MP Board Class 9 Hindi Navneet Chapter सुदामा चरित Solution
Madhya Pradesh State Board Class 9 Hindi Navneet Chapter सुदामा चरित full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
अभ्यास
बोध प्रश्न
(क) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) कृष्ण और सुदामा कौन थे?
कृष्ण और सुदामा बचपन के दोस्त थे।
(2) सुदामा की पत्नी ने उन्हें क्या सलाह दी ?
सुदामा की पत्नी सुदामा को यह सलाह देती हैं कि हम पर जो भी विपत्ति आई है इसका समाधान तुम्हारे मित्र कृष्ण के पास होगा और वह द्वारिका के राजा है तुम उनके पास चले जाओ वह हमारी मदद जरूर करेंगे।
(3) शबरी के आश्रम में कौन आए थे ?
राम और लक्ष्मण यह दोनों भाई शबरी के आश्रम में आए थे।
(4) शबरी ने राम को प्रेम सहित खाने को क्या दिया ?
शबरी ने राम को प्रेम सहित कंदमूल और फल खाने के लिए दिए।
(5) शबरी के मुँह से शब्द क्यों नहीं निकल पा रहे थे?
शबरी के मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे क्योंकि वह राम के प्रेम में मग्न हो गई थी।
(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) शबरी ने अपने आश्रम में श्री राम का किस प्रकार स्वागत किया?
शबरी के आश्रम में जब श्री राम आए तब शबरी ने उनका आदर सत्कार किया। उनके पैर जल से धो दिए। उन्हें बैठने के लिए एक सुंदर आसान दे दिया। इस तरह से शबरी ने प्रेम पूर्वक श्री राम का स्वागत किया।
(2) द्वारपाल द्वारा वर्णित सुदामा का चित्र अपने शब्दों में लिखिए।
द्वारपाल ने श्री कृष्ण से सुदामा का चित्रण किया कि द्वार पर एक व्यक्ति आया है वह अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। उसके सिर पर पगड़ी नहीं है और नहीं उसके शरीर पर अच्छे कपड़े भी नही हैं। धोती और दुपट्टा जीर्ण होकर फट गया है। उसने पैरों में जुते नहीं पहने हैं। वह महलों की तरफ देख रहा है और अपना नाम सुदामा कह रहा है।
(3) सुदामा द्वारा पोटली न दिए जाने पर कृष्ण ने कौन सी बातें याद दिलाई ?
सुदामा ने जब कृष्ण को चावल की पोटली नहीं दी। तब कृष्ण को बचपन की याद आ गई। वह कहने लगा के तुम्हें याद है हमें गुरु मां ने भी ऐसे ही एक चने की पोटली दी थी और कहा था जब भूख लगे तब खा लेना। क्योंकि उन्होंने हमें जंगलों में लकड़ियां इकट्ठा करने के लिए भेजा था। वह चने तुमने चुपचाप रास्ते में ही खा लिए थे। तुम्हारी अभी यही आदत है। सुदामा द्वारा पोटली न दिए जाने पर कृष्ण को यह बातें याद आ गई।
(4) बिना भक्ति के मनुष्य की स्थिति किस प्रकार की हो जाती है?
जैसे पानी के सिवाय बादल होते हैं। यह बादल किसी काम के नहीं होते। इन बादलों से बरसात नहीं होती। इन बादलों की तरह ही बिना भक्ति के मनुष्य की स्थिति हो जाती है।
(5) शबरी और राम प्रसंग सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण है, समझाइए।
श्री राम ने शबरी ने दिए हुए फल कंदमूल बड़े प्रेम से खा लिए। शबरी ने भी श्री राम और लक्ष्मण का स्वागत आदर पूर्वक किया। श्री राम और लक्ष्मण ने जाति पाति ऊंच नीच इस भेदभाव को नहीं देखा शबरी के प्रेम को महत्व दिया।
(ग) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(1) श्री कृष्ण और सुदामा की मैत्री का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
श्री कृष्णा और सुदामा की मैत्री एक अनोखी मैत्री थी। वह दोनों बचपन के दोस्त द। उन्होंने शिक्षा भी एक ही आश्रम से प्राप्त कर ली थी। लेकिन श्री कृष्णा बड़े होकर राजा बन गए और सुदामा दरिद्र बन गए। वह भीख मांग कर अपना गुजारा चला लेते थे। सुदामा की पत्नी ने जब सुदामा से कहा कि तुम अपने मित्र के पास जो वह इस समस्या का कुछ ना कुछ हल जरूर निकलेगा। अपनी पत्नी की बात मानकर सुदामा श्री कृष्ण के पास चले गए। जब श्री कृष्ण को पता चला कि अपने बचपन के दोस्त सुदामा द्वार पर खड़े हैं तब वह सारा कामकाज छोड़कर उसके पास चले गए। उसकी दशा देखकर उनके नेत्र से आंसू बहने लगे। अपने आंखों से निकले हुए आंसुओं से ही उन्होंने अपने मित्र के पैर धो दिए।
(2) सुदामा ने जय द्वारका का वैभव देखा तो उनके मन में क्या विचार आए?
सुदामा नेचर श्री कृष्ण के महल को देखा तब वह अचंभित रह गए। उन्होंने वहां देख के सारे भवन स्वर्ण से निर्मित है। वहां पर कोई किसी से बात भी नहीं कर रहा। ऐसा लगता था कि सभी देवी देवताओं की तरह बैठे हुए हैं।
(3) नवधा भक्ति समझाइए।
श्री राम जी में शबरी को भक्ति के नौ प्रकार बताए थे इन्हें ही नवधा भक्ति के नाम से जाना जाता है।
पहले प्रकार है कि संत साधुओं की संगत में रहना, दूसरा प्रकार है श्री राम के कथा में प्रेम रखना, तीसरी भक्ति गुरु के चरणों की सेवा करना, चौथी भक्ति में छल कपट का त्याग करके भगवान का गुणगान करना, पांचवी भक्ति में उन्होंने मंत्र का जाप करने के लिए कहा, छठी भक्ति में अपने इंद्रियों को अपने काबू में रखना, सातवीं भक्ति में सारे संसार को भगवान का स्वरूप मानना, सब में समान भाव रखना, आठवीं भक्ति में जो मिला है उसमें संतोष रखना और किसी के दोष न देखना और नवी भक्ति में सबके साथ अच्छे से प्यार से व्यवहार करना, भगवान पर अटूट श्रद्धा रखना, हमेशा उत्साहित, प्रसन्न रहना यह कहा है।
(4) निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) ऐसे बेहाल बेवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए। हाय! महादुख पायी सखा, तुम आए इतै न किर्त दिन खोए। देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए । पानी परात को हाथ छु नहि, नैनन के जल सो पग धोए ॥
सुदामा कृष्ण के महल पर कृष्ण से मिलने आया था। जब श्री कृष्ण ने सुदामा को देखा तब वह उनकी स्थिति देखकर अचंभित रह गए। उन्होंने देखा कि उनकी दशा अच्छी नहीं है। उनके कपड़े जीर्ण होकर फटने लगे थे। उनके पैरों में बहुत सारे कांटे लगे हुए थे। तब श्री कृष्ण ने सुदामा से पूछा कि तुम मुझे इससे पहले मिलने क्यों नहीं? आए तुम इतने कष्ट क्यों सही? इतने दिन तक तुम कहां थे फुल? सुदामा की यह दशा देखकर श्री कृष्णा के नेत्र से आंसू बहने लगे इन्हीं आंसुओं से श्री कृष्ण ने सुदामा के पैर धो डाले।
काव्य सौन्दर्य
(क) रूढ़, यौगिक और योगरूढ़ शब्द छाँटिए-
पंकज, मित्र गुरुबंधु, दीनबंधु, घर, मुकुट, किनारीदार, राजधर्म
रूढ़ – धर, मित्र, मुकुट
यौगिक- किनारीदार, गुरुबंधु, दीनबंधु
योगरूढ – पंकज, राजधर्म
(ख) दिए गए शब्दों में उपसर्ग और प्रत्यय छोटिए- सुशील, परलोक, अनाथन, अधीर, बेहाल, चतुराई।
शब्द | उपसर्ग | प्रत्यय |
सुशील | सुर | |
परलोक | पर | |
अनाथन | न | |
अधीर | अ | |
बेहाल | बे | |
चतुराई | आई |
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
1.) सत्य, धर्म, प्रिय, सुलभ, सुमति अहित, सुअवसर, संत
सत्य – असत्य
धर्म – अधर्म
प्रिय – अप्रिय
सुलभ – कठिन
सुमति – कुमती
अहित – हित
सुअवसर – दुष्ट
संत – असंत
2.) निम्नलिखित शब्दों के 3-3 पर्यायवाची शब्द लिखिए-
नभ, कमल लोचन, जग, पिता।
नभ – आकाश, आसमान, अंबर
कमल – पंकज, सरोज, नीरज
लोचन – आंखे, नयन, नेत्र
जग – दुनिया, संसार, लोक
पिता – जनक, तात, जन्मदाता
ध्यान से पढ़िए-
ते दीड बंधु प्रेम जनु जीते। गुरु पद कमल पलोटत प्रीते ॥
बार-बार मुनि आज्ञा दोन्ही रघुवर जाइ सघन तब कीन्हीं ॥
चापत चरन लखनु डर लाए। सभय सप्रेम परम सचु पाए |
पुनि पुनि प्रभु कह सोहु ताता पौड़े धरि उर पद जलजाता ॥
उठे लखनु निसि बिगत सुनि, अरुनसिखा धुनि कान
गुरु पहिलेहिं जगत्पत्ति, जागे रामु सुजान ॥
अब समझिए
(1) यह प्रसंग किस काव्य से लिया गया है?
यह प्रसंग रामचरितमानस से लिए गए हैं।
(2) रामचरितमानस’ के उपर्युक्त अंश में कौन से छन्द आए हैं?
रामचरितमानस’ के उपर्युक्त अंश में चौपाई छंद और दोहा छंद है।
(3) चौपाई और दोहा छन्द की क्या पहचान है?.
चौपाई और दोहा छंद में प्रत्येक चरण में 1616 मात्राएं होती है। यह मात्रिक छंद है।
4.) इस पाठ में किन-किन छन्दों को तुलसीदास ने अपनाया है। प्रत्येक छन्द का इसी पाठ से एक-एक उदाहरण लिखिए।
तुलसीदास में ने इस पाठ में चौपाई छंद को अपनाया है।
बिनु पग चले सुने बिनु काना । कर बिनु कर्म करे विधि नाना ॥ तनु बिन परस नयन बिनु देखा। गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥
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