Chhattisgarh State Class 5 Hindi Chapter 24 बाबा आंबेडकर Solution
Chhattisgarh State Board Class 5 Hindi Chapter 24 बाबा आंबेडकर Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
बाबा आंबेडकर
प्रश्न 1.) बाबा अंबेडकर को किस नाम से जाना जाता है ?
बाबा अंबेडकर को भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 2. बड़ौदा के महाराज ने डॉ. अंबेडकर को क्या सहायता दी?
बड़ौदा के महाराज ने डॉ. अंबेडकर के उन्नति से खुश होकर उनको 25 रुपए मासिक छात्रवृत्ति देना आरंभ कर दिया।
प्रश्न 3. डॉ. अंबेडकर को बड़ौदा के महाराज की नौकरी क्यों छोड़नी पड़ी?
महाराज के दरबार में जो कट्टर हिन्दू धर्म के लोग थे वह डॉ. अंबेडकर से घृणा करते थे। वहा के चपरासी भी उन्हें फाइल फेक्कर देते थे। इस वजह से डॉ. अंबेडकर जी ने बड़ौदा के महाराज की नौकरी छोड़ दी।
प्रश्न 4. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने क्या संकल्प लिया?
डॉ. अंबेडकर जी ने नौकरी छोड़ ने के बाद अछूतों को समानता दिलाना और उनकी आर्थिक हालत सुधारने का संकल्प लिया।
प्रश्न 5. भारतीय संविधान से तथाकथित अछूतों को क्या लाभ हुआ?
भारतीय संविधान से तथाकथित अछूतों को समानता का लाभ हुआ।
प्रश्न 6. डॉ. अंबेडकर महान क्यों माने जाते हैं?
डॉ. अंबेडकर जी इसीलिए महान है क्योंकी उन्होंने छुआ छूत के पाप को नष्ट करने का प्रयत्न किया।
प्रश्न 7. देश को डॉ. अंबेडकर की सबसे बड़ी देन क्या है?
बाबासाहेब अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान में अच्युतम को समान अधिकार दिया है आज उनके बालक और बालकों के साथ पढ़ते हैं खेलते हैं कहते हैं मंदिरों में जाते हैं सार्वजनिक जगह पर पानी पीने की अब उन्हें इजाजत नहीं लेनी पड़ती।
प्रश्न 8. अपने गाँव या शहर में प्रचलित किसी कुरीति पर दो वाक्य लिखो।
हमारे गांव में ऐसी कोई प्रथम परंपरा प्रचलित नहीं है। जो प्रथा परंपरा प्रचलित थी, उस पर हमारे गांव के पंचायत ने बंदी लगा दी। इसीलिए आज हमारे गांव में ऐसी कोई भी कुरीति नहीं है।
प्रश्न 9. अपने गाँव या शहर में प्रचलित कुरीति को दूर करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए?
अगर अपने गांव में अगर कोई प्रचलित कुरीति हो तो हमें उस बारेम बड़ों के साथ बैठकर चर्चा करनी चहिए। यह प्रथा कैसे गलत है इसका उनको यकीन देना होगा। उस वक्त यह बात सही हो सकती है लेकिन आज यह परंपरा आगे बढ़ाना इससे किसीको भी फायदा नहीं होगा। यह बात हमे उन्हें समझानी चहिए।
भाषातत्व और व्याकरण
समझो
‘छोटी-बड़ी समस्याओं को तो हमें प्रायः झेलना पड़ता है। इस वाक्य में छोटी-बड़ी परस्पर विलोम शब्द हैं।
प्रश्न 1.). इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों और उनके परस्पर विरोधी शब्दों को एक साथ एक-एक वाक्य में प्रयोग करो।
पाप- पुण्य
भगवान के घर आप पुण्य का हिसाब होता है।
उत्तीर्ण- अनुत्तीर्ण
हमारे हाथ में मेहनत करना है उत्तीर्ण- अनुत्तीर्ण होना नहीं।
पक्ष- अपक्ष
तुम पक्षा अपक्ष सभी के बारे में क्यों नहीं विचार करते?
सफल- असफल
जीवन में सफलता असफलता मिलती रहती है।
दुर्भाग्य- भाग्य
इन वाक्यों को पढ़ो-
क. कक्षा में बच्चे ध्यानपूर्वक पढ़ रहे हैं।
ख. अभी मध्य अवकाश है, हमारी कक्षा के बच्चे पढ़ नहीं रहे।
ग. क्या तुम्हारी कक्षा के विद्यार्थी शिक्षक से पूछकर कक्षा से बाहर जाते हैं ?
घ. कक्षा में शोर मत करो।
ऊपर लिखे चारों वाक्य चार प्रकार के है। पहले वाक्य में कार्य हो रहा है। ऐसे वाक्य “विधिवाचक वाक्य कहलाते हैं। दूसरे वाक्य में कार्य नहीं हो रहा है ऐसे वाक्य ‘निषेधात्मक वाक्य’ कहलाते हैं तीसरे वाक्य में प्रश्न पूछा गया है। ऐसे वाक्य ‘प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं। चौथे वाक्य में आदेश दिया गया है। ऐसे वाक्य ‘आदेशात्मक वाक्य’ कहलाते हैं।
प्रश्न 2. नीचे लिखे वाक्यों को उनके सामने कोष्ठक में लिखे वाक्यों में परिवर्तित करो-
क. 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार बनी (प्रश्नवाचक वाक्य )
स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार कब बनी?
ख. कल तुम सब बाबा साहब अंबेडकर पाठ याद करके आए थे। (आदेशात्मक वाक्य)
कल तुम सब बाबा साहब अंबेडकर पाठ याद करके आना।
ग जाति-व्यवस्था ईश्वर ने बनाई है। (निषेधात्मक वाक्य )
जाति व्यवस्था ईश्वर ने नहीं बनाई।
घ. उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया। (विधिवाचक वाक्य)
उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़ो-
क. बालक घर आ गया।
ख. वह खाना खा रहा है।
ये दोनों सरल वाक्य हैं। अब यह वाक्य देखो, ‘बालक घर आ गया और वह खाना खा रहा है। यहाँ और शब्द से दो सरल वाक्यों को जोड़कर एक संयुक्त वाक्य बनाया गया है।
योग्यता- विस्तार
प्रश्न 3 इस पाठ में आए पाँच संयुक्त वाक्य छाँटकर लिखो।
चार वर्ष बाद वे पिता के साथ सातारा आ गए और सरकारी स्कूल में भर्ती हो गए।
वे फिर महाराज से छात्रवृत्ति पाने में सफल हो गए और उच्च शिक्षा के लिए कोलंबिया चले गए।
वह उन्हें सबका प्यार और समानता का व्यवहार मिला।
उन्हों ने नौकरी छोड़ दी और मुंबई जा पहुंचे।
सन 1923 में वे मुंबई लौट आए और उन्होंने वकालत आरंभ की।