PSEB Class 9 Hindi Solution Chapter 1 कबीर दोहावली
Class 9 PSEB Hindi Chapter 1 कबीर दोहावली Exercise Question Answer Solution by teachers. Students of Punjab Government Board will benefit by this Hindi Guide for Class 9 PSEB कबीर दोहावली Textbook Questions and Answers.
१) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में लिखिए।
१) कबीर के अनुसार ईश्वर किसके ह्रदय में वास करता है?
उत्तर:- कबीर के अनुसार जिसका मन सच्चा है।जिसका मन निस्वार्थ है,उसके हृदय में ईश्वर वास करता है।
२) कबीर ने सच्चा साधु किसे कहा है?
उत्तर:- कबीर ने सच्चा साधु उसको कहां है जो भाव का भूखा है।वह नहीं जो धन दौलत का भूखा है।
३) संतो के स्वभाव के बारे में कबीर जी ने क्या कहा है?
उत्तर:- संतो के स्वभाव के बारे में कबीर जी कहते हैं ,कि सच्चा संत उसकी अच्छाई कभी नहीं छोड़ता जब की उसे कितने भी बुरे व्यक्ति मिले तभी वह अपना मन नहीं बदलता है।
४) कबीर ने वास्तविक रूप से पंडित/ विद्वान किसे कहा है?
उत्तर:- कबीर कहते हैं पोथी पढ़ने से कोई पंडित /विद्वान नहीं हो सकता जो प्यार से सब को समझाए समझ ले वह विद्वान माना जाता है। जिसने प्यार के ढाई अक्षर पढ़ लिए हैं।
५) धीरज का संदेश देते हुए कबीर जी ने क्या कहा है?
उत्तर:- कबीर कहते हैं मन को शांत रखें जब जो होना है,वह होकर रहेगा। ऐसे धीरज के बारे में कबीर जी संदेश देते हैं।
६) कबीर ने सांसारिक व्यक्ति की तुलना पंछी से क्यों की है?
उत्तर:- कबीर के अनुसार पंछी और व्यक्ति का मन लगभग समान है पंछी जब चाहे जहां चाहे जा सकते हैं वैसे व्यक्ति का मन भी स्थिर नहीं रहता। एक पल में ही यहां से वहां घूमता है।
७) कबीर ने समय के सदुपयोग पर क्या संदेश दिया है?
उत्तर:- कबीर कहते हैं कल जो करेंगे वह आज करना चाहिए क्योंकि,समय अपने हाथों में नहीं होता ।कब क्या होगा ? किसी को नहीं पता होता? ।पल में मृत्यु भी हो सकती है।फिर हमने जो सोचा वह वैसे ही रह जाएगा।
२) निम्नलिखित पदमायोंशों की संदर्भ प्रसंग व्याख्या लिखिए।
१) जैसा भोजन खाइए। तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिए। तैसी वाणी होए।।
संदर्भ:- प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ पुस्तक हिंदी के
“कबीर दोहावली ” से लिया है। इसके
रचनाकार ‘कबीर जी’ है।
प्रसंग:- प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने मनुष्य के
स्वभाव के बारे में बताया है।
व्याख्या:- कबीर जी कहते हैं,कि हम जैसे
देखेंगे,वैसे ही सीखेंगे,जो हम सुनेंगे
अच्छा, बुरा ,वही हमारे मन को भाएगा।
२) जाति न पूछो साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार की, पड़ा रहन दो म्यान।।
संदर्भ:- प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ पुस्तक हिंदी के
“कबीर दोहावली”से लिया है।इसके
रचनाकार कबीर जी है।
प्रसंग:- प्रस्तुत दोहे में कबीर जी जाति भेद के बारे में
बताते हैं।
व्याख्या:- कबीर कहते हैं विद्वानों की जाति अलग
होती है ।पर ज्ञान सबको समान रहता है।
जेसै की तलवारे अलग रहती है। पर एक
ही कवर में रखी जाती है।
3) जाति न पूछो साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार का,पड़ा रहन दो म्यान।संदर्भ:- प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ पुस्तक हिंदी के
” कबीर दोहावली “से लिया है।उसके
रचनाकार कबीर जी है।
प्रसंग:-प्रस्तुत दोहे में कबीर जी जातिभेद के बारे में
बताते हैं।
व्याख्या:-कबीर कहते हैं विद्वानों की अलग।जाति
होती हैं। पर न्याय उनको समान होता है।
जैसे की तलवारे अलग होती है।पर एक ही
कवर में रखी जाती।
४) अति का भला न बोलना,अति की भली न चुप।
अति का भला न बरसना ,अति की भली न धूप।संदर्भ:-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ पुस्तक हिंदी के
“कबीर दोहावली “से लिया है।उसके
रचनाकार कभी भी है।
प्रसंग:- प्रस्तुत पाठ में कबीर जी ने अति यानी
ज्यादा के बारे में बताया है।
व्याख्या:-कबीर जी कहते हैं कि ज्यादा बोलना
अच्छा नहीं होता। ज्यादा चुप रहना भी
अच्छा नहीं होता।उससे कोई हमारा गैर
फायदा ले सकता है।जैसी ज्यादा बारिश
और ,धूप से मानव को हानि होती है।
५) माला तो कर में फिरे , जीभ फिरे मुंह माहि।
मनुवा तो चहुं दिशी फिरे, यह तो सुमिरन नाही।।
संदर्भ:-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ पुस्तक हिंदी के
“कबीर दोहावली “से लिया है रचनाकार
‘कबीर ‘जी है।
प्रसंग:-प्रस्तुत पाठ में कबीर जी मन के बारे में
बताते हैं।मानव का मन स्थिर नहीं रहता।
व्याख्या:-कबीर जी कहते हैं,माला जैसे हाथ में
फिरती है ,और जीभ मूवी,वैसे मनुष्य का
मन चारों और फिरता है। यह हमें स्मरण
नहीं होता।
३) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण विच्छेद कीजिए।
शब्द वर्ण-विच्छेद
बराबर ब+अ+र+आ+ब +अ+र+अ
भोजन। भ +ओ+ज +अ+न+अ
पंडित। प+अ+न+ड+ई+त+अ
म्यान। म+अ+य+आ+न+अ
बरसना। ब+अ+र+अ+स+अ+न+आ