Natak Mein Natak Extra Questions and Answers Class 8 Hindi Durva Chapter 5 Prepared by Hindi Expert Teacher.
Natak Mein Natak Extra Questions and Answers Class 8 Hindi Durva
Class |
8 |
Book Title |
Durva |
Chapter |
5 |
Chapter Name |
Natak Mein Natak |
Topic |
Extra Questions and Answers |
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More Extra Questions and Answers:
अ.) उपयुक्त परिच्छेद पड़े और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।
राकेश का मन तो कह रहा था कि बिना पूरी तैयारी के नाटक नहीं खेलना चाहिए और जब नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हों, मंच पर आकर डर जाते हों, घबरा जाते हों और कुछ-कुछ बुद्ध भी हों, तब तो अधूरी तैयारी से खेलना ही नहीं चाहिए। उसके साथी मोहन, सोहन और श्याम ऐसे ही थे। राकेश को उनके अभिनय पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था। वह स्वयं अभिनय इसलिए नहीं कर रहा था कि फुटबाल खेलते हुए वह अचानक गिर पड़ा था और उसके हाथ में चोट लग गई थी और हाथ को एक पट्टी में लपेटकर गर्दन के सहारे लटकाए रखना पड़ता था।
नाटक खेलना बहुत आवश्यक था। मोहल्ले की इज्जत का सवाल था। मोहल्ले के बच्चों ने मिल-जुलकर फालतू पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में दूब व फूल-पौधे लगाए थे। वहीं एक मंच भी बना लिया था। राकेश की योग्यता पर सबको बहुत विश्वास भी था।
1.) राकेश का मन क्या कह रहा था?
राकेश का मन कह रहा था के पूरी तैयारी किए बिना नाटक नही खेलना चाहिए।
2.) राकेश को किन लोगों के अभिनय पर विश्वास नहीं था?
राकेश को मोहन, सोहन और श्याम इन लोगों के अभिनय पर विश्वास नहीं था?
3.) किसके हाथ में चोट आ गई थी?
राकेश के हाथ में चोट आ गई थी।
4.) राकेश के हाथ में चोट कैसे आ गई थी?
राकेश के हाथ में फुटबॉल खेलते वक्त गिर जाने से चोट आ गई थी।
5.) मोहल्ले के बच्चों ने कहां पर फूल और पौधे लगाए थे?
मोहल्ले के बच्चों ने फालतू पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में फूल और पौधे लगाए थे।
6.) नाटक खेलना आवश्यक क्यों था?
नाटक खेलना बहुत आवश्यक था क्योंकि यह मोहल्ले की इज्जत का सवाल था।
आ.) उपयुक्त परिच्छेद पड़े और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।
मोहन बना था चित्रकार। और सोहन बना था उर्दू का शायर। नाटक में दोनों दोस्त होते हैं। चित्रकार कहता है उसकी कला महान, शायर कहता है उसकी कला महान! श्याम बनता है संगीतकार! वह उनसे मुलाकात करने उनके उस स्थान पर आता है, जहाँ वे यह बहस कर रहे हैं। बजाय इसके कि वह नए-नए मित्रों से मधुर बातें करे, बड़े-छोटे के इस विवाद में उलझ जाता है। वह कहता है संगीतकार की कला महान!
अभी तक अभिनय अच्छी तरह चल रहा था। सबको अपना-अपना पार्ट याद आ रहा था। सब ठीक-ठीक अभिनय करते चले जा रहे थे। अचानक श्याम पार्ट भूल गया!
पर्दे की आड़ में राकेश स्वयं पूरा नाटक लिए खड़ा था। वह हर एक संवाद का पहला शब्द बोल रहा था, ताकि कलाकारों को संवाद याद आते रहें।
मगर श्याम घबरा गया। वह सहसा चुप हो गया। उसके चुप होने से चित्रकार और शायर महोदय भी चुप हो गए। होना यह चाहिए था कि दोनों कोई बात मन की ही बनाकर बात आगे बढ़ा।
1.) मोहन कौन बन गया था?
मोहन चित्रकार बन गया था?
2.) संगीतकार कौन बना है?
संगीतकार श्याम बना है?
3.) राकेश पूरा नाटक लिए कहां पर खड़ा था?
राकेश पूरा नाटक लिए पर्दे के पीछे खड़ा था।
4.) नाटक का पार्ट कौन भूल गया?
नाटक का पार्ट श्याम भूल गया।
5.) राकेश स्वयं पूरा नाटक लिए पर्दे के पीछे क्यों खड़ा था?
राकेश स्वयं पूरा नाटक लिए पहन के पीछे खड़ा था क्योंकि वह संवाद के पहला बोल बोल रहा था ताकि कलाकारों को संवाद याद रहे।
6.) जब सब चुप हो गए तब क्या होना चाहिए था?
जब सब चुप हो गए तब चित्रकार और शायर महोदय को कुछ अपने मन की बात कहनी चाहिए थी।
प्र.) 1 दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन से चार वाक्य में लिखिए।
1.) राकेश को डर क्यों लग रहा था?
नाटक के लिए केवल एक सप्ताह का समय रह गया था सभी अच्छी तरह से अपना अभिनय पूरा कर रहे थे। लेकिन राकेश को उनके बुद्धुपन से डर था। हर कोई एक दूसरे से खुद को अधिक समझदार समझता था। कभी-कभी वह भूल जाता था कि वह क्या कह रहा है बस उन्हें खाने से मतलब था। इस वजह से राकेश को डर लग रहा था।
2.) मंच पर अचानक से सभी लोग चुप क्यों हो गए?
मंच पर अभिनय अच्छी तरह से चल रहा था। सब लोग अपना-अपना अभिनय ठीक तरह से कर रहे थे। लेकिन अचानक से ही शाम अपना पाठ भूल गया। राकेश पहन के पीछे सबको संवाद का पहला शब्द बता रहा था इस वजह से सबको संवाद याद आने में कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। लेकिन शाम अचानक चुप हो गया इस वजह से चित्रकार और शेयर भी घबरा गए। वह भी चुप हो गए।
3.) शायर साहब ने अपना बुद्धूपन किस तरह से दिखाया?
शायर साहब अचानक से गुस्सा हो गए और बोल तूने भी गलत बोल दिया। मैं शायर हूं गाजर नहीं। मुझे गाजर सब कहने की बात थी क्या? और मेरी शायरी क्या तुम्हें गाजर और मूली लगती है। अगर ऐसा है तो तेरा चित्रकला झाड़ू फेरना है, पोतना है। इस तरह से शायर साहब ने अपना बुद्धूपन दिखाए।
4.) राकेश ने किस तरह से बात संभाली?
जब सभी कलाकारों ने मंच पर धमा चौकड़ी मचा रखी थी तभी राकेश मंच पर गया और जब राकेश मंच पर गया गया तब सारे लोग चुप हो गए। राकेश ने एक कुर्सी ली और उसे पर बैठ गया और कहने लगा मैं अस्पताल पट्टी बांधने गया था उसमें मुझे देरी हो गई तुम्हें मैं रिहर्सल करने के लिए कहा था। तुम रिहर्सल करने की बजे एक दूसरे से लड़ने लगे। बाकी सब ने भी राकेश जिस तरह से अभी नहीं कर रहा है उसमें उसका साथ दिया इस तरह से राकेश ने बात संभाल ली।
5.) बड़ा कलाकार कौन है?
जब नाटक समाप्त करने की बारी आई तब राकेश ने सबसे कहा कि, बड़ा कलाकार वही है जो एक दूसरे को तृतीय को ना दिखाएं और सिर्फ देखकर उसे त्रुटियों को सुधारें।
प्र.) 2 कारण लिखो।
1.) पूरी तैयारी के बिना नाटक नहीं खेलना चाहिए।
अगर हम तैयारी के बिना नाटक करने के लिए मंच पर उतरेंगे तो हम मंच पर डर जाएंगे घबरा जाएंगे हम अपने संवाद भूल जाएंगे।
2.) नाटक खेलना बहुत आवश्यक था।
नाटक खेलने मोहल्ले के बच्चों के लिए बहुत आवश्यक था क्योंकि उनकी इज्जत का सवाल था। मोहल्ले के बच्चों ने एक फालतू पड़े सार्वजनिक मैदान में पेड़ पौधे लगाए। और उसके साथ-साथ वहां पर एक मंच बना दिया।
3.) राकेश स्वयं अभिनय नहीं कर रहा था।
राकेश फुटबॉल खेलते हुए अचानक गिर गया था इस वजह से उसके हाथ में बहुत चोट आई थी और हाथ को एक पट्टी में बांधकर गार्डन के सहारे लटकाए रखना पड़ता था। इस वजह से राकेश स्वयं अभिनय नहीं कर रहा था।
4.) पर्दे की आड़ में राकेश स्वयं पूरा नाटक लिए खड़ा था।
राकेश पर्दे की आड़ में रहकर हर एक संवाद का पहला शब्द बोल रहा था इस वजह से सभी लोगों को अपने संवाद अच्छी तरह से याद आते रहे।
5.) राकेश दांत पीस रहा था।
राकेश की सारी मेहनत पर पानी फिर गया था। आखिर में कलाकार अपने संवाद भूल गए थे। सभी लोग उनके अभिनय पर हंसने लगे थे। इस वजह से राकेश दांत पीस रहा था।
6.) राकेश को अचानक मंच पर आना पड़ा
श्याम अपने संवाद भूल गया इस वजह से चित्रकार और संगीतकार इन दोनों में बहस छिड़ गई। जहां पर बात संभल लेनी चाहिए थी वहां पर उन दोनों ने भी सारी बात बिगाड़ दी। इस वजह से राकेश को अचानक मंच पर आना पड़ा।
7.) आखिर में दर्शक भौचक्के रह गए।
समय पर आकर राकेश ने नाटक में जो गड़बड़ी हुई थी वह ठीक कर दी। उसने अचानक से आकर सारी बात संभाल ली। इस वजह से नाटक बहुत अच्छा हुआ। दर्शकों को ऐसा लगा के नाटक में ही नाटक चल रहा है इस वजह से दर्शक भौचक्के रह गए।
प्र.) 3 एक-एक वाक्य में उत्तर लिखो।
1.) नाटक में कितना समय था?
नाटक में केवल एक सप्ताह का समय था।
2.) कलाकारों की हिम्मत बढ़ाते हुए राकेश ने उनसे क्या कहा?
तुम लोग पानी पियो और मां को साहसी बनो। कलाकारों की हिम्मत बढ़ाते हुए राकेश ने उनसे यह बात कही।
3.) कौन चित्रकार बना था?
मोहन चित्रकार बना था।
4.) संगीतकार साहब ने गाजर साहब यह शब्द किसके लिए बोले?
संगीतकार साहब ने गाजर साहब यह शब्द शायर साहब के लिए बोले।
5.) राकेश को गुस्सा क्यों आ रहा था?
राकेश ने जो भी मेहनत की थी उसे मेहनत पर पानी फिर गया था इस वजह से राकेश को गुस्सा आ रहा था।
6.) दर्शक भौचक्के क्यों रह गए?
दर्शकों को लग रहा था के नाटक बिगड़ गया लेकिन यहां तो नाटक नहीं नाटक बसा हुआ था इस वजह से दर्शक भौचक्के रह गए।
प्र.) 4 नीचे कुछ कलाकारों के नाम दिए हैं इस नाटक में उन्होंने कौन सी भूमिका निभाई यह लिखो।
1.) राकेश – निर्देशक
2.) मोहन – चित्रकार
3.) सोहन – उर्दू का शायर
4.) श्याम – संगीतकार
प्र.) 5 रेखांकित किए गए स्थान पर सही शब्दों का प्रयोग करें और वाक्य फिर से लिखें।
1.) अचानक वह पार्ट भूल गया।
अचानक श्याम पार्ट भूल गया।
2.) समय था केवल सात दिन का।
समय था केवल एक सप्ताह का।
3.) उस ने फिर हिम्मत बढ़ाई।
राकेश ने फिर हिम्मत बढ़ाई।
4.) तभी तेजी से वह मंच पर पहुंच गया।
तभी तेजी से राकेश मंच पर पहुंच गया।
पाठ से आगे
प्र.) 1 दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखो।
1.) आपने कभी किसी नाटक में भाग लिया है क्या?
हमारे पाठशाला में कोई न कोई गतिविधि होती रहती हैं। ऐसे ही एक बार हमारे पाठशाला से नाटक की रचना की गई थी। तब हमने भी उसे नाटक में भाग लिया था। नाटक के प्रैक्टिस करते वक्त हम सब दोस्तों ने बहुत मजे किए। रंगमंच पर भी यह नाटक हमने अच्छी तरह से प्रस्तुत किया।
2.) आपकी पाठशाला में कौन-कौन सी गतिविधियां होती है।
हमारे पाठशाला में बहुत सारी गतिविधियां होती है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम राष्ट्र गीत पर बहुत सारे कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। इस के साथ-साथ पाठशाला का एक वार्षिक सम्मेलन भी होता है जिसमें हम नृत्य नाटक ऐसी गतिविधियों में भाग लेते हैं। इसके व्यतीरे स्कूल से कई बार रेलिया निकलती है हम उसमें भी भाग लेने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी विज्ञान प्रदर्शन भी हमारी पाठशाला की ओर से आयोजित किया जाता है।
3.) आपको पाठशाला में पढ़ाई के अलावा कौन कौन से कार्यक्रम में भाग लेना पसंद है?
हमें पाठशाला में पढ़ाई के अलावा बहुत सारे कार्यक्रमों में भाग लेना पसंद है। जैसे की नृत्य करना नाटक में भाग लेना इसके साथ-साथ पाठशाला में कहीं स्पर्धाएं भी आयोजित की जाती है जैसे के निबंध स्पर्धा, हस्ताक्षर स्पर्धा, विज्ञान स्पर्धा ऐसे कार्यक्रमों में भी हम भाग लेते हैं। मुझे ऐसे कार्यक्रम में भाग लेना बहुत पसंद है। इस वजह से हमारा व्यक्तित्व का विकास हो जाता है।
4.) क्या अपने घर वालों को बिना बताए दोस्तों के साथ छिपकर कोई नाटक देखा है?
एक बार हमारी परीक्षाएं शुरू होने वाली थी। तभी मेरा मनपसंद नाटक लगा था। नाटक का नाम तो याद नहीं लेकिन यह नाटक छत्रपति शिवाजी महाराज के ऊपर लिखा गया था। इस वजह से मुझे यह नाटक देखना ही था। और उसके अगले दो-तीन दिन बाद मेरी परीक्षा शुरू होने वाली थी इस वजह से मम्मी पापा ने नाटक में जाने के लिए सख्त मनाई कर दी थी। लेकिन मैं अकेला ही ऐसा नहीं था मेरे साथ मेरे कई दोस्त ऐसे थे जिनको यह नाटक देखना था। उनके घर से उन्हें सम्मति तो मिली थी लेकिन मैं ही अकेला ऐसा था जिसे सम्मति नहीं मिली थी। उसी दिन मम्मी पापा को कहीं बाहर जाना पड़ा और मैं अपने दोस्तों के साथ नाटक देखने के लिए चला गया। लेकिन यह बात मैं जब परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया तो मैं मां पापा से कह दी।
5.) क्या आप बड़े होकर नाटककार या लेखक बनना चाहेंगे?
अगर मुझे बड़ा होकर नाटक कार्य लेखन बनना पड़े या फिर मुझे इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाने का मौका मिले तो मैं नाटक या लेखक बनना जरूर चाहूंगा। क्योंकि मुझे पाठशाला के अलावा जो भी किताबें होती है वह पढ़ना अच्छा लगता है। इसके साथ-साथ पाठशाला में जो नाटक होते हैं कई बार वह नाटक में लिख देता हूं इस वजह से अगर मुझे एक क्षेत्र में कैरियर करने का मौका मिला तो मैं नाटक कार्य लेखक बनना चाहूंगा।
प्र.) 2 व्यक्तिमत्व विकास इस विषय पर निबंध लिखें।
व्यक्तित्व विकास मतलब हमें हमारे अंदर के जो गुण है जो कलाए है उनका विकास करना चाहिए। हमें हमारा खुद का विकास करना चाहिए। हमारी जिंदगी में यह करना बहुत जरूरी होता है। इसे ही हमारी प्रगति होती है। पढ़ाई के साथ-साथ हमें कई सारे गतिविधियों में भी भाग लेना आवश्यक है। तभी हमारा विकास होता है।
जब हम अलग अलग गतिविधियों में भाग लेते हैं तब हम बहुत कुछ सीखते है। कभी कभी हम समूह में रहकर काम करते हैं तब हम बहुत कुछ सीखते है। इस से हमारी सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है। समूह में रहकर कैसे काम करना चाहिए यह बात हम सीखते हैं।
इसके साथ साथ ही हमारे गुणों का विकास भी हो जाता है। हमे सबसे कुछ न कुछ सीखने मिलता है। नई जगह पर जाना, वहा पर रहना, नए नए लोगों से मिलना इस वजह से हमारा व्यक्तित्व समृद्ध हो जाता है। हर वक्त नया सीखने मिलता है।
कई बार हम हमारे अंदर कौन से गुण हैं, उनका हमे समाज में किस तरह से उपयोग करना चाहिए यह बात पता नही होती। जब हम अलग अलग गतिविधियों में भाग लेते हैं तब इन बातों का हमे पता चल जाता हैं और विकास भी हो जाता है। उस समय हम नई नई बाते, नया काम सीखते है। हमे लोगों से किस तरह से बात करनी चाहिए और क्या बात करनी चाहिए यह भी हमें सीखने मिलता है।
ऐसे बहुत सारे करने से हमारे व्यक्तित्व का विकास अपने आप हो जाता है। इसके लिए बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती। हमने अगर दूसरों की अच्छाई देखने की ताकत है और अपने अंदर अच्छे गुणों का निर्माण हम करना चाहते हैं तो हमारे व्यक्तित्व का विकास हो ही जाता है।
प्र.) 3 नीचे कुछ नाटक के नाम दिए हैं यह नाटक किसने लिखें वह लिखो।
1.) कृष्ण – सुदामा – शिवनंदन सहाय
2.) महाराणा प्रताप – राधाकृष्ण दास
3.) सुभद्रा – रामनरेश त्रिपाठी
4.) द्रौपदी – सुरेंद्र वर्मा
5.) अंधा युग – धर्मवीर भारती
6.) महा भोज – मन्नू भंडारी
भाषा की बात
प्र.) 1 नीचे कुछ मुहावरे दिए हैं उनका अर्थ लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग करें।
1.) हिदायते देना – सलाह देना
कभी भी किसी को बिना पूछे हिदायत नहीं देनी चाहिए।
2.) दिल जोरों से धड़कना – डर लगना
मंच पर जाते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था।
3.) अक्लमंदी दिखाना – होशियारी दिखाना
राहुल ने अचानक से आकर सारी बात संभाल ली और अपने अक्लमंदी दिखाइ।
4.) इज्जत मिट्टी में मिल जाना – छी थू होना
कभी भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे अपने और दूसरों की इज्जत मिट्टी में मिल जाए।
5.) भौचक्के रहना – आश्चर्य होना
अस्पताल में बच्चों की हालत देखकर सारे लोग भौचक्के रह गए।
6.) उलझ जाना – कुछ नही सूझना
परीक्षा पास आने की वजह से बच्चे क्या करना है क्या नही करना इस बात में उलझ गए।
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