Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 1 कुटिया में राजभवन Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 1.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Poem Chapter 1 Kutiya mein Rajbhavan.
Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 1 – कुटिया में राजभवन Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 1
- Chapter Name – कुटिया में राजभवन.
- I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१) सीता जी का मन कहाँ भाया?
सीता जी का मन कुटिया में भाया।
२)सीता जी के प्राणेश कौन थे?
सीता जी के प्रणेश रघुनंदन श्री राम थे।
३) सीता जी कुटिया को क्या समझती हैं?
सीता जी अपनी कुटिया को राजभवन समझती है।
(४) नवीन फल नित्य कहाँ मिला करते हैं?
नवीन फल नित्य डाली डाली पर मिला करते हैं।
५) सीता की गृहस्थी कहाँ जगी ?
वन में सीता की गृहस्थी जगी है।
६) वधू बनकर कौन आयी है?
वधू बनाकर जानकी आई है।
७)सीता की सखियाँ कौन हैं?
सीता की सखियाँ मुनि बालायें है।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) सीता जी अपनी कुटिया में कैसे परिश्रम करती थीं?
सीता पहले अपने श्री राम के साथ राजभवन में रहती थी। लेकिन जब से वह राजभवन छोड़कर वन में आई थी उसने अपने सारे काम करना शुरू कर दिए। उसके साथ कोई दासी नहीं आई थी। वह श्री राम और तेवर लक्ष्मण के साथ एक कुटिया में रहने लगी। अब वह अपने सारे घर के कम जैसे भोजन पकाना, कुटिया की सफाई करना, पानी लाना यह सब वह करने लगी। इससे बहुत स्वयं पूर्ण होने लगी थी।
२) सीता जी प्रकृति सौंदर्य के बारे में क्या कहती हैं?
सीता राज भवन छोड़कर श्री राम और लक्ष्मण सहित वन में आकर रहने लगी थी। इसके बारे में सीता जी कहती है कि मुझे प्रकृति में रहने का वहां पर घूमने फिरने का मौका मिला है यह मेरा सौभाग्य है। यहां की शुद्ध हवा, पशु पक्षियों की चहचहाट यह सब मन को उत्साहित कर देते हैं। ऐसा लगता है कि मैं किसी राजभवन में ही हूं।
३) सीता जी कुटिया में कैसे सुखी हैं?
सीता जब से कुटिया में रहने लगी है तब से उसने अपनी कुटिया को ही राजभवन बना लिया है। सीता के साथ उनके पति श्री राम और देवर लक्ष्मण है। वह प्रकृति में रहती है। प्रकृति का सौंदर्य उसे हर वक्त भाता रहता है। कुटिया में रहने से वह अब किसी पर निर्भर नहीं रहती।
४) ‘कुटिया में राजभवन’ कविता का आशय संक्षेप में लिखिए ।
सीता जी अपने देवर लक्ष्मण और पति श्री राम के साथ वन में आई। और वहां पर अपनी छोटी सी कुटिया में रहने लगी। अब वही कुटिया उसे राज भवन की तरह लगने लगी है। उसे कुटिया के सारे काम सीताजी स्वयं करती है। उनके पास यह काम करने के लिए कोई दासी नहीं है। यहीं पर वह अपना राज्य सुख सकती है। वह कहती है प्रकृति में जो धन है जो राज वैभव है वह अमूल्य है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) औरों के हाथों यहाँ नहीं पलती हूँ,
अपने पैरों पर खड़ी आप चलती हूँ,
श्रमवारि – बिन्दु फल स्वास्थ्य – शुक्ति फलती हूँ
अपने अंचल से व्यजन आप झलती हूँ ।
प्रसंग. यह प्रत्यक्ष साहित्य वैभव इस पुस्तक के कुटिया में राज भवन इस कविता से लिया गया है। इस कविता की रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त है।
संदर्भ. इन पंक्तियों में सीता रहती है कि मैं यहां पर स्वभाव लंबी बनी हुई हूं। मैं यहां पर ऐसा महसूस करती हूं जैसे मै राजभवन में रह रही हूं।
स्पष्टीकरण. इन पंक्तियों से सीता जी कहना चाहती है कि मैं यहां पर किसी पर निर्भर नहीं रहती। में यहां पर अपने काम खुद कर लेती हूं। जीवन मैं अगर सच्चा आनंद प्राप्त करना है तो हमें बहुत परिश्रम करना होगा। मेहनत करने से ही हमें आनंद मिलता है।
२)कहता है कौन कि भाग्य ठगा है मेरा?
वह सुना हुआ भय दूर भगा है मेरा |
कुछ करने में अब हाथ लगा है मेरा,
वन में ही तो गार्हस्थ्य जगा है मेरा ।
प्रसंग. यह प्रत्यक्ष साहित्य वैभव इस पुस्तक के कुटिया में राज भवन इस कविता से लिया गया है। इस कविता की रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त है।
संदर्भ. जब से सीता जी श्री राम और लक्ष्मण के साथ वन में आई है तब से बहुत साधारण लोगों की तरह जीना जी रही है इसके लिए वह खुद को सौभाग्यवान मान रही है।
सप्ष्टीकरण. सीता जी कुटिया में रहकर भी आनंदित है। उन्हें बाहर राजभवन में रहने का आनंद मिल रहा है। वह कहती है कि कौन कहता है कि हमारा भाग्य ठगा गया है? यहां पर किसी भी चीज का भय नहीं लगता। हर वक्त किसी न किसी काम में मन लगा रहता है। वन में रहते हुए भी वह गृहस्थ जीवन का आनंद ले रही है।