Karnataka 2nd PUC Hindi Prose Chapter 4 एक कहानी यह भी Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 4.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Prose Chapter 4 Ek Kahani Yah Bhi.
Karnataka 2nd PUC Hindi Prose Chapter 4 – एक कहानी यह भी Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 4
- Chapter Name – एक कहानी यह भी.
I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
I.) मन्नू भंडारी का जन्म किस गाँव में हुआ ?
मध्य प्रदेश के भानपुर गांव में मन्नू भंडारी का जन्म हुआ।
2.) अजमेर से पहले मन्नू के पिता कहाँ थे ?
अजमेर से पहले मन्नू के पिता इंदौर इस शहर में थे।
3.) लेखिका की बड़ी बहन का नाम लिखिए।
लेखिका की बड़ी बहन का नाम – सुशीला
4.) पाँच भाई–बहनों में सबसे छोटी कौन है ?
मन्नू भंडारी यह पांच भाई बहनों में सबसे छोटी है।
5.) महानगर के फ्लैट में रहनेवाले लोग क्या भूल गए हैं ?
महानगर के फ्लैट में रहने वाले लोग अपने परंपरागत पड़ोसी कलर को भूल गए हैं।
6.) पिताजी का आग्रह क्या था ?
इस पाठ के लेखिका मन्नू भंडारी रसोई से दूर ही रहे ऐसा पिताजी का आग्रह था।
7.) पिताजी रसोई घर को क्या कहते थे ?
पिताजी रसोई घर को भटियार खाना कहते थे।
8.) मन्नू भंडारी को प्रभावित करने वाली हिन्दी प्राध्यापिका का नाम लिखिए।
मन्नू भंडारी को प्रभावित करने वाली हिंदी प्राध्यापिका का नाम शील अग्रवाल था।
9.) कॉलेज से किसका पत्र आया ?
कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया।
10.) पिताजी के अंतरंग मित्र का नाम लिखिए ।
पिताजी के अंतरंग मित्र का नाम अजमेर के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित डॉक्टर अंबालाल था।
11.) शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है ?
15 अगस्त 1947 शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
12.) ‘एक कहानी यह भी की लेखिका कौन हैं ?
लेखिका मन्नू भंडारी एक कहानी यह भी इस पाठ की लेखिका है।
I) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) मन्नू भंडारी के बचपन के बारे में लिखिए।
मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुर गांव में हुआ। पांच भाई बहनों में वह सबसे छोटी थी। मन्नू भंडारी बचपन में दुबली और मरियल सी थी। वह काली भी थी। उसके पिताजी की कमजोरी गोरा रंग था। इस वजह से हमें चाहिए उसे 2 साल बड़ी गोरी स्वस्थ और हंसमुख बहन सुशीला के साथ उसकी तुलना की जाती थी। उसकी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी। जब उसके सबसे बड़े बहन की शादी हुई तब वह 7 साल की थी।
2.) पिताजी के प्रति लेखिका के क्या विचार थे ?
लेखिका के पिताजी को इंदौर में बड़ा मान सम्मान मिलता था उनका बड़ा नाम था। कांग्रेस के साथ-साथ में समाज सुधार के कानून से भी जुड़े हुए थे। शिक्षा के वे केवल उपदेश नहीं देते थे बल्कि उन दिनों आठ – आठ दस – दस विद्यार्थियों को अपने घर रखकर पढ़ाया है जिनमें से कई तो बाद में ऊंचे ऊंचे और दम पर पहुंचे। वे संवेदनशील व्यक्ति थे लेकिन कभी-कभी बेहद क्रोधी और अहंवादी भी हो जाते थे। मन्नू को उन्होंने कभी रसोई में नहीं जाने दिया वे रसोई को हमेशा भटियारखाना कहते थे। वे शक्ति स्वभाव के बन गए थे।
3.) लेखिका बचपन में कौन–कौन से खेल खेलती थीं?
लेखिका ने अपने बचपन में बहन सुशीला के साथ बहुत सारे खेल खेले हैं जैसे – सतोलिया, लंगड़ी टांग, पकड़म पकड़ाई, काली टीलो यह सारे खेल उसने घर के आंगन में खेले हैं। तो घर के अंदर मतलब कमरों में पास पड़ोस की सहेलियों के साथ गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाया है। भाइयों के साथ गिल्ली डंडा, पतंग उड़ाना, कांच पीसकर मांजा सूतने का भी काम किया है।
4.) ‘पड़ोस कल्चर‘ के बारे में लेखिका क्या कहती हैं ?
पड़ोस कल्चर के बारे में लेखिका रहती है कि पहले के जमाने में घर की दीवारे घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थी बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थी। इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी। कई घर तो अपने ही परिवार का हिस्सा थे। लेकिन आज मुझे बड़ी शिद्दत के साथ यह महसूस होता है कि अपनी जिंदगी खुद जीने के इस आधुनिक दबाव में महानगरों के फ्लैट में रहने वालों को हमारे इस परंपरागत पड़ोस कल्चर से भी चिन्ह करके हमें संकुचित और सहाय और सुरक्षित बना दिया है।
5). शीला अग्रवाल का लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा ?
दसवीं कक्षा तक यह आलम था कि बिना किसी समझ के घर में होने वाली बहन से लेखिका सुनती थी और बिना चुनाव किए बिना लेखक की अहमियत से परिचित हुए किताबें पढ़ती थी। लेकिन 45 में जैसे ही दसवीं पास करके वह फर्स्ट ईयर में आई उसका परिचय शील अग्रवाल इस प्राध्यापिका से हुआ। सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल जहां लेखिका ककहरा सीखा 1 साल पहले ही कॉलेज बना था और वह इसी साल नियुक्त हुई थी उन्होंने बाकायदा साहित्य की दुनिया में प्रवेश करवाया।
6.) पिताजी ने रसोई को ‘भटियारखाना‘ क्यों कहा है ?
जब मन्नू के भाई बाहर पढ़ने चले गए और उसकी बड़ी बहनों की शादी हो गई तब पिताजी मन्नू की ओर ध्यान देने लगे। बाकी की लड़कियां स्कूल जाने के साथ-साथ, पढ़ाई करने के साथ-साथ घर के कामों में भी निपुण थी। लेकिन मन्नू के पिताजी मन्नू को रसोई घर से दूर रखते थे। वे रसोई घर को भटियारखाना कहते थे। उन्हें लगता था कि रसोई काम करना मतलब अपने कलागुन, प्रतिभा के क्षमता को भट्टी में झोंक देना।
7). एक दकियानूसी मित्र ने मन्नू भंडारी के पिता से क्या कहा ?
जब स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था तब आजाद हिंद फौज का मुकदमा चल रहा था। इसी के सिलसिले में हर जगह हड़ताल की गई थी। स्कूल कॉलेजेस के छात्र चौराहे पर इकट्ठा हुए थे और भाषण बाजी कर रहे थे। तभी मन्नू के पिताजी के एक दकियानुसे मित्र थे। उन्होंने पिताजी से कहा कि लड़कियों को आजादी दी गई है इसका मतलब यही नहीं कि वह हड़ताल करवा दे, उल्टी सीधी हरकतें कर दे। अच्छे घराने की लड़कियों को यह शोभा देते हैं क्या? उन्हें अपनी इज्जत का कोई ख्याल भी है क्या?
8.) मन्नू भंडारी की माँ का परिचय दीजिए।
मन्नू की मां का स्वभाव पिताजी से बिल्कुल ही उल्टा था। मन्नू के पिताजी पढ़े लिखे थे पर मन्नू की मां पढ़ी-लिखी नहीं थी। लेकिन उनमें सहनशक्ति धैर्य बहुत था। पिताजी का वह हर कहना मानती थी। बच्चों की भी हर फरमाइश पूरी करती थी। वह सब की इच्छाओं का ख्याल रखती थी सबकी आज्ञाओं का पालन करती थी। सारे बच्चे अपनी मां से बहुत प्यार करते थे।
III) निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे ?
1.) ‘लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए तब बुलाना ।“
लेखिका मन्नू भंडारी ने अपनी मां से कहा।
2.) ” हमारे आपके घरों की लड़कियों को शोभा देता है यह सब ?”
पिताजी के एक मित्र ने पिताजी से कहा।
3.) * बंद करो अब इस मन्नू का घर से बाहर निकलना । ‘
लेखिका के पिताजी ने मतलब मन्नू के पापा ने अपनी पत्नी से कहा।
4.) ‘आइ एम रिअली प्राउड आफ यू।‘
डॉ अंबालाल ने मन्नू भंडारी के पिताजी से कहा।
5.) ‘यू हैव मिस्ड समथिंग ।‘
डॉ अंबालाल ने मन्नू भंडारी के पिताजी से कहा।
- IV) ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
1.) ‘एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी ।‘
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य गौरव पाठ्य पुस्तिका के एक कहानी यह भी इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
संदर्भ. इस वाक्य से मन्नू अपने पिता के स्वभाव का परिचय दे रही है।
स्पष्टीकरण. लेखिका मन्नू के पिताजी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। वे इंदौर में रहते थे। तब उनका नाम था उन्हें प्रतिष्ठा थी सम्मान था। राजनीति में जो घटना घटी उसके वजह से वह बड़े क्रोध में आ गए। उनके साथ विश्वास घात हुआ था इसी वजह से वह अजमेर आ गए। इसी वजह से उनका स्वभाव क्रोधी और शक्ति भी बन गया था।
2.) ‘पिता के ठीक विपरीत थीं हमारी बेपढ़ी–लिखी माँ।‘
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य गौरव पाठ्य पुस्तिका के एक कहानी यह भी इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
संदर्भ. इस वाक्य में लेखिका ने अपने मां के स्वभाव का परिचय दिया है।
स्पष्टीकरण. मन्नू भंडारी के पिताजी का स्वभाव जैसा था उसका विरोधी स्वभाव उसकी मां का था। उसकी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी। उनका स्वभाव में सहनशीलता थी। वह अपने बच्चों की सारी फरमाइशी पूरी करती थी। पिताजी के स्वभाव को भी समझती थी।
3.)’ यह लड़की मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी।‘
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य गौरव पाठ्य पुस्तिका के एक कहानी यह भी इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
संदर्भ. यह वाक्य मनु के पिताजी मन्नू की मां से जब कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया था तब कहते हैं।
स्पष्टीकरण. मन्नू के पिताजी को समझ में हमेशा ही मान-सम्मान मिलता था। उन्हें ऐसे ही लगता था कि समाज में उनका नाम हो सम्मान हो ऐसे ही हमें कार्य करने चाहिए। एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आता है और उसमें यह लिखा होता है कि आपकी बेटी के खिलाफ अनुशासनात्मक करवाई क्यों न की जाए। इसी वजह से मन्नू के पिताजी आग बबूला होकर कहते हैं कि यह लड़की मुझे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रखेगी।
4.) वे बोलते जा रहे थे और पिताजी के चेहरे का संतोष धीरे–धीरे गर्व में बदलता जा रहा था।‘
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य गौरव पाठ्य पुस्तिका के एक कहानी यह भी इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
संदर्भ. डॉ अंबालाल जब मन्नू की तारीफ कर रहे थे तब पिताजी के चेहरे का संतोष धीरे-धीरे गर्व में बदलता जा रहा था।’
स्पष्टीकरण . जब आजाद हिंद सेना पर मुकदमा चलाया जा रहा था तब सारे कॉलेज, स्कूल के बच्चे हड़ताल करके रास्ते पर उतर आए थे और भाषण दे रहे थे। मन्नू ने भी भाषण दिया। उस वक्त पिताजी के एक मित्र ने मन्नू की शिकायत मन्नू के पिताजी से की। इस वजह से मन्नू के पिताजी को क्रोध आ गया था। इसके बाद पिताजी को उनके एक मित्र डॉ अंबालाल मिल गए। उन्होंने मन्नू की बड़ी तारीफ की। वे तारीफ कर रहे थे और पिताजी के चेहरे का संतोष धीरे-धीरे गर्व में बदलता जा रहा था।’
5.) ‘क्या पिता जी को इस बात का बिलकुल भी अहसास नहीं था कि इन दोनों का रास्ता ही टकराहट का है ?
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य गौरव पाठ्य पुस्तिका के एक कहानी यह भी इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी है।
संदर्भ. इस वाक्य के माध्यम से लेखिका अपने और अपने पिताजी के विचारों में जो अंतर है वह बताती हैं।
स्पष्टीकरण – लेखिका और उसके पिताजी के विचारों के बीच बहुत भिन्नता थी। दोनों ही अलग-अलग विचारों के व्यक्तित्व थे। एक को विशिष्ट बनने की लालसा थी, और दूसरे को अपनी सामाजिक छवि जतन करनी थी। पर यह संभव नहीं लग रहा। क्या पिताजी को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं था कि दोनों का रास्ता ही टकराहट का है?
V) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए:
1.) एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए थे। (वर्तमान काल में बदलिए)
एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए है।
2.) वे जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगते नहीं हैं। ( भूतकाल में बदलिए)
उन्होंने जिंदगी भर अपने लिए कुछ नहीं मांगा।
3.) उनका भाषण सुनते ही बधाई देता हूँ। (भविष्यत् काल मे बदलिए)
उनका भाषण सुनते ही बधाई दूंगा।
VI) विलोम शब्द लिखिए:
पाप, नैतिक, सही, सम्भव, सुरक्षित, सक्रिय, व्यवस्थित |
पाप- पुण्य
नैतिक – अनैतिक
सही – गलत
संभव – असंभव
सुरक्षित – असुरक्षित
सक्रिय – असक्रिय
व्यवस्थित – अव्यवस्थित
VII) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर नए शब्दों का निर्माण कीजिए:
प्रतिष्ठित, हद, यश, क्रिया ।
शब्द | उपसर्ग | नए शब्द |
प्रतिष्ठित | अ | अप्रतिष्ठित |
हद | बे | बेहद |
यश | सु | सुयश |
क्रिया | प्रति | प्रतिक्रिया |
Also See: Chapter No. 2 Question Answer Solution