Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 3 उल्लास Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 3.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Poem Chapter 3 Ullas.
Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 3 – उल्लास Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 3
- Chapter Name – उल्लास.
I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१) कवयित्री ने शैशव प्रभात में क्या देखा ?
कवियित्री ने शैशव प्रभात में नया विकास देख लिया।
२) कवयित्री ने यौवन के नशे में क्या देखा?
कवयित्री ने यौवन के नशे में यौवन का उल्लास देखा।
३) कवयित्री ने किसका विकास देखा?
कवयित्री ने आशा का विकास देखा।
४) कवयित्री ने किसका प्रकाश देखा?
आकांक्षा, उत्साह और प्रेम का प्रकाश कवयित्री ने देखा।
५) कवयित्री को किसने कभी नहीं रूलाया ?
निराशा ने कवयित्री को कभी नहीं रुलाया।
६) कवयित्री ने हमेशा किस प्रकार का व्यवहार किया?
कवयित्री ने हमेशा सभी के साथ मधुर प्यार का व्यवहार किया है।
७) कवयित्री को प्रेम का क्या दिखाई देता है ?
कवियात्री को प्रेम में पारावार मतलब सागर दिखाई देता है।
II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) ‘उल्लास’ कविता के आधार पर मानव हृदय में उठनेवाले भावों को अपने शब्दों में लिखिए ।
शैशव काल में मनुष्य के हृदय में नया विकास को देखा जा सकता है। यौवन अवस्था में भी यौवन का उल्लास देखा जा सकता है। संसार की समस्याओं में आशा रुपए लताओं को देखा जा सकता है। इस तरह हम आकाश उत्साह और प्रेम का भी प्रकाश देख सकते हैं।
२) कवयित्री ने जीवन के सम्बन्ध में क्या कहा है?
कवित्री जीवन के संबंध में रहती है कि हमें हमें कभी भी अपने जीवन में निराश नहीं होना चाहिए। नहीं रोते हुए बैठना चाहिए। हमें अपने मन में किसी भी तरह की निराशा को उत्पन्न नहीं होने देना है। यह सारी मोह माया है विरक्ति लेनी चाहिए ऐसी बातें नहीं सोचनी चाहिए। हमें हमारे आसपास और शांति का वातावरण नहीं निर्माण करना चाहिए।
३) ‘उल्लास’ कविता का आशय संक्षेप में लिखिए।
उल्लास इस कविता का आशय है कि जीवन में हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए हमें हमेशा ही उत्साही रहना चाहिए आनंदी रहना चाहिए। अपने आसपास नकारात्मक वातावरण की निर्मिती नहीं करनी चाहिए। सबके साथ प्रेम से रहना चाहिए। अच्छा बर्ताव करना चाहिए। सभी लोगों में प्यार बांटना चाहिए। किसी से भी नफरत नहीं करनी चाहिए।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) जीवन में न निराशा मुझको,
कभी रुलाने को आई ।
‘जग झूठा है’ यह विरक्ति भी,
नहीं सिखाने को आई ।।
प्रसंग. प्रस्तुत पंक्तियां साहित्य वैभव इस पुस्तक के उल्लास इस कविता से ली है। इसके रचनाकार कवियित्री सुभद्रकुमारी चौहान हैं।
संदर्भ. कवियित्री कहती है कि जिंदगी कभी एक जैसी नहीं होती। उसमे बदलाव आते रहते हैं। हमे कभी निराश नहीं होना है।
स्पष्टीकरण. कवियित्री अपने जिंदगी में कभी निराश नहीं होती। वह दूसरों को भी निराश न हो, हमेशा सकारात्मक रहो ऐसा कहती है। कभी भी निराश नहीं होना चाहिए, विरक्ति की नजर से अपने जिंदगी की तरफ नही देखना चाहिए। जीवन को प्रेम की नजर से देखना चाहिए। हर एक चीज के बारेमे विश्वास रखना चाहिए।
२) मैं हूँ प्रेममयी, जग दिखता
मुझे प्रेम का पारावार ।
भरा प्रेम से मेरा जीवन,
लुटा रहा है निर्मल प्यार ॥
प्रसंग. प्रस्तुत पंक्तियां साहित्य वैभव इस पुस्तक के उल्लास इस कविता से ली है। इसके रचनाकार कवियित्री सुभद्रकुमारी चौहान हैं।
संदर्भ. कवयित्री कहती हैं कि दुनिया को प्रेम की जरूरत है उन्होंने दुनिया से भी यही बात सीखी है।
स्पष्टीकरण. कवित्री कहते हैं कि हमें अपने जीवन में निराशा को स्थान नहीं देना चाहिए। अपने जीवन में सिर्फ आशा का दृष्टिकोण रखना चाहिए। सभी से प्रेम से बात करनी चाहिए। इस दुनिया के हर कण में प्रेम बसा हुआ है। अगर हम दूसरों को प्रेम देंगे तो हमें भी बदले में प्रेम ही मिलेगा।