Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 8 अभिनंदनीय नारी Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 8.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Poem Chapter 8 Abhinandaniya Naari.
Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 8 – अभिनंदनीय नारी Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 8
- Chapter Name – अभिनंदनीय नारी.
I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१) नारी किसके समान सहनशील होती है?
नारी धारा मतलब धरती के समान सहनशील होती है।
२) नारी बचपन में किसके मन में हिलोरें उठाती है?
नारी बचपन में माता पिता के हृदय में हिलोरे उठाती है।
३) नारी ने इस धरती को धन्य कैसे किया?
सेवा और सेवा से नारी ने इस धरती को धन्य किया।
४) स्वार्थी संसार क्या याद नहीं रखता है?
स्वार्थी संसार किसी के भी उपकारों को याद नहीं रखता।
५) नारी अबला नहीं बल्कि क्या है?
नारी अबला नहीं बल्कि वह रनचंडी भी है।
६) जिस घर में नारी का सम्मान हो, वहाँ क्या होता है?
जिस घर में नारी का सम्मान हो ता है वह आनंद का आगर बनता है।
II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) नारी के विभिन्न गुणों का परिचय दीजिए ।
नारी जल की तरह निर्मल है। जीवन की गति, जीवन की रति है। फूलों की तरह वह कोमल है। नारी सुख का सागर है, वह वंदनीय है और अभिनंदनय भी है। इसलिए सभी उसे सादर प्रणाम करते हैं। नारी के अंदर स्नेह, करुणा है। वह अपनी सेवा से इस धरती को धन्य बनाती है।
२) नारी के बचपन का चित्रण कीजिए।
नई अपने बचपन में ठुमक ठुमक कर चलती है जब वह ऐसे चलती है तो उसके पैरों में जो पायलिया होती है उनकी छन-छन मतलब मधुर संगीत होता है। वह आंगन के तुलसी की तरह होती है। वह चिड़िया की तरह चल चाहती है खुद आती है और यह सब देख उनके माता पिता के मन में आनंद की हिलौरे उठती है।
३) नारी के शक्ति रूपों का वर्णन कीजिए।
नई सृष्टि का मूल रूप है वह रणचंडी भी है दुर्गा भी है शक्ति भी है शिवानी और कात्यानी भी है। जब दैत्य इस पृथ्वी पर विनाश करते हैं तब वह महाकाली का विश भी धारण करती है।
४) नारी किस प्रकार से सृष्टि का श्रृंगार है ?
कभी कहते हैं कि अगर जीवन में नारी ना हो तो हमारा जीवन व्यर्थ हो जाता है। ऐसा कहते हैं कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है उसे घर में आनंद आता है। अगर संसार में नारी ना रहे तो हमारा संसार किसी भी काम का नहीं रहेगा।
ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) इस धरा पर मृदुल रस धार- सी तुम सुख का सार हो नारी
तुम वंदनीय हो, अभिनंदनीय हो, सादर नमन तुम्हें हे नारी….!
धरा सी सहनशील, जल-सी निर्मल, फूलों सी कोमल तुम नारी
जीवन की गति, जीवन की रति, जीवन की मति हो तुम नारी…!
प्रशंसा. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तकों के अभिनंदन नई इस कविता से लिया गया है। इसके रचनाकार जयंती प्रसाद नौटियाल है।
संदर्भ. इन पंक्तियों में कवि नारी का गौरव करते हैं। नारी के महत्व के बारे में बताते हैं।
स्पष्टीकरण. कभी कहते हैं की नई बांधनी है अभिनंदन यह है। कई नई को नमन करते हैं। वह कहते हैं की नई धारा से सहनशील है जस्सी निर्मल है और उसमें फूलों की कोमलता भी है। नारी के बिना हमारा जीवन व्यर्थ है।
२) नारी अबला नहीं बल्कि यह नारी रणचंडी भी है,
कृत्या है यह दुर्दम, दैत्य नाशिनी दुर्गा मां भी है।
शक्ति और शिवानी है यह और कात्यायिनी भी है
दैत्यों के शोणित को पीने वाली महाकाली भी है।
प्रशंसा. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तकों के अभिनंदन नई इस कविता से लिया गया है। इसके रचनाकार जयंती प्रसाद नौटियाल है।
संदर्भ. कवि कहते हैं नारी शक्ति का ही स्वरुप है। अगर कोई अत्याचार करते हो तो वह राणचंडी से कम नहीं।
स्पष्टीकरण. कभी इन पंक्तियों में रहते हैं कि नारी अबला नहीं है बल्कि नई राणा चांदी है। वह राक्षसों का संहार करती है ऐसी दुर्गा भी है। वह शक्ति का स्वरूप है और राक्षसों का खून पीने वाली महाकाली भी।