Chhattisgarh State Class 5 Hindi Chapter 9 श्रम के आरती Solution
Chhattisgarh State Board Class 5 Hindi Chapter 9 श्रम के आरती Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
श्रम के आरती
गतिविधि
शिक्षक लइका मन ल दू दल म बाँट के एक-दूसर ले मुँहखरा प्रश्न पूछय ल कहय । प्रश्न अइसन हो सकत हैं-
क. ‘श्रम के आरती’ कविता के कवि के नाव बतावव।
‘श्रम के आरती’ इस कविता के कवि का नाम भवानी प्रसाद मिश्र यह है।
ख. हमला कोनो ले काबर नइ डरना चाही ?
हमें मुश्किलों से बाधाओं से नहीं डरना चाहिए।
ग. छत्तीसगढ़वासी मन श्रम के आरती काबर उतारत है ?
छत्तीसगढ़ वासियों को नई सूरज का आगमन होने के लिए आरती उतारते हैं।
बोधप्रश्न
प्रश्न 1. खाल्हे लिखाय प्रश्न मन के उत्तर लिखक-
क. ‘श्रम के आरती उतारत हन के का अर्थ है ?
श्रम की आरती का अर्थ बहुत मेहनत करने से है, बहुत कष्ट करने से है।
ख. मिल के पौगा ह हाँक पार के का कहत है ?
मजदूर कहते हैं यह भोंगे की जो आवाज है वह हमे जागने और मेहनत करने का संदेश देती है।
ग. दुनिया ल सुखी बनाय बर छत्तीसगढ़ के मनखे मन का करत है ?
दुनिया को सुखी बनाने की खातिर छत्तीसगढ के लोग मेहनत करते है।
घ. भुइयाँ कइसे हरिया जाये ?
जब भूमि में नांगर चलाया जाता है तब भूमि हरी भरी होती है।
ड. कवि के अनुसार काकर नाव अमर हो जाये ?
जो मेहनत करता है, को परिश्रम करता है उसका नाम अमर होता हैं।
प्रश्न 2. ये पंक्ति मन के अरथ स्पष्ट करद-
क. कल अउर कारखाना जतका, मिल मा पोंगा बाजत हावय।
रोज कहत है हाक पार के, जोंगर वाला जागत हावय।।
जब जब कारखाने का भोंगा बजता है तब तब हमे यह संदेश मिलता है के अब हमे जागना चाहिए। हमे कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
ख. सोना कस तन बूता के धुन मा, माटी कस करिया जाथे।
नागर जब गड़थे, भुइयाँ के कोरा हाँसत हरिया जाथे।
दिन रात मेहनत करने से हमारा सोने जैसा शरीर काला हो गया है। जब हम नगर जमीन में चलता है तो यह धरती हसते हंसते हरी हो जाती है।
ग. नइ थकिस कभू चन्दा सुरुज, दिन-रात रथे आगू-पाछू ।
रहिथे करनी के नींव अमर, नइ रहय भरम के बहिरासू ।।
चंदा और सूरज दिन रात अपना काम करते है। वो कभी थकते नहीं। हमे भी बिना थके अपना काम करना चहिए जो लोग बिना थके काम करते है तो वह अमर हो जाते है।
प्रश्न 3. खाल्हे लिखाय भाव कविता के जेन पंक्ति में आय हे, ओ पंक्ति ल छाँट के लिखय-
क. संसार के सुख के खातिर हमन दुख सहिके कड़ा महिनत करत हन ।
दुनिया के सुख बर दुख सहिके, पथरा ले तेल निकारत हन । हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन ।।
ख. हमन अमरित कुंड ले बड़े जतन करके अमरित निकालत हन
सुस्ता के अमरित कुंड आज हम, गजब जतन ले झारत हन । हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन ।।
ग. जम्मो मनखे बर एक नीत बने ये सोचके हमन सुनता के मसाल बारत हन
जम्मो मनखे बर एक नीत, सुनता-मसाल हम बारत हन। हम नवा सुरुज परधाए बर श्रम के आरती उतारत हन ।।
भाषातत्व अउ व्याकरण
प्रश्न 1. खाल्डे लिखाय मुहावरा मन के अरथ लिखव
श्रम के आरती
पसीना – गारना
पथरा ले तेल निकालना
जागरवाला
भरम के बहिरासू सुनता-मसाल
प्रश्न 2. खड़ी बोली म समान अरथ वाला शब्द लिखद-
सुरुज- सूर्य
अउर- और
पथरा – पत्थर
माटी- मिट्टी
करिया- काला
भुइयाँ- भूमि
अमरित – अमृत
मनखे – मनुष्य
जतन- उपाय
गुनवान- सदगुनी
अवगुन- बुरा
नीत – नियम
नाव- नाम
प्रश्न 3 पाठ म आय अइसन शब्द मन ल छाँट के लिखव जेकर उल्टा अर्थ वाला शब्द घलो कविता म आय है जइसे सुख-दुख
चंदा – सूरज
आगे- पीछे
हंसे – थूंके