Karnataka 1st PUC Hindi Apathi Bhag Chapter 2 श्मशान Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 2.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Apathi Bhag Chapter 2 Shmashana.
Karnataka 1st PUC Hindi Apathi Bhag Chapter 2 – श्मशान Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 2
- Chapter Name – श्मशान.
1) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
(१) श्मशान मनुष्य से प्यार के बदले क्या पाता है?
श्मशान मनुष्य से जितना प्यार करता है, उसके बदले सबसे घृणा पता है।
२) श्मशान किससे बातें कर रहा है?
श्मशान वहां पर स्थित एक खड़ी पहाड़ी से बात करने लगा।
३) युवक की पहली पत्नी का नाम लिखिए।
युवक की पहली पत्नी का नाम है – सुकेशी
४)श्मशान सारे दिन किसके शव की प्रतीक्षा करता रहा?
श्मशान सारे दिन उस युवक के शव की प्रतीक्षा करता रहा।
५) श्मशान के मन में वर्षों से किसके प्रेम की अलौकिक धारणा जमी हुई थी?
श्मशान के मन में वर्षों से मनुष्य के प्रेम की अलौकिक धारणा जमी हुई थी।
६) पाँच वर्ष में युवक की कितनी पत्नियाँ मर गई ?
पाँच वर्ष में युवक की तीन पत्नियाँ मर गई।
७) मनुष्य सबसे अधिक प्रेम किससे करता है?
मनुष्य अपने आप से सबसे ज्यादा प्रेम करता है।
८) ‘श्मशान’ कहानी की लेखिका कौन हैं?
श्मशान’ कहानी की लेखिका मन्नू भंडारी हैं।
II ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
(१) श्मशान ने आह भरकर पहाड़ी से क्या कहा?
श्मशान का दिल एक बार भर आया तो उसने एक सर्द आह भारली और उसने पहलू में खड़ी पहाड़ी से कहा के मैं इंसान को जितना प्यार करता हूं उतने ही मैं उससे घृणा पाता हूं। सभी मनुष्य यही चाहते हैं कि वह कभी भी मेरा मुंह ना देखें। लेकिन क्या मैं इतना बुरा हूं? मैं इतना बुरा नहीं हूं। संसार में जो जन्म देता है उसे कभी ना कभी मेरे ही पास आना पड़ता है। तब मैं उसे अपने गोद में रखता हूं। मैं किसी में भी भेदभाव नहीं करता।
२) मनुष्य के प्रेम के बारे में श्मशान के विचार प्रकट कीजिए ।
श्मशान को लगता है कि अपना जीवन तभी परिपूर्ण हो सकता है जब अपने जीवन में मनुष्य का प्रेम हो। वह कहता है कि मेरे पास वह प्रेम नहीं जो मनुष्य की सबसे बड़ी निधि है। इससे पता चलता है कि वह श्मशान मनुष्य के प्रेम को सबसे बड़ी निधि मानता है और उसे यह लगता है कि यह निधि मेरे नसीब में नहीं है। वह मनुष्य के मन में अपने लिए थोड़ी सी जगह बनाना चाहता है वह उसे मनुष्य का थोड़ा सा प्रेम चाहिए। उसे ऐसा लगता है कि अगर मुझे मनुष्य का प्रेम नहीं मिला तो मेरा जीवन निरर्थक है।
३) पहली पत्नी की मृत्यु पर युवक किस प्रकार विलाप करने लगा ?
एक छोटी सी भीड़ किसी शव को लेकर इस्मशान में चली आ रही थी। उसमें एक नवयुवक था वह रो रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने उसका सर्वस्व लूट लिया हो। सर क्रिया कर्म समाप्त कर देने के बाद उसे युवक को संभाल गया। उसे युवक को वहां के लोग लेकर गए। दूसरे दिन वह युवक फिर से श्मशान में आया। ऐसा लग रहा था कि जैसे एक रात में ही वह बूढ़ा हो गया हो। वह लड़खड़ाता हुआ आया और अपनी पत्नी की राख बटोरने लगा। उसके आंखों से आंसू बहते जा रहे थे। जैसे ही उसकी भावनाओं का बांध टूट गया वैसे ही वह सिर्फ फूड कर रोने लगा और चीखने लगा-तुम मुझे छोड़कर कहां चली गई सकेशी? याद है कितनी बार तुमने कसमें खाई थी कि जिंदगी भर तुम मेरा साथ दोगी पर 2 वर्षों में ही तो मुझे अकेला छोड़कर चली गई। अब मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकता। तो मुझे अपने पास बुला लो नहीं तो मुझे ही तुम्हारे पास आने का कोई उपाय करना पड़ेगा। तुम नहीं तो मेरे जीवन का कोई अर्थ नहीं तुम ही मेरा जीवन थी प्रेरणा थी। अब मैं जीवित रहकर क्या करूंगा? मुझे अपने पास बुला लो मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।
४) युवक अपनी तीसरी पत्नी की मृत्यु के उपरांत उसे सबसे अधिक गुणी क्यों समझता है?
2 वर्ष बीत जाने के बाद फिर से एक युवक अपने पत्नी केशव को लेकर जलाने के लिए आया। जब उसे देखा गया तो वह युवक तो वही था जिसकी पहले ही दो शादियां हुई थी और पहले दोनों पत्नियों का निधन हो चुका था। श्मशान ने सोचा कि शायद यह विवाह उसे मजबूरी में करना पड़ा। लेकिन उसे युवक का शोक देखकर ऐसा लग रहा था कि वह सिर्फ अपनी तीसरी पत्नी से ही बेहद प्यार करता था। उसके पहले वाले रूप में और आज के रूप में कोई अंतर न था। आज उसे अपने तीसरी पत्नी की सबसे गुनी दिखाई दे रही थी। वह दवा भी कर रहा था की तीसरी पत्नी से ही उसने सच्चा प्रेम किया था पहले दो पत्नियों से प्रेम मतलब उसका बचपन और ना समझी थी। पहली उसकी अनुगामिनी थी दूसरी सहगामी नहीं तो और तीसरी अग्रगामिनी थी उसकी पथ प्रदर्शिका थी।
५) अंतत: पहाड़ी ने तरस खाकर श्मशान से क्या कहा?
युवक ने जब अपनी तीसरी पत्नी को जलाया उसका शोक देख श्मशान अचंभित रह गया जिस मनुष्य के अलौकिक प्रेम की भावना को श्मशान अपने हृदय में संजय बैठा था उसका वही रुत है इसी दृश्य से पत्थर हो गया। तभी पहाड़ी में उसकी हालत देखी और वह बोला कि तुम सचमुच ही मुर्ख हो इतना भी नहीं समझने की मनुष्य सबसे ज्यादा अपने आप से प्यार करता है उसके जीवन सबसे प्यारा लगता है। वह प्रेम पर ही जिंदा रहता है। उसे अपने जीवन की पूर्णता के लिए किसी न किसी का प्रेम लगता है। वह वियोग झेलता है, व्यथा सह लेता है लेकिन अपने आप से सबसे ज्यादा प्रेम करता है।
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