Karnataka 1st PUC Hindi Prose Chapter 7 मेरी बद्रीनाथ यात्रा Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 7.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Prose Chapter 7 Meri Badrinath Yatra.
Karnataka 1st PUC Hindi Prose Chapter 7 – मेरी बद्रीनाथ यात्रा Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 7
- Chapter Name – मेरी बद्रीनाथ यात्रा.
एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१) कालिदास ने हिमालय को क्या कहा है?
कालिदास ने हिमालय को नगाधिराज कहा है।
२) यात्रा के नियम के अनुसार लेखक पहले कहाँ गये?
यात्रा के नियम के अनुसार लेखक पहले केदारनाथ गए।
३) केदारनाथ की शीत ऋतु की राजधानी का नाम क्या है?
केदारनाथ की शीत ऋतु की राजधानी का नाम उषीमठ है।
४) सबसे ऊंचे स्थान पर बना हुआ मंदिर कौन-सा है?
सबसे ऊंचे स्थान पर हिंदुओ का तुंगनाथ मंदिर बना हुआ है।
५) आठ वर्ष की प्यारी बच्ची का नाम क्या है?
आठ वर्ष की प्यारी बच्ची का नाम संध्या था।
६) जोषीमठ से बद्रीनाथ कितने मील की दूरी पर है?
जोषीमठ से बद्रीनाथ 19 मील की दूरी पर है।
७) किस पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थीं?
कीम मतलब शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थीं।
८) बदरीनारायण मंदिर कितने फुट की ऊंचाई पर है?
10480 फूट ऊंचाई पर बदरीनारायण मंदिर है।
- II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
(१) हिमालय की विशेषता का वर्णन कीजिए।
कालिदास ने हिमालय को नगाधिराज व्यर्थ ही नहीं कहा है। सदा ही सफेद बरसे ढाका रहने वाला यह पर्वत संसार का सबसे पर ऊंचा पर्वत माना गया है। यह पर्वत सबसे सुंदर भी है। इसके आंचल में न जाने कितनी गंगाई निरंतर अलख जगाती है। इसी के देवदारों और भोजपत्र के वनों में हिंसक पशुओं के साथ-साथ नाभि में सुगंध भरे कस्तूरी मृग भी रहते हैं। यही हर समय नाना रूप रंग वाले पक्षियों का कलरव होता है।
२) बद्रीनाथ यात्रा में लेखक और उनके साथियों की दिनचर्या लिखिए।
बद्रीनाथ यात्रा में लेखक और उनके साथी सवेरे 3:00 बजे उठते थे। बिस्तर समेत नित्य के कम से छुट्टी बातें और भर भाव को समन शॉप कर 4:00 बजे तक आगे बढ़ जाते थे। प्रतिदिन 12 से 18 मिल तक चलते। सुख दुख की बातें करते बद्री विशाल की जय बुलवाते हंसते खिलखिलाते पहाड़ी ढलान पर बनी छोटे-छोटे गांव खेतों में काम करते नर नारियों को देखते, चट्टियों पर चाय नाश्ता लेते और उनसे झगड़ते हम अगले पड़ाव पर पहुंच जाते।
३) तुंगनाथ शिखर के सौंदर्य के संबंध में लेखक ने क्या कहा है?
उषीमठ होते हुए 29 में को सेवर ठीक 4:00 बजे सब लोग तुंगनाथ की ओर चल पड़े। 12080 फीट ऊंचे इस शिखर से सीमा शिखर का जो भव्य दृश्य देखने को मिला वह अपूर्व था। तीन मिल की चढ़ाई और पैर तोड़ देने वाली उत्तराई हमें तनिक भी नहीं थका साकी। जैसे-जैसे अंधकार दूर होता गया वैसे-वैसे ही उन शिखर का रंग पेलता गया। एक के बाद एक शिकार स्मित हास्य से लगभग जगमगा कर उठ गए। उनकी इंद्रधनुषी साड़ी हवा में उड़ने लगी। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चौखंबा सभी रजत शिखर सूर्य के प्रकाश में चमक रहे थे।
४) बद्रीनाथ की घाटी का चित्रण कीजिए।
बद्रीनाथ की घाटी में केदारनाथ की घाटी जैसा सौंदर्य नहीं है। हिम शिखर नहीं है वह जगह हरी-भरी नहीं दिखती। केवल अलकनंदा का रूपजाल है। कई जगह बर्फ के प्राकृतिक पुल बन गए थे और इधर-उधर से धाराएं ऐसे भाग रही थी जैसे नटखट बालक गुरुजनों के घेरे को तोड़कर शोर मचाते हुए निकल भागे है।
५) बद्रीनारायण मंदिर की विशेषता पर प्रकाश डालिए।
10480 फुट की ऊंचाई पर बद्रीनारायण का मंदिर बना हुआ है। कहते हैं कि आदेश शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी। उससे पहले की कहानी अंधकार में है। अलकनंदा के दोनों और के पर्वत नारायण कहलाते हैं। कभी यहां बेरी का वन था बद्री को बेर भी कहते हैं। इसी कारण नारायण यहां बद्री नारायण के नाम से प्रसिद्ध है।
निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे ?
(१) ‘अरे बिच्छू बिच्छू!”
वयोवृद्ध सज्जन ने दल के सदस्यों से कहा।
२) ‘कहिए, दिल जम गया या बच गया ।”
लेखक ने मित्र से कहा।
(३)मंजिल पर पहुँच जाने पर रोमांच हो ही आता है।
लेखक ने पाठकों से कहा है।
४) यात्रा का यह अस्थायी स्नेह भी कितना पवित्र होता है।
लेखक ने पाठकों से कहा है।
IV) ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
(१) ऐसे प्रदेश में पहुँचकर अकवि भी कवि और अदार्शनिक भी दार्शनिक बन जाता है ।
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया है इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ. जब लेखक हिमालय की सुंदरता देखते हैं तब वह कहते हैं की ऐसे प्रदेश में पहुँचकर अकवि भी कवि और अदार्शनिक भी दार्शनिक बन जाता है ।
स्पष्टीकरण. जब लेखक ने हिमालय की सुंदरता देखी तो उन्हें लगा कि हिमालय जैसा सौंदर्य कहीं पर भी नहीं है। यह सदाबहार से ढका रहता है और संसार का सबसे ऊंचा पर्वत ही नहीं सबसे सुंदर भी है। ऐसे प्रदर्शन में पहुंचकर और कभी भी कभी और आदर्शनिक भी दार्शनिक बन जाते हैं
२) यह मार्ग अपेक्षाकृत भयानक है, इसलिए इसका सौंदर्य भी अभी अछूता है।
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया है इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ. लेखक चमौली पर पहुंच जाते है। वहा के मार्ग के बारे में बताते वक्त लेखक यह कहता है।
स्पष्टीकरण. केदारनाथ से लौटते हुए बीच में सभी यात्री एक ऐसे मार्ग पर मुड़ गए जो हमें चमौला पहुंचता था। वहां से पीपल कोठी के लिए बस मिलती है। इसी मार्ग पर केदारनाथ की शीतल रितु की राजधानी उषीमठ और हिंदुओं का सबसे ऊंचे स्थान पर बना हुआ मंदिर तुंगनाथ है। यह मार्ग अपेक्षाकृत भयानक है, इसीलिए इसका सौंदर्य भी अछूता है।
३) हाय राम, वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था, पर वह चलता क्यों नहीं?
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया है इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ. लेखक और सभी साथी जब केदारनाथ की यात्रा पर गए थे तो कभी-कभी अनायासी कोई हंसी का पात्र बन जाता।
स्पष्टीकरण. एक दिन सभी छोटी चट्टी पर खाना खा रहे थे तभी इस दल के एक वयोवृद्ध सज्जन चिल्ला उठे अरे बिच्छू बिच्छू सभी लोग चौंक गए और बिच्छू को ढूंढने लगे। किसी तरह उन्होंने कहा कि यहां मेरी जांघ पर। सचमुच वहां पर बिच्छू लग रहा था पर वह चल नहीं रहा था। सब लोगों ने मोमबत्तियां उठा कर देखा तो वह चाबियां का गुच्छा निकला जो उनकी जेब से लटक कर जांघ पर आ गया था।
(४) जम कैसे सकता था, हमने वहाँ पानी लगने ही नहीं दिया।
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया है इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ. सभी यात्री केदारनाथ घाटी से गरुड़ गंगा पहुंच गए। सभी को स्नान करना था। लेकिन यात्री में उनके एक मित्र थे जिनको नहाना आवश्यक नहीं लग रहा था।
स्पष्टीकरण. सभी यात्री गरुड़ गंगा में पहुंच गए। यहां सुना कि जो गंगा में स्नान कर बिना देख पत्थर का एक टुकड़ा पूजा करने के लिए घर ले जाता है उसे सांपों का डर नहीं रहता। लेकिन हां उनके एक मित्र थे जो यात्रा में नहाना ही आवश्यक नहीं समझते थे। फिर यह इस यात्रा में हर कहीं पानी रक्त को जमा देता है। उन्हें नहाने के लिए विवश किया गया तो बेचारे नहाने गए। लौटे तो वह बुरी तरह कांप रहे थे। सब ने पूछा कहिए दिल जम गया या बच गया। बोले जाम कैसे सकता था हमने वहां पानी ही लगे नहीं दिया था।
५) वह आकर्षण है— सरल भक्ति का, प्रकृति के वैभव का।
प्रसंग. यह गद्यांश साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के मेरी बद्रीनाथ यात्रा इस पाठ से लिया गया है इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ. जब सभी यात्री बद्रीनाथ पहुंचे तब वहां के प्रकृति को देखते हुए लेखक ने यह वाक्य कहा है।
स्पष्टीकरण. बद्रीनाथ का मंदिर 10480 फुट की ऊंचाई पर बना हुआ है। कहते हैं कि आदेश शंकराचार्य ने स्थापित किया था। नहीं मालूम सत्य क्या है पर वहां की स्थिति देखकर कल्पना की जा सकती है न जाने कितनी बार हम के भयंकर तूफानों ने इस मंदिर को नष्ट किया होगा और फिर संघर्षील मानव ने श्रद्धा के बल पर पत्थरों की यह बोलती दीवारें चुन्नी होगी। वर्तमान मंदिर कला की दृष्टि से कोई महत्व नहीं रखता फिर भी उसमें एक आकर्षक है वह आकर्षण सरल भक्ति का प्रकृति के वैभव का।
(v) वाक्य शुद्ध कीजिए:
१) हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठता था।
हम प्रतिदिन सवेरे तीन बजे उठते थे।
२) वह तो सचमुच बिच्छू लग रही थी ।
वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था।
३) लेकिन ये कथाएँ कहाँ तक कहा जाए।
लेकिन ये कथाएं कहां तक कहीं जाएं।
४) मंदिर में पूजा हो रहा था।
मंदिर में पूजा हो रही थी।
- VI) कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिए:
(के, ने, का, पर)
१) मंजिल पर पहुँच जाने पर रोमांच हो ही आता है।
२) कहते हैं कि प्राचीन काल में भगवान ने नर-नारायण के रूप में यहाँ तप किया था।
३) देवदारू के पेड़ भी इधर बहुत हैं ।
(४) तीन दिन तक हम उस प्रदेश का वैभव देखते रहे।
VII) निम्नलिखित वाक्यों को सूचना के अनुसार बदलिए:
१) हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठते थे। (वर्तमान काल में बदलिए)
हम प्रतिदिन सवेरे तीन बजे उठते हैं।
२) अधिकांश यात्री पैदल चलते हैं। (भविष्यत् काल में बदलिए)।
अधिकांश यात्री पैदल चलेंगे।
3) बद्रीनाथ हमें पुकार रहे हैं। (भूतकाल में बदलिए)
बद्रीनाथ हमें पुकार रहे था।
VIII) अन्य लिंग रूप लिखिए:
बालक, भक्त, कवि, भगवान, वृद्ध ।
बालक – बालिका
भक्त – भक्तिन
कवि – कवयित्री
भगवान – भगवती
वृद्ध – वृद्धा
- IX) अन्य वचन रूप लिखिए: रानी, यात्रा, दर्शन, ऋतु, कहानी, चोटी, भाषा ।
रानी – रानियां
यात्रा – यात्राएं
दर्शन -दर्शन
ऋतु – ऋतुए
कहानी – कहानियां
- X) विलोम शब्द लिखिए:
आगे, ऊँचा, उठना, उतार।
आगे – पीछे
ऊंचा – नीचा
उठना – बैठना
उतार – चढ़ाव
- XI) निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
इसी गरुड-गंगा से पाताल गंगा की चढ़ाई आरम्भ होती है। गंगा सचमुच पाताल में है और किनारे का पहाड़ हमेशा टूटता रहता है। सड़क के नाम पर पगडंडी इतनी सँकरी और टेढ़ी-मेढ़ी है जैसे काली भयानक घटा में बिजली की चमक। लेकिन सुना जाता है, कि इसी प्रदेश में पार्वती ने शिव से विवाह करने के लिए तप किया था। वर्षों पत्ते खाकर रही थी, इसीलिए आज भी यह पर्णखंड या पैखंडा कहलाता है। यही कहानियाँ सुनते सुनते हम जोषीमठ जा पहुँचे। यहाँ से बद्रीनाथ केवल १९ मील रह जाता है। यह आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। यहाँ पर हमने कीमू अर्थात शहतूत का वह पेड़ देखा, जिसके बारे में सुना जाता है कि उसके नीचे बैठकर प्रतिभापुंज शंकर ने उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थीं। नीचे छोटा सा कस्बा है। उसमें भी कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में जो मूर्तियाँ हैं उनमें से कई कला की दृष्टि से बड़ी सुन्दर हैं।
प्रश्न
१) पाताल गंगा की चढ़ाई कहाँ से आरम्भ होती है?
गरुड़ गंगा से पाताल गंगा की चढ़ाई आरम्भ होती है
२) पार्वती ने किससे विवाह करने के लिए तप किया था?
पार्वती ने शिव से विवाह करने के लिए तप किया था।
३) जोषीमठ से बद्रीनाथ कितने मील की दूरी पर है ?
जोषीमठ से बद्रीनाथ 19 मील दूर लंबा है।
४) जोषीमठ की स्थापना किसने की थी?
जोषीमठ की स्थापना शंकराचार्य ने की थी।
५) शंकराचार्य ने उपनिषदों पर टीकाएँ किस पेड़ के नीचे बैठकर लिखी थीं?
शंकराचार्य ने किमू मतलब शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर उपनिषदों पर टीकाएँ लिखी थीं।