Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 4 तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाए Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 4.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Poem Chapter 4 Tum ga do mera gaan.
Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 4 – तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाए Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 4
- Chapter Name – तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाए.
I एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
(१) बच्चन जी ने किस प्रकार के गीत बनाए?
गूंज गूंज कर मिट जाने वाले गीत बच्चन जी ने गाए।
२)कवि बच्चन जी ने क्या लुटाया ?
कविताओं का कोष, वर्णकोष कवि बच्चन जी ने लुटाया।
३) कवि बच्चन क्या खोकर रंक हुए ?
अपनी निज निधी खोकर कवि बच्चन रंक हुए।
8) दुनिया कैसी है?
दुनिया ममतामयी है।
५) कवि बच्चन का जीवन कैसे बीता?
कवि बच्चन का जीवन दुःख में बीता।
६) सुख की एक साँस पर क्या निछावर है?
सुख की एक साँस पर अमरत्व निछावर है
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) बच्चन जी ने जग में क्या लुटाया और क्यों?
बच्चन जी अपने गीतों को जग में लुटाया है। बच्चन जी ने गूंज गूंज कर मिटनेवाले गीत बनाए। जब भी समाज के लोगों ने उनके सामने अपने गीतों का कोष रख दिया। लोगों ने यही गीत लुटाए। इन्ही गीतों को सार्थक बनाया। यह कोश उनके लिए अमूल्य था। कवि अपने गीतों को लुटाकर अपने जीवन को सार्थक बनाता है।
२) बच्चन जी पाठकों को क्या-क्या भेंट देते हैं?
बच्चन जी अपने पाठकों से ऐसी भेट देना चाहते है जिससे पाठकों को सब कुछ मिल जाए लेकिन इसमें उनका भी कोई नुकसान न हो। बच्चन जी चाहते है की पाठक उनके गीत गाए और इन गीतों को अमर कर दे।
३) बच्चन जी ने संसार और जीवन के संबंध में क्या कहा है?
बच्चन जी ने संसार और जीवन के संबंध में कहते है कि, मैंने अपना कोष्टा तब तब लुटाया है जब जब इस दुनिया ने मेरे सामने हाथ फैलाए। मैंने अपनी पूर्ण संपत्ति उनके हवाले कर दी। मैं बस इतना ही चाहा कि तुम मेरे गाने अपना हो और मेरे गाने अमर कर दो। मैं इस संसार को ममता दी लेकिन मेरी इच्छा यही है कि मेरा गाना अमर हो जाए।
४) बच्चन जी की कविता का मूल भाव लिखिए ।
बच्चन जी कहते हैं कि आज दुनिया में हर तरफ दुखी दुख है। सभी प्रेम उत्साह चाहते हैं। मधुर को गन वाली कोकिला जब गाती है तब वह गांड दुख दर्द का होता है। कभी सब लोगों से कहते हैं कि उनका जीवन भी सिर्फ दुख में ही बीता। जब उनके जीवन के अंतिम दिन होते हैं तब कभी लोगों से कहते हैं कि उनका गाना गए और उन्हें अमर कर दे।
III ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) जब-जब जग ने कर फैलाये
मैंने कोष लुटाया,
रंक हुआ मैं निज निधि खोकर,
जगती ने क्या पाया?
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्यपुस्तिका के तुम गा दो मेरा गाना अमर हो जाए इससे लिया गया है। इस कविता के रचनकार डॉ हरिवंश राय बच्चन है।
संदर्भ. कवि कहते हैं कि दुनिया के लिए मैंने संपूर्ण कुछ दिया अपनी संपत्ति तक लुटा दी। लेकिन फिर भी दुनिया ने मुझे क्या दिया?
स्पष्टीकरण. कवि कहते हैं जब जब उसे दुनिया को लोगों को जरूरत पड़ी है तब तक मैंने अपनी संपत्ति इन पर न्योछावर कर दी। सब कुछ दान में दे दिया मैं खुद रंग खो गया। लेकिन मैं इस संसार से क्या पाया?
२) दुःख से जीवन बीता फिर भी
शेष अभी कुछ रहता,
जीवन की अंतिम घड़ियों में
भी तुम से यह कहता।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्यपुस्तिका के तुम गा दो मेरा गाना अमर हो जाए इससे लिया गया है। इस कविता के रचनकार डॉ हरिवंश राय बच्चन है।
संदर्भ. कभी कहते हैं कि मेरा पूरा जीवन दुख से ही भरा हुआ था। लेकिन अब मेरे जीवन के आखिरी घड़ी आ गई है अब तो तुम मेरा गाना गा दो।
स्पष्टीकरण. बच्चन जी कहते हैं कि मेरा पूरा जीवन दुख में ही बीता मैं दुनिया पर सभी संपत्ति न्योछावर कर दी। अब मेरी अंतिम घड़ियां चल रही है। अब मुझे सुख की एक सांस तो दो। इसके लिए मैं अमरत्व भी न्योछावर कर सकता हूं।