Short Story for Class 2 in Hindi: Story for Class 2 Standard in Hindi Language with Moral line in this page. These Hindi short stories for Class 2 will help Students in their studies.
This Hindi Short Story for Class 2 Standard will help students in a new kinds of way. And also The moral for each story will give students Inspiration in their own lives.
Short Story in Hindi for Class 2:
Topic |
Short Story |
Class |
2 |
Language |
Hindi |
Short Story 01:
एक समय की बात हैl एक गांव में दो बिल्लियां मिलजुल कर रहती थी। वह बहुत अच्छी दोस्त थी। एक दिन दोनों बिल्लियां मिलकर खेल रही थी। उस समय उन्हें भूख लगी। वह दोनों मिलकर भोजन की तलाश में निकल पड़ी। कुछ समय खोज करने के बाद उन्हें स्वादिष्ट केक का टुकड़ा मिला। वह दोनों केक के टुकडे के लिए झगड़ने लगी। वहीं पेड़ पर बैठा एक बंदर सारी बात देख रहा था। इस मौके का फायदा उठाने के लिए वह नीचे आ गया। बंदर ने पूछा आपस में क्यों लड़ रहे हो?इस पर बिल्लियों ने उसे सारा हाल बताया। बंदर ने कहा कि इसके मैं दो बराबर हिस्से कर देता हूं। इस बात पर दोनों बिल्लियों ने सहमति दे दी। बंदर ने केक के दो टुकड़े किए। और एक टुकड़ा बड़ा है कह कर उसमें से थोड़ा खा लिया l ऐसा करते-करते बंदर में सारा केक खा लिया। दो बिल्लियां एक दूसरे को देखते रह गईl दोनों निराश हो गई। उन्हें समझ गया कि आपस में यदि हम लड़ाई करें तो इसका फायदा कोई तीसरा उठाएगा।
सीख – यदि हम आपस में लड़ाई करते हैं तो उसका फायदा कोई तीसरा उठाता है। इसीलिए हमें आपस में लड़ाई नहीं करनी चाहिए।
Short Story 02:
एक समय की बात है। अजय और विजय दोनों दोस्त हैं आपस में हमेशा मिलजुल कर रहते थे। साथ साथ खेलते थे। एक दिन उन्होंने जंगल जाने की योजना बनाई। और वह जंगल घूमने चले गए। वह जंगल में मजे से घूम रहे थे। उसी समय अजय ने देखा कि सामने से अस्वल आ रही थी। वह अस्वल को देखकर डर के पेड़ पर चढ़ गया।उसने अपने मित्र विजय को वहीं छोड़ दिया। विजय सांस रोक कर जमीन पर लेट गया। अस्वल विजय के पास आई। विजय को सुनकर वह चली गई। अस्वल के जाने के बाद अजय पेड़ से नीचे आया। उसने विजय से पूछा कि अस्वल ने क्या कहा? उस पर विजय ने कहा कि उसने मुझ से कहा जो दोस्त आपके संकट के समय साथ ना दे ऐसे दोस्तों से दोस्ती नहीं रखनी चाहिए। विजय की यह बात सुनकर अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ।
सीख – सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत के समय हमारा साथ दें जो लोग मुसीबत के समय साथ नहीं देते हमें उनसे दोस्ती नहीं रखनी चाहिए।
Short Story 03:
एक समय की बात है। एक मूर्तिकार एक सुंदर मूर्ति बनाने के लिए पत्थर ढूंढ रहा था। उसके काफी ढूंढने पर उसे एक सुंदर पत्थर मिला। जो मूर्ति बनाने के लिए उत्तम था। वह पत्थर देखकर वह प्रसन्न हो गया। थोड़े आगे जाने पर उसे दूसरा पत्थर मिला।वह दोनों पत्थर आस पास ही थे। वह घर जाकर औजार के साथ पत्थर को तलाशने लगा। जब उसने पहले पत्थर पर औजार से चोट की तो वह पत्थर दर्द के कारण चिल्ला उठा। और कहने लगा मुझे दर्द हो रहा है मुझ पर औजार से वार ना करो। उसकी यह बात सुनकर मूर्तिकार ने उसे छोड़ दिया। और वह दूसरे पत्थर को औजार से तराशने लगाl दूसरे पत्थर ने कुछ नहीं कहा उसने सारे दर्द सहन कर लिया। दूसरे पत्थर से एक सुंदर मूर्ति बनकर तैयार हो गई। फिर वह मूर्तिकार अपने कलाकृति को छोड़कर आगे बढ़ता गया। इस तरह वह एक गांव में आकर पहुंचा। जह।एक सुंदर और भव्य मंदिर तैयार हुआ था। गांव वाले मूर्ति कहां से इस विषय में चर्चा कर रहे थे? कलाकार ने उन्हें बताया कि यहां से कुछ दूरी पर आपको एक सुंदर मूर्ति मिल जाएंगी जो मैंने कुछ समय पहले तराशी है।सारे गांव वाले को मूर्ति जाने के लिए चले गए। गांव वालों ने मूर्ति लाकर मंदिर में स्थापित कर दी। तथा दूसरा पत्थर मंदिर के बाहर लाकर रख दिया जिस पर सारे लोग नारियल फोड़ते हैं। तब पहले वाले पत्थर में दूसरे पत्थर से कहा आपकी किस्मत कितनी अच्छी है सारे लोग आप की पूजा करते हैं और मुझ पर नारियल फोड़कर मुझसे दर्द देते हैं। तो दूसरे वाले पत्थर ने कहा यदि तुम संयम रखा दर्द सह लेते तो आज लोग तुम्हारी पूजा कर रहे होते।
सिख – दुख तकलीफ सहन कर ही व्यक्ति महान बन सकता है बिना परिश्रम के जीवन में कुछ प्राप्त नहीं होता।
Short Story 04:
एक घने जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था। लकड़हारा बहुत गरीब था।वह दिन भर मेहनत से लकड़ियां काटता उन्हें जमा करता और उन्हें बेचकर अपना परिवार चलाता। इस तरह उसका गुजर बसर हो रहा था। इसी तरह रोज जंगल में जाता और लकड़िया जमा करता। एक दिन वह लकड़हारा नदी के किनारे लकड़ियां काट रहा था। गलती से उसकी कुल्हाड़ी उछल कर नदी में जाकर पड़ी। वह बहुत दुखी हो गया। नदी के किनारे बैठ रोने लगा। उसका दुख देखकर नदी से एक जलपरी निकाली लकड़हारे से उसकी समस्या पूछि। तब लकड़हारे ने जलपरी को अपनी समस्या बताईl यह बताया कि उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई जिससे उसका परिवार चलता था। यह सुन जलपरी तुरंत नदी में गई और लकड़हारे को एक सुंदर सी चमकती हुई कुल्हाड़ी ला दि। और लकड़हारे से कहा यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी इस पर लकड़हारे ने कहा कि जलपरी यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैl जलपरी फिर नदी में छलांग लगाकर उन्होंने चमकते हुइ चांदी की कुल्हाड़ी ला दी। लकड़हारे ने फिर कहा कि जलपरी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी। जलपरी ने नदी में एक छलांग लगाई और वह लोहे की एक घने जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था। लकड़हारा बहुत गरीब था।वह दिन भर मेहनत से लकड़ियां काटता उन्हें जमा करता और उन्हें बेचकर अपना परिवार चलाता। इस तरह उसका गुजर बसर हो रहा था। इसी तरह होरो जंगल में जाता और लकड़िया जमा करता। एक दिन वह लकड़हारा नदी के किनारे लकड़ियां काट रहा था। गलती से उसकी कुल्हाड़ी उछल कर नदी में जऔर लकड़हारे से कहा यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी इस पर लकड़हारे ने कहा कि जलपरी यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैl जलपरी फिर नदी में गई और एक छलांग लगाकर उन्होंने चमकते हुइ चांदी की कुल्हाड़ी ला दी। वह लोहे की कुल्हाड़ी लकड़हारे को ला दी। कुल्हाड़ी मिलते ही लकड़हारे की खुशी फूली न समाई।लकड़हारे की इमानदारी से जलपरी खुश हुई। लकड़हारे से कहा कि मैं तुम्हारी इमानदारी से खुश हूं। अब यह तीनों कुल्हाड़ी सोने की चांदी की तथा लोहे की तुम्हारी हुई तुम इसे ले जाओ। यह तुम्हारे ईमानदारी का इनाम है। लकड़हारा तीनों कुल्हाड़ी अपने साथ ले गया। लकड़हारे को ला दी। कुल्हाड़ी मिलते ही लकड़हारे की खुशी फूली न समाई। लकड़हारे ने कहा यही मेरी एक घने जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था। लकड़हारा बहुत गरीब था।वह दिन भर मेहनत से लकड़ियां काटता उन्हें जमा करता और उन्हें बेचकर अपना परिवार चलाता। इस तरह उसका गुजर बसर हो रहा था। इसी तरह होरो जंगल में जाता और लकड़िया जमा करता। एक दिन वह लकड़हारा नदी के किनारे लकड़ियां काट रहा था। गलती से उसकी कुल्हाड़ी उछल कर नदी में जाकर पड़ी। वह बहुत दुखी हो गया। नदी के किनारे बैठ रोने लगा। उसका दुख देखकर नदी से एक जलपरी निकाली लकड़हारे से उसकी समस्या पूछि। तब लकड़हारे ने जलपरी को अपनी समस्या बताई और यह बताया कि उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई जिससे उसका परिवार चलता था। यह सुन जलपरी तुरंत नदी में गई और लकड़हारे को एक सुंदर सी चमकती हुई कुल्हाड़ी ला दि। और लकड़हारे से कहा यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी इस पर लकड़हारे ने कहा कि जलपरी यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैl जलपरी फिर नदी में गई और एक छलांग लगाकर उन्होंने चमकते हुइ चांदी की कुल्हाड़ी ला दी। लकड़हारे ने फिर कहा कि जलपरी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी। जलपरी ने नदी में और एक छलांग लगाई और वह लोहे की कुल्हाड़ी लकड़हारे को ला दी। कुल्हाड़ी मिलते ही लकड़हारे की खुशी फूली न समाई। लोहे की पुरानी देखते ही लकड़हारे ने कहा जलपरि यही मेरी कुल्हाड़ी है।लकड़हारे की इमानदारी से जलपरी खुश हुई। लकड़हारे से कहा कि मैं तुम्हारी इमानदारी से खुश हूं। अब यह तीनों कुल्हाड़ी सोने की चांदी की तथा लोहे की तुम्हारी हुई तुम इसे ले जाओ। यह तुम्हारे ईमानदारी का इनाम है। लकड़हारा तीनों कुल्हाड़ी अपने साथ ले गया।
सीख –जिंदगी में ईमानदारी सबसे जरूरी चीज है इमानदारी से बढ़कर और कुछ नहीं है।
Short Story 05:
एक समय की बात है। एक घने जंगल में सारे पशु पक्षी मिलजुल कर आपस में रहते थे। जंगल में चारों तरफ खुशहाली और हरियाली थी। उसी जंगल के पास एक गांव था। उस गांव से अक्षर शिकारी जंगल में आते और पशु पक्षियों का शिकार करते। एक दिन एक जंगल में एक शिकारी आया। उसने दाने डालें।और उस पर जाल डालकर जाल डाल दिया। दानों की तरफ आकर्षित होकर चिड़ियों का एक झुंड वाह दाना चुगने आया। वजह से जमीन पर उतरे उन्होंने पाया कि उनके पैर जाल में फंसे। सारी चिड़िया उड़ने की कोशिश करने लगी। चिड़िया उड़ने की कोशिश करती पर कोई भी कोशिश कामयाब ना हुई। शिकारी को देख सारी चिड़िया डर गई। जैसे ही शिकारी नजदीक आया तो सारी चिड़िया एक साथ उड़ान भरी और वह जला ले जाली लेकर उड़ गई। शिकारी आश्चर्यचकित होकर देखता रह गया।
सीखा- एकता में शक्ति होती है l हमें आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए और एक दूसरे का साथ देना चाहिए।
Short Story 06:
एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक साधु रहते थे। वह तपस्या करते थे। एक दिन अपने साधना में मग्न होकर बैठे हुए थे कि कहीं दूर से उड़ते हुआ एक घायल तोता शिकारी के चंगुल से छूट कर उनके पास आकर उनके जांघ पर बैठ गया। साधु ने जब आंख खुली तो उन्होंने उस घायल तोते को अपनी जाघ पर बैठा पाया l साधु उस तोते को अपनी कुटिया में ले गए उसे एक पिंजरे में रखा तथा उसे खाना पानी देकर उसकी सेवा की कुछ दिन बाद वह तोता पूरी तरह ठीक हो गया। साधु ने उससे सिखाया की। जंगल में शिकारी आते हैं दाना डाल पंछियों को अपना शिकार बना कर उठा ले जाते हैं। साधु की यह बात तोता दिन रात कहने लगा। उसे देख साधु को लगा कि यह तोता तो बहुत तेज है। इसे इस तरह पिंजरे में रखना ठीक ना होगा इसीलिए साधु ने उस तोते को छोड़ दिया। साधु सोचने लगे कि अब यह तोता किसी शिकारी के जाल में ना फंसेगा। इस तरह कुछ समय बीत गया। कुछ दिन बाद जंगल में शिकारी आए। शिकारी ने दाने जमीन पर फेंक कर उस पर जाल बिछा दिया। इसी जल के ऊपर एक पेड़ पर वह तोता बैठा हुआ था। वह बड़बड़ा रहा था कि जंगल में शिकारी आते हैं दाना डाल शिकार कर ले जाते हैं। यह देख शिकारी को आश्चर्य हुआ। उसे लगा कि तोते की बात सुनकर अब सारे पक्षी सचेत हो जाएंगे। और मेरी जाल में कोई पक्षी ना आएगा। यह सोचकर शिकारी नाराज और हताश हो गया। कुछ समय बाद वह तोता आकर दाने चुगने लगा और शिकारी के जाल में फस गया।
सीख – हमें हर चीज सोच समझकर करनी चाहिए हमें किसी भी चीज को बिना समझे नहीं करनी चाहिए।
Short Story 07:
एक समय की बात है एक घने जंगल में पेड़ की डाल पर एक कौवा रहता था। उसी पेड़ के आसपास एक बिल एक सांप रहता था। वह साप बहुत दृष्ट था। वह जंगल के पक्षियों के अंडे खा लेता था। एक बार तो अपने अंडे छोड़कर दाना चुगने गया हुआ था। साप बिन से निकलकर कौवे के घोसले में जाकर उसने कौवा के सारे अंडे खा लिए।जब कौवा दाने चुग कर वापस आयाl अपने अंडे ना पाकर वह बहुत दुखी हुआ। पेड़ के नीचे यहां वहां चारों तरफ अपने अंडों की खोज की पर उसे उसके अंडे कहीं ना मिले। उसने साप से पूछा कि क्या तुमने मेरे अंडे खाए हैं? इस पर साप बोला नहीं मैंने तो तुम्हारे अंडे देखे भी नहीं। पर कौवे को उसकी बातों पर यकीन ना था। कुछ समय बाद कौवे ने फिर अंडे दिए। वह उनकी देखभाल करने लगा। पर सांप की उसके अंडों पर बुरी नजर थी। सांप कौवा के अंडे खाने के लिए मौका देखने लगा। कौवा पास ही में दाना चुगने गया था। यह मौका पा कर कौवे के घोसले में चला गया। और कौवे के सारे अंडे खाने लगा l कौवा ने यह सारा दृश्य देख लिया। और उसने साप को सबक सिखाने की ठानी। वह सांप को सबक सिखाने के मौके ढूंढने लगा। एक दिन जब उस नगर की रानी नहर में नहा रही थी। तब उसने अपने कीमती गले का हार नहर के पास उतार के रख दिया था। इस मौके का फायदा उठाकर मोतियों का हार अपने चोच मे उठाकर कौवा उड़ गया। महारानी चिल्लाई और महारानी के सिपाही कौवा के पीछे पीछे लट ले भागने लगे। कौवा ने वह मोतियों का हार सांप के बिल पर गिरा दिया। सिपाही जैसे ही हार उठाने बिल के पास गए है तो सांप बिल से बाहर निकल आया मोतियों का हार लेने के लिए सांप को लाठियों से मार डाला।
सीखा- बुरे के साथ हमेशा बुरा ही होता है।