तुलसीदास निबंध | Tulsidas in Hindi | Hindi Essay | Tulsidas Essay in hindi.
भारत के महान कवि तुलसीदास के नाम से हर कोई परिचित है। तुलसीदास जी का संपूर्ण नाम गोस्वामी तुलसीदास था। तुलसीदास जी का जन्म श्रावण शुक्ल को हुआ था। वर्ष 2021 में तुलसीदास जी कि 524 वी जयंती मनाई गई। तुलसीदास जी हिंदुस्तान तथा एक महान कवि थे। रामचरित्र मानस किताब तुलसीदास द्वारा लिखे गए। यह प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण तथा प्रसिद्ध पुस्तक है।तुलसीदास यहां राम जी के महान भक्त थे।वह राम जी की भक्ति किया करते थे। तुलसीदास यह प्राचीन काल के एक महान कवि तथा साहित्यकार थे । तुलसीदास जी की अनेक रचनाओं ने समाज सुधारने का कार्य किया है। तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के द्वारा समाज सुधारना कि है। तुलसीदास जी महान लेखक होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में चले आ रहे हैं प्राचीन तथा कुप्रथा विरोध किया था।
भारत के मध्य युगीन काल में कई कुप्रथा ने हिंदू समाज में आ गई थी । इन सारे कुप्रथा का विरोध तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के द्वारा किया। संसार को सही मार्गदर्शन उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा किया। मध्य काल में भारतीय हिंदू समाज में पाखंड ने अपने पैर पसार लिए थे। अनेक कुप्रथा से हिंदू समाज जकडl गया था। हिंदुओं की धार्मिक स्थिति खराब हो चुकी थी l
जब समाज में बुराई अत्यंतिक बड़ जाती है तो उनका निवारण करने के लिए समाज सुधारक की अत्यंत आवश्यकता होती है। समाज का सही मार्गदर्शन देने के लिए समाज सुधारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के इतिहास के मध्य युगीन काल में यही कार्य तुलसीदास जी ने किया। राह भटके समाज को सही मार्ग दिखाने की उन्होंने कोशिश कीl
मध्ययुगीन काल में हिंदुओं की धार्मिक स्थिति सुधारने के लिए तुलसीदास जी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। हिंदू समाज में फैले पाखंड तथा बुराइयों को कम करने की कोशिश की। समाज सुधारक के रूप में तुलसीदास जी का कार्य प्रशंसनीय है। तुलसीदास जी ने हिंदू समाज के गुणों को बढ़ावा दिया तक। तथा जलन पीड़ा तथा हिंसा से तेज दुर्गुणों का विरोध किया। हिंदू समाज में द्वेष भावना को फैलने से रोकने में तुलसीदास जी के अहम भूमिका रही है।
जैसे की हम सभी जानते हैं तुलसीदास जी राम के महान भक्त थे। मूर्तियों को मुस्लिम शासकों द्वारा तोड़ा जा रहा था उस समय भी तुलसीदास जी ने अपनी भक्ति बनlई रखी । तुलसीदास धार्मिक कट्टरता का विरोध करते थे तथा उदारवाद का साथ देते थे। तुलसीदास राम परम भक्त है परंतु उन्होंने कभी मुसलमानों के लिए अपने मन में द्वेष भावना रखता। हमेशा मुसलमान तथा हिंदुओं के एकता पर जोर देते थे। धार्मिक सहिष्णुता पर उनका हमेशा जोर रहता थाl भगवान श्री राम तथा शबरी की कथा प्रदर्शित कर तुलसीदास जी ने छुआछूत का विरोध किया था। तुलसीदास जी भारतीय संस्कृति के रक्षक थे। तुलसीदास जी हमेशा ही सतोगुनो की उपासना और दुर्गुणों का विरोध करते थे।
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