Samash- Parivasha, Ved aur Udaharan (समास- परिभाषा, भेद और उदाहरण) hindi worksheet in 40 marks
Samash- Parivasha, Ved aur Udaharan (समास- परिभाषा, भेद और उदाहरण) hindi worksheet in 40 marks for Indian students of English Medium and Hindi Medium. If you want to download this worksheet please contact us or drop a comment. We will generate PDF of this worksheet and share You.
समास– परिभाषा, भेद और उदाहरण
प्र.) 1 व्याख्या लिखे। Marks:10
1.) अव्ययीभाव समास –
इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग वचन कारक में नहीं बदलता है वह हमेशा एक जैसा रहता है।
2.) तत्पुरुष समास के भेद –
इस समाज में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसमें ज्ञातव्य विग्रह में जो कारक प्रकट होता है इस कारक वाला वह समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
3.) कर्म तत्पुरुष समास –
इसमें दो पदों के बीच में कर्म कारक छिपा हुआ होता है। कर्म कारक का चिन्ह को होता है। को को कर्म कारक की विभक्ति कहा जाता है। उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।
4.) लुप्तपद तत्पुरुष समास –
जब किसी समास में कोई कारक चिन्ह अकेला लुप्त ना होकर पूरे पद सहित लुप्त हो और तब उसका सामाजिक पद बने तो वह लुप्त पद तत्पुरुष समास कहलाता है।
5.) कर्मधारय समास –
इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण विशेष्य और ऊपर में उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
प्र.) 2 द्विगु समास के पांच उदाहरण लिखो। Marks:5
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समाहार
नवरात्र – नौ रातों का समूह
पंचरत्न – पांच रत्न
अष्टभुजा – आठ भुजों वाले
त्रिवेणी – तीन वेणियों का समूह
प्र.) 3 दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन से चार वाक्य में लिखो। Marks:12
1.) बहुव्रीहि समास का अर्थ और उसके भेद लिखो।
बहुव्रीहि समास में कोई भी प्रदान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह आदि आते हैं वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।
बहुव्रीहि समास के पांच भेद है –
समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
तुल्य योग बहुव्रीहि समास
व्यतिहार बहुव्रीहि समास
प्रादी बहुव्रीहि समास
2.) द्वंद समास का अर्थ बताकर उसके भेद लिखो।
इस समाज में दोनों पद भी प्रधान होते हैं। इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। यह दोनों पद एक दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन यह बात हमेशा नहीं होती। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
द्वंद समास के भेद-
इतरेतद्वंद समास
समाहारद्वंद समास
वैकल्पिकद्वंद समास
3.) समास का अर्थ और उसके भेद लिखो।
समास का तात्पर्य है संक्षिप्तीकरण। हिंदी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप अर्थात जब दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उसे हिंदी में समास कहते हैं।
समास के भेद –
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वंद समास
बहुव्रीहि समास
प्र.) व्यधिकरण तत्पुरुष समास किसे कहते हैं उसके प्रकार लिखो।
जिस तत्पुरुष समास में प्रथम पद तथा द्वितीय पद दोनों भिन्न-भिन्न विभक्तियों में हो उसे व्यधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।
व्यधिकरण तत्पुरुष समास 6 प्रकार का होता है-
कर्म तत्पुरुष समास
करण तत्पुरुष समास
संप्रदान तत्पुरुष समास
अपादान तत्पुरुष समास
संबंध तत्पुरुष समास
अधिकरण तत्पुरुष समास
प्र.) 4 फरक स्पष्ट करे। Marks:8
1.) द्विगु और कर्मधारय समास
द्विगु कर्मधारय समास
द्विगु का पहला पद हमेशा संख्या वाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है। कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्या वाचक संख्यावाचक कभी नहीं होता
देखो का पहला पद ही विशेषण बनाकर प्रयोग में आता है। कर्मधारय में कोई भेद पद दूसरे पद का विशेषण हो सकता है।
2.) समास और संधि
समास संधि
समाज का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षेप। संधि का शाब्दिक अर्थ होता है मेल।
समास में वर्णों के स्थान पर पद का महत्व होता है। संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है।
समस्त पदों को तोड़ने की प्रक्रिया को विग्रह कहा जाता है। संधि किए हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है।
समास में बने हुए शब्दों के मूल अर्थ को परिवर्तित किया जा सकता है और कभी-कभी उसमें परिवर्तन नहीं भी किया जा सकता है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है उनका मूल अर्थ नहीं बदलता।
प्र.) 5 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। Marks:4
1.) जहां पर पहले पद प्रधान होता है वहां पर विशेषण पूर्व पद ………………………….. समास होता है।
जहां पर पहले पद प्रधान होता है वहां पर विशेषण पूर्व पद कर्मधारय समास होता है।
2.) जहां पर एक का दूसरे पर आप होता है वहां पर ……………………………… कर्मधारय समास होता है।
जहां पर एक का दूसरे पर आप होता है वहां पर रूपक कर्मधारय समास होता है।
3.) जिसमें पहले पद सह होता है वह तुल्य योग ………………………………. समास कहलाता है।
जिसमें पहले पद सह होता है वह तुल्य योग बहुव्रीहि समास कहलाता है।
4.) जिस बहुव्रीहि समास पूर्व पद …………………………… हो वह प्रादि बहुव्रीहि समास कहलाता है।
जिस बहुव्रीहि समास पूर्व पद उपसर्ग हो वह प्रादि बहुव्रीहि समास कहलाता है।
Also See: संबंधबोधक अव्यय –परिभाषा, भेद और उदाहरण