूछता है कि चरित्र का संकट चर्चा का विषय तो बना हुआ है। तब गंगा मैया लेखक से कहती है कि बेटा मेरा वह अंग ही तो था। अब वह मेरा अतीत हो गया है। अब सिर्फ उसका नाम उपदेशकों के प्रयोग में आ रहा है। मास्टर लोग भी छोटी कक्षाओं में विद्यार्थियों को पढ़ते समय कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग करते हैं।
3.)’सेवाहि परमो धर्म के स्थान पर लोग मेवाहि परमो धर्म कहने लगे हैं।’
प्रसंग. यह प्रसंग साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तिका के गंगा मैया के साक्षात्कार इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक डॉ. बरसाना लाल चतुर्वेदी है।
संदर्भ. चरित्र के अस्तित्व को किसने मिटाया यह प्रश्न जब लेखक ने पूछा तब उत्तर देते हुए गंगा मैया ने लेखक को यह जवाब दिया है।
स्पष्टीकरण. लेखक ने गंगा मैया से पूछ के दूसरा संकट चरित्र का संकट यह है। और यह तो चर्चा का विषय बन गया है। तब गंगा मैया लेखक से कहती है कि बेटा मेरा वह अंग ही तो था। अब वह अतीत की वस्तु हो गया है। वह एक दिन मेरे पास आया। बहुत दुखी था। अब उसका नाम शेष है। मास्टर लोग भी कक्षाओं में विद्यार्थियों को पढ़ते समय इस शब्द का प्रयोग करते हैं। सेवा करने से चरित्र बनता था सेवा रानी को भी मारकर जाने कहा भगा दिया। अब तो सब मेवा बटन में लग गए। सेवा ही परमो धर्म के स्थान पर लोग में मेवाही परमो धर्म कहने लगे हैं।
4.) ‘एक बार जब जबान पे चढ़ जाए तो फिर कुछ अच्छा नहीं लगता । ‘
प्रसंग. यह प्रसंग साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तिका के गंगा मैया के साक्षात्कार इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक डॉ. बरसाना लाल चतुर्वेदी है।
संदर्भ. जब लेखक पूछता है कुर्सियां तो बाजार में खूब उपलब्ध है सस्ती और महंगी से महंगी तब उसके उत्तर में गंगा मैया यह बात कहती है।
स्पष्टीकरण – गंगा मैया रहती है की कुर्सी से मेरा मतलब शक्ति और शक्ति मां ने वैभव धन सम्मान करती आदि तुमने अभी इसका स्वाद नहीं रखा है। देश में महंगाई रिश्वतखोरी और पाशाविकता बढ़ती जा रही है और इसका अंत नहीं दिखाई देता। धर्म का भी व्यापरीकरण हो गया है। राजनीतिक क्षेत्र में सभी लोग सिर्फ लड़ते रहते हैं दल से दल लड़ता है। दालों में भी अंदर भी लड़ाई चलती है जो दलदल पैदा करती है। असली झगड़ा कुर्सी का है। अगर तुझे भी इसका स्वाद मिल पाया तो बाकी कुछ अच्छा नहीं लगेगा।
5.) ‘पतन की जब पराकाष्ठा हो जाती है तभी पुनः उत्थान की किरणें फूटती हैं। ‘
प्रसंग. यह प्रसंग साहित्य गौरव इस पाठ्य पुस्तिका के गंगा मैया के साक्षात्कार इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक डॉ. बरसाना लाल चतुर्वेदी है।
संदर्भ. लेखक ने जब आखरी सवाल गंगा मैया से पूछा तब उसे सवाल का उत्तर गंगा मैया ने दिया।
स्पष्टीकरण. लेखक गंगा मैया से यह सवाल करता है कि आपने बहुत सारा समय मुझे दिया आपके पास जितना समय था उससे अधिक मैंने ले लिया। अब आप मेरे अंतिम प्रश्न का उत्तर दे दे। भविष्य में क्या संभावनाएं हैं इस सवाल का जवाब देते हुए गंगा मैया लेखक से कहती है कि बेटा प्रकृति सर्वशक्तिमान है। ऐसे पहले भी हुआ है। पतन की जब पराकाष्ठा हो जाती है तब पुनः उत्थान की किरणें फूटती है।
- IV) वाक्य शुद्ध कीजिए:
1 ) मैंने जाकर माँ की चरण छुए।
मैंने जाकर मां के चरण छुए।
2.) वह एक दिन मेरा पास आया था।
वह एक दिन मेरे पास आया था।
3.) उसे किसी की डर नहीं है।
उसे किसी का डर नहीं है।
4.) पाशविकता बढ़ता चला जा रहा है।
पाशाविकता बढ़ती चली जा रही है।
5.) मैनें कभी भेदभाव नहीं की।
मैंने कभी भेदभाव नहीं किया।
- V) कोष्ठक में दिए गए उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए:
(उदासी, सेवा, कुर्सियाँ, कावेरी)
1.) सेवा करने से चरित्र बनता है।
2.) चेहरे पर उदासी थी।
3.) उस दिन दक्षिण की कावेरी बहिन मिली थी।
4.) कुर्सियां तो बाज़ार में खूब उपलब्ध हैं।
- VI) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए:
1.) सेवा करने से चरित्र बनता था। (वर्तमान काल में बदलिए)
सेवा करने से चरित्र बनता है।
2.) दल से दल लड़ता है। (भविष्यत् काल में बदलिए)
दल से दल लड़ेगा
3.) असली झगड़ा कुर्सी का है। (भूतकाल में बदलिए)
असली झगड़ा कुर्सी का था।
VII) अन्य लिंग रूप लिखिए:
सचिव, वत्स, शिष्य, उपदेशक, राज्यपाल |
सचिव – महिला सचिव
वत्स – वत्सा
शिष्य – शिष्या
उपदेशक – उपदेशिका
राज्यपाल – राज्यपाल
VIII) विलोम शब्द लिखिए:
पवित्र, सस्ता, ज्ञान, दुःख, उत्थान |
पवित्र – अपवित्र
सस्ता – महंगा
ज्ञान – अज्ञान
दुःख – सुख
उत्थान – पतन
निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर नए शब्दों का निर्माण कीजिए:
मान, दूषण, भय, पुत्र, कीर्ति, कर्म ।
मूल शब्द |
उपसर्ग | नए शब्द |
मान | सम |
सम्मान |
दूषण |
प्र | प्रदूषण |
भय | निर |
निर्भय |
पुत्र |
सु | सुपुत्र |
कीर्ति | अप |
अपकीर्ति |
कर्म |
सु |
सुकर्म |