Karnataka 1st PUC Hindi Madhyugin Kavya Chapter 1 कबीरदास के दोहे Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 1.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Madhyugin Kavya Chapter 1 Kabirdas ke dohe.
Karnataka 1st PUC Hindi Madhyugin Kavya Chapter 1 – कबीरदास के दोहे Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 1
- Chapter Name – कबीरदास के दोहे.
एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१ ) किसके प्रताप से सब दुःख दर्द मिटते हैं?
सदगुरु के प्रताप से सब दुःख दर्द मिटते हैं।
२) कबीर के गुरु कौन थे ?
रामानंद जी कबीर के गुरु थे।
३) कबीर किस पर बलिहारी होते हैं?
कबीर अपने गुरू पर बलिहारी होते हैं।
४) माटी कुम्हार से क्या कहती है ?
माटी कुम्हार से कहती है के तुम क्यों मुझे रौंदते हो ? एक दिन ऐसा आएगा कि मैं तुझे रौंदूंगी।
५) किसको पास रखना चाहिए ?
हमें हमेशा अपने निंदकों को अपने पास रखना चाहिए।
६) कस्तूरी कहाँ बसती है?
मृग के नाभि में कस्तूरी बस्ती है।
७) कबीर किसकी राह देखते हैं?
भगवान राम की राह कबीर देखते हैं।
८) क्रोध किसके समान है?
क्रोध मृत्यु के समान है।
९) दुःख में मनुष्य क्या करता है?
दुःख में मनुष्य भगवान को याद करता है।
(१०) कबीरदास के अनुसार किसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए?
कबीरदास के अनुसार साधु, सज्जन लोगों की जाती नहीं पूछनी चाहिए।
- II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) गुरु की महिमा के बारे में कबीर क्या कहते हैं?
कबीर कहते है कि हमारे जीवन में गुरु का बहुत महत्व है। गुरु भगवान से भी बढ़कर होता हैं। गुरु हमे जीवन जीने का, आगे बढ़ने का मार्ग बताते हैं। कबीर जी भाग्यशाली हैं जिनको रामानंद जैसे गुरु मिले। गुरु के ही प्रताप से जीवन मे हम दुखों से दूर रहते हैं। अगर भगवान और गुरु सामने आते है तो कबीर पहले अपने गुरु को नमन करेगें।
२) जीवन की नश्वरता के बारे में कबीर के क्या विचार हैं?
मनुष्य को कभी भी गर्व नहीं करना चाहिए, क्योंकी जिस मिट्टी को वह रौंदता है? वह मिट्टी उसे पूछती हैं कि तुम मुझे क्यों रौंदते हो? बाद में मनुष्य की मृत्यु होने के बाद यही मिट्टी मनुष्य को रौंद देती हैं। मनुष्य का जीवन क्षण भंगुर हैं। इसका हमे गर्व नहीं करना चाहिए।
३) दया और धर्म के महत्व का वर्णन कीजिए।
कबीर कहते हैं की जिस जगह दया होती हैं उसी जगह पर धर्म भी होता हैं और जहा पर लोभ होता हैं वहा पर पाप होता है। जहा पर क्रोध होता है वहा पर मृत्यु भी होती है। जिस जगह क्षमा होती हैं वही पर भगवान बस्ते है। इसीलिए हमे हमेशा दयावान होना चहिए। दया और धर्म इन दो गुणों का आचरण करना चाहिए। लोभ और क्रोध करने से जीवन में तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से हमे दया, क्षमा और धर्म को अपनाना चाहिए। तभी हमे ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।
४) समय के सदुपयोग के बारे में कबीर क्या कहते हैं?
कबीर कहते है की हमे कभी भी समय का दुरुपयोग नही करना चाहिए। जो काम कल करना है वही काम हमे आज करना चाहिए और जो काम आज करना है उसी को अभी करना चाहिए। क्योंकि कल क्या हो किसीको नहीं पता।
५) कबीर के अनुसार ज्ञान का क्या महत्व है?
कबीर कहते है कि हम जब तलवार खरीदने जाते है तब हम तलवार का मूल्य पूछते है ना की उसके म्यान का ऐसे ही अगर हमे ज्ञान की प्राप्ति करनी है तो हमे साधु सज्जनों से जाति नहीं पूछनी। उनके पास जो ज्ञान का भंडार हैं उसे हमे अपनाना चाहिए।
III ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय । इक दिन ऐसो होयगो, मैं रौंदूंगी तोय ॥
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पुस्तक के कबीरदास के दोहे इस कविता से लिया गया है। इस कविता के लेखक कबीरदास है।
संदर्भ. कबीरदास जी हमसे कहते है की यह जीवन क्षणभंगुर है। इस वजह से हमे किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए।
स्पष्टीकरण. हमारा जीवन नश्वर होता है। कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं। इस वजह से हमे हमारे जीवन में कभी घमंड नहीं करना चाहिए। जिस तरह से कुम्हार मिट्टी को रौंदता है तब मिट्टी कुम्हार से पूछती है तुम मुझे क्यों रौंदते हो? एक दिन ऐसा देखने आएगा कि मैं तुझे रौंदूंगी।
२) कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन मांहि । ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखै नांहि।।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पुस्तक के कबीरदास के दोहे इस कविता से लिया गया है। इस कविता के लेखक कबीरदास है।
संदर्भ. कबीर कहते है की भगवान हमारे पास ही होते है। हमे वह दिखाई नही देते।
स्पष्टीकरण. कबीर कहते है की सभी जगह पर राम, भगवान बेस हुए हैं। लेकिन उसे पूजा, उपासना, कर्मकांड इन इन सबमें ढूंढते रहते है। लेकिन भगवान हमारे पास ही होते है। जैसे की मृग के नाभि में ही कस्तूरी छिपी हुई होती है। लेकिन उसे इस बात का पता नही होता। इसी तरह भगवान भी हमारे अंदर ही बसे होते है।
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