Chhattisgarh State Class 5 Hindi Chapter 17 जीवन के दोहा Solution
Chhattisgarh State Board Class 5 Hindi Chapter 17 जीवन के दोहा Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
जीवन के दोहा
प्रश्न 1. खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर लिखव
(क) छोटे अउ गरीब मनखे के काबर हिनमान नइ करना चाही ?
हमें छोटी-छोटी बातों को या वस्तुओं को कभी भी व्यर्थ नहीं समझना चाहिए। क्योंकि मिट्टी में फसले उगती है और यही फसले लोगों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है।
(ख) चारीचुगरी ल खजरी रोग काबर केहे गे हे ?
चुगली करना यह बाद खुजली के रोग जैसी है। जब हवा खुजली होने पर वहां पर खुजलाने से ठंडक मिलती है। लेकिन वहां पर बाद में दर्द होता है। उसी प्रकार चुगली करते समय हमें अच्छा लगता है लेकिन बाद में हमें दुख मिलता है।
(ग) टीका-बाना घर के मनखे ह का देखाना चाहथे ?
तिलक चंदन लगाने मात्र से कोई भी साधु नहीं बन जाता हमें यह नहीं देखना है कि सामने वाले व्यक्ति में कैसा विश किया है हमें व्यक्ति का ह्रदय, उसके मन की पवित्रता और परोपकार भाव देख यह बाते देखनी चाहिए।
(घ) बहस करे ले बने चुप रहना हे काबर ?
कई बातों पर बहस कर लेने से कोई फायदा नहीं होता। छोटी-छोटी बातों में हमें उलझे नहीं रहना है। ऐसी बेकार की तकरार से अच्छा है कि हम चुप रहे वही हमारे लिए अच्छा है।
(ड.) मूड़ सलामत रहे ले का मिलथे ?
ऐसा कहते हैं कि जब सिर सलामत होता है, तो हमें सिर पर बांधने के लिए पगड़ी या पचास मिल जाती हैं। मतलब अगर हम जीवित रहे तो हम किसी भी कार्य में सफलता पा सकते हैं।
2.) खाल्हे लिखाय दोहा के अर्थ लिखव
प्रश्न
(क) घुर्रा-माटी ल घलो कम समझें झन नीच ।
पालन-पोसन इहि करय, कमल फुलय इहि कीच ।।
हमें धूल मिट्टी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। इसी धूल मिट्टी में फसले उगती है। हमारा पालन पोषण इसी फसलों से होता है। कमल का फूल कीचड़ में होता है। लेकिन कीचड़ में उगने पर भी वह अपना महत्व कायम रखता है। उसे भगवान के चरणों में चढ़ाया जाता है। इसी प्रकार की छोटी वस्तुओं को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। यह छोटी-छोटी वस्तुएं भी बड़ी महत्वपूर्ण होती है।
(ख) चारी चुगली ल समझ, खजरी-खसरा रोग ।
खजुवावत सुख होत हे पाछू दुख ल भोग ।।
चुगली करना खुजलाने की जैसा होता है। खुजली जब होती है तब हमें वहां खुजलाने पर आनंद आता है, लेकिन बाद में वहां पर हमें दर्द भी होता है। उसी प्रकार चुगली करने से होता है चुगली करते वक्त हमें अच्छा लगता है। लेकिन बाद में जाकर हमें पछताना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है। इसीलिए कभी भी दूसरों की बुराई नहीं करनी चाहिए।
(ग) मूँड सलामत हे अगर पागा मिलय पचास ।
हाथ-गोड़ के रहत ले कर दूसर नहिं आस ।।
अगर हमारा सिर सलामत है तो हम उसे पर पचास पगड़ी बांध सकते हैं। इसका अर्थ है हमें अगर जीवित है तो हम प्रयत्न करके, कोशिश करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं होती। इसका मतलब है हमें स्वावलंबी होना चाहिए। अपना काम खुद ही करना चाहिए। दूसरों पर कभी भी निर्भर नहीं रहना चाहिए।
प्रश्न 3. अधूरा दोहा ल पूरा करव
(क) धुर्रा-माटी ल घलो, कभू न समझे नीच।
पालन-पोसन इहि करय, कमल फुलय इहि कीच ।।
टीका-बाना के धरे, होत न कोनो संत।
भीतर तो महुरा भरे, बाहिर बने महंत ।।
(ख) जउन गाँव जाना नहीं, पूछे के का काम।
पेड़ गिनाई बिरथ है, फर खाये ले काम ।।
प्रश्न 4. ओ दोहा ल छाँट के लिखव –
(क) जेन म “फर खाय ले काम, पेड़ गिने के का काम हाना के प्रयोग होय है।
जउन गाँव जाना नहीं, पूछे के का काम।
पेड़ गिनाई बिरथ है, फर खाये ले काम ।।
(ख) जेन म मूँड अउ पागा के बात है।
मूँड सलामत हे अगर पागा मिलय पचास ।
हाथ-गोड़ के रहत ले झन कर दूसर आस ।।
(ग) जेन म बात ले बात सँवरे-बिगड़े के बात केहे हे।
बात निकलथे बात ले, सेंवरय बिगडय बात।
बात-बात दूध-भात हे बात म जूता लात ।।
(घ) जेन म गरीब अउ अपन ले छोटे पद वाले मनखे के अपमान नइ करना चाही केहे गे है।
छोटे-मोटे बात बर, बहस बहुत बेकार।
उलझव झन तकरार मा. चुप्पी एमा सार।।
(ड.) जेन म बात में दूध-भात मिल सकथे अउ बात में जूता-लात घलो मिल सकथे, केहे गे है।
बात-बात दूध-भात हे बात म जूता लात ।।
भाषा अध्ययन अउ व्याकरण
उलटा शब्द (विरोधी)
संत – असंत
बाहिर – भीतर
महुरा = अमरित
-सुख – दुख
समान ध्वनि के शब्द लिखव
जइसे नीचकीच
(1) आना- जाना
(2) कहना -सुनना
(3) खाना – पीना
(4) रोना – धोना
जोड़ा शब्द लिखव
जइसे – धुर्रा-माटी
(1) तुप रोटी
(2) पेड़ पौधा
(3) टेबल कुर्सी
पर्यायवाची शब्द लिखव
चिटकून- थोड़ा
पागा – पगड़ी
प्रश्न 1. खाल्हे म लिखाय शब्द मन के हिन्दी मायने लिखव
धुर्रा- धूल
कभू – कभी
कोनो- कौन
बाहिर- बाहर
पाछू – पीछे
बिरथा- व्यर्थ
जउन-जोग
प्रश्न 2. ये शब्द मन के वाक्य म प्रयोग करव
हाँथ – गोड
मां के हाथ का खाना हमें मधुर लगता है।
चारी- चुगली
कभी भी किसी की भी चुगली नहीं करनी चाहिए।
टीका-बाना
कोई भी टीका लगाकर साधु नहीं बन पाता।
पालन-पोसन ।
किसान हमारा पालन-पोषण करता है।
प्रश्न 3. खाल्हे म लिखाय शब्द मन ल हिन्दी वर्णमाला के ओरी-पइत में लिखव
आस, परम, जउन, खजरी, टीका, कीच, फर, पागा, चिटकुन ।
आस, कीच, खजरी, चिटकुन, जउन, टीका, परम, पागा,फर