Chhattisgarh State Class 5 Hindi Chapter 4 मैं सड़क हूं Solution
Chhattisgarh State Board Class 5 Hindi Chapter 4 मैं सड़क हूं Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
मैं सड़क हूं
प्रश्न 1. सड़क बनाने के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
सड़क बनाने के लिए रेती फावड़ा ,कुदाल, सीमेंट, डांबर, रोड रोलर, परात इन सब की जरूरत पड़ती है।
प्रश्न 2. सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बनने से क्या होता है?
जगह-जगह गड्ढे बनने से कई बार दुर्घटना हो जाती है, कई लोगों की मौत भी हो जाती है।
प्रश्न 3. सड़क पर स्पीड ब्रेकर क्यों बनाए जाते है?
वहां नौकरी गति नियंत्रण में लाने के लिए सड़क पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं।
प्रश्न 4 सड़क दुर्घटना से बचने के लिए क्या क्या उपाय करना चाहिए।
गाड़ी की गति मर्यादा में रखनी चाहिए, हेलमेट पहनना चाहिए, फुटपाथ के ऊपर से ही चलना चाहिए, शराब पीकर गाड़ी नहीं चलनी चाहिए, मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 5. सड़क के दोनो ओर छायादार वृक्ष लगाने चाहिए। क्यों?
सड़क के दोनों और छायादार वृक्ष लगाने की वजह से जो लोग फुटपाथ पर चलते हैं उनको गर्मी की वजह से तकलीफ नहीं होगी। सड़क पर शीतल छाया बनी रहेगी। सबको ठंडक मिलेगी।
प्रश्न 6. क्या तुम इस बात से सहमत हो कि गाँव-गाँव में सड़कों के विकास होने से जन-जीवन आसान हो गया है। इसकी पुष्टि हेतु तर्क दीजिए।
गांव गांव में सड़के बनने की वजह से गांव वालों का जीवन आसान हो गया है क्योंकि गांव से शहर आने में लोगों को पहले तकलीफ होती थी। अब सड़के बनने की वजह से वहां से बसेस आती जाती रहती है। इसलिए लोग प्रवास कर सकते हैं। जो लोग व्यवसाय करते हैं, वह शहर आकर अपना काम कर सकते हैं। उनकी आर्थिक तरक्की भी होती है। जो लोग नौकरी के लिए शहर आते हैं उनको भी इन सड़कों की वजह से घर और काम की जगह आने-जाने में परेशानी नहीं होती।
प्रश्न 7. पगडंडी व सड़क में क्या अंतर है ?
पगडंडियां चट्टानों में होती है झाड़ियां से ढके हुए होती है वहां पर आने जाने में परेशानी होती है सड़क सपाट होती है हम आसानी से उसे पर से यात्रा कर सकते हैं।
प्रश्न 8. कभी-कभी मेरे इन दुखदायी गड्ढों को भर दिया जाता है, किसी फटे हुए कपड़े में लगी थेगडी (पैबंद) की तरह।’ लेखक ने गड्ढों को भरने की क्रिया को फटे हुए कपड़े में पैबंद लगाने के समान बताया है।
इसी प्रकार तुम इनकी तुलना में क्या लिखोगे?
क. सड़कों पर पड़े कूड़े करकटों के ढेर के लिए।
सड़कों पर कूदे करकतों का जो देर होता है उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे हम डंपिंग ग्राउंड में आ गए हैं जहां पर सिर्फ कचरा ही कचरा होता है।
ख. सड़क के किनारे खड़े हरे हरे वृक्षों की पंक्तियों के लिए।
सड़क के किनारे जो वृक्ष खड़े होते हैं उनसे हमें शीतल छाया मिलती है इसलिए उसकी तुलना हम ठंड बर्फ इसिके साथ कर सकते है।
प्रश्न 8. मान लो सड़क बोल सकती तो वह इनसे क्या कहती,लिखो-
क. अपने ऊपर कूड़ा फेंकनेवालों से ?
यहां पर कूड़ा मत फेंको यह लोगों की चलने की जगह है।
ख. केले के छिलके पर पाँव पड़ने से अपने ऊपर गिरनेवाले बालक को सांत्वना देते हुए?
अरे अरे मुझे माफ कर देना क्या करूं यह लोग सुनते ही नहीं है।
ग. धूप के ताप से शीतल करने वाले वृक्षों से?
धन्यवाद तुम्हारी वजह से यहां पर ठंडाई बनी रहती है गर्मी से हमारा बच्चा होता है।
प्रश्न. 10. सड़क ने स्वयं को अजगर के समान बताया है। तुम इन्हें किनके समान बताओगे-
क. एक बहुत ही विकराल, काले–कलूटे, बड़े-बड़े बाल और बड़े दाँतों वाले आदमी को
राक्षस
ख. एक बहुत ही बड़े तालाब के समान
ग. हरे-भरे वृक्षों, कुटियों के बीच बनी पाठशाला को
जंगल में पाठशाला
प्रश्न 11. इनमें से अनुपयुक्त को अलग निकालो-
(अ) सड़क जोड़ती है- (ब) सड़क पर हमेशा-
क. गाँव से गाँव को बायी ओर चलना चाहिए
ख. गाँव से शहर को ख. वाहन तेज गति से नहीं चलाना चाहिए
ग.शहर से शहर को ग. कचरा फेंक देना चाहिए
घ. शहर से आकाश को घ. संकेतों को ध्यान में रखकर चलना चाहिए।
अनुपयुक्त:- घ. शहर से आकाश को
ग. कचरा फेंक देना चाहिए
भाषातत्व और व्याकरण
प्रश्न 1. नीचे लिखे गद्यांश में विरामचिह्नों का प्रयोग करो-
स्कूल कॉलेज अस्पताल महल झोंपड़ी बाग बगीचे हाट बाजार और भी न जाने कहाँ कहाँ मेरी पहुँच है कहने का मतलब यह है कि मैं ही सबको मंजिल तक पहुँचाती हूँ।
स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, महल, झोंपड़ी, बाग, बगीचे, हाट बाजार, और भी न जाने कहाँ कहाँ मेरी पहुँच है..? कहने का मतलब यह है, कि मैं ही सबको मंजिल तक पहुँचाती हूँ।
समझो
साफ-सुथरी पोशाक में साफ-सुथरी विशेषण और पोशाक विशेष्य है। साफ-सुथरी एक पोशाक का गुण बताता है इसलिए यह गुणवाचक विशेषण है। संज्ञा या सर्वनाम की संख्या बतलानेवाले शब्दों को संख्यावाचक विशेषण कहते हैं, जैसे अनेक जुलूसों’ – में ‘अनेक शब्द ‘जुलूसों की विशेषता बतला रहा है। यह संख्यावाचक विशेषण है।
प्रश्न 2. गुणवाचक और संख्यावाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण वाक्यों में प्रयोग करते हुए लिखो।
संख्यावाचक विशेषण –
1.) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
2.) राहु के पास छह किताबें है।
‘घुमाव शब्द में दार शब्दांश लगाने से घुमावदार और गुनगुना शब्द में ‘आहट’ शब्दांश लगाने से गुनगुनाहट शब्द बनता है। शब्द के बाद लगने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
प्रश्न 3. दार’ और ‘आहट’ प्रत्यय लगाकर दो-दो शब्द बनाओ और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग करो।
घबरा + आहट= घबराहट
मुझे अंधेरे से घबराहट होती है।
हिचकिच+ आहट = हिचकिचाहट
उस जगह जाने से मुझे हिचकिचाहट महसूस होती है।
शान+ दार= शानदार
हमारा तिरंगा शानदार है।
जोर + दार =
विद्यार्थियों ने परीक्षा की जोरदार तैयारियां शुरू की।
प्रश्न 4. नीचे लिखे समूहों में से कोई एक शब्द उस समूह का पर्यायवाची नहीं है। ऐसे शब्द को समूह से अलग कर लिखो।
क. पेड़- वृक्ष, तरु, तट, द्रुम – तट
ख. वस्त्र- पट, कपड़ा, कर, चीर – कर
ग. समुद्र – जलधि, सिन्धु, सागर, जलद – जलद
क की बारहखड़ी इस प्रकार लिखी जाती है-
क का कि की कु कू के कै को कौ कं कः
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों को बारहखड़ी के क्रम से लिखो।
खीर, खोलना, खिड़की, खाद, खैर, खंदक, खौलना, खरगोश, खुशी, खेल, खूब
खरगोश, खाद, खिड़की, खीर, खुशी, खूब, खेल, खैर, खोलना, खौलना, खंदक
प्रश्न 8. नीचे लिखे शब्दों में उचित वर्ण भरकर शब्दों को पूरा करो
कमल, कारखाना, किसना, कुशलक्षेम, प्रदेश, सुमन
‘गड्ढा’ शब्द का उच्चारण करो उच्चारण में ऐसा ध्वनित होता है मानों व में व मिला हो। लेकिन यह भ्रांति है।
याद रखोख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, म. प. ह का द्वित्व नहीं होता अर्थात् कहीं भी ख्ख, छ्छ, ठूंठ आदि नहीं लिखे जाते। नीचे लिखे शब्दों को पढ़ो और समझो।
गलत शब्द सही शब्द
अछ्छा अच्छा
गढ़वा गड्ढा
पथ्थर पत्थर
सुख्ख सुक्ख
युध्ध युद्ध
ऐसे शब्दों में मिलनेवाले अक्षर लिखे हुए अक्षर का ठीक पहला अक्षर आधा लिखा जाता है। अच्छा में छ के पहले आनेवाला ‘च’ अक्षर आधा (च्) लिखा गया है।
प्रश्न 7. नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द विदेशी हैं। इनके स्थान पर इनके पर्यायवाची हिन्दी शब्द प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखो।
क. मुझे खुशी होती है, अपने नजदीक यह रौनक देखकर।
ख. कहने का मतलब यह है कि मैं ही सबको मंजिल तक पहुँचाती हूँ।
मुझे आनंद मिलता है, अपने नजदीक यह सुंदरता देखकर।
कहने का अर्थ यह है, कि मैं ही सबको लक्ष्य तक पहुंचाती हू।