MP Board Class 9 Hindi Navneet Chapter कर्म कौशल Solution
Madhya Pradesh State Board Class 9 Hindi Navneet Chapter कर्म कौशल full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1.) नैसर्गिक नियमों को क्या कहा जाता है ?
नैसर्गिक नियमों को प्राकृतिक नियम कहा जाता है।
2.) किस ग्रन्थ में विवेचित कर्म सिद्धान्त को विशिष्ट पहचान है?
श्रीमभ्दगवत गीता इस ग्रंथ में विवेचन कर्म सिद्धांत की विशिष्ट पहचान है।
3.) कर्ता को किस प्रकार का कार्य करना चाहिए ?
जिस कार्य को वह संपन्न कर सकता है और जो कार्य उसके लिए लाभदायक है वही कर्ता को करना चाहिए।
4.) किस कारण से मनुष्य स्वयं को कर्ता मानने लगता है ?
मनुष्य स्वयं को अज्ञान और मिथ्या अभियान के वजह से कर्ता मानता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.) जीव समुदाय से क्या तात्पर्य है
जीवन समुदाय से यह तात्पर्य है कि प्रकृति में सुंदर कुरूप, लाभदायक हानिकारक, सजीव निर्जीव या ईश्वर की सभी रचनाएं आती है। प्रकृति जीव जंतुओं से परिपूर्ण होगई है। जीव समुदाय मतलब वृक्ष वनस्पति संजीव मानव सृष्टि।
2.) कर्म के पाँच कारण कौन-कौन से होते हैं?
इस पृथ्वी पर अनेक जीव है और यह जीव कर्म किए बिना नहीं रह सकते। हरक्षण सभी जीव कोई ना कोई कर्म करते ही रहते हैं। इन के पीछे भी कोई कारण लगता है। गीता में कर्म के पांच कारण दिखाए गए हैं अधिष्ठान, कर्ता कारण इंद्रियां चेष्टाए और डी। इनके एकत्रित कारण के द्वारा ही कर्मों की निर्मित होती है।
3.) युद्ध के लिए प्रेरित करते हुए योगेश्वर ने अर्जुन से क्या कहा ?
युद्ध के लिए प्रेरित करते हुए योगेश्वर ने अर्जुन से कहा कि तुम अपना कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो। मनुष्य को अपना काम अत्यंत दर्शन था और समर्पण भाव से करना चाहिए। क्योंकि मनुष्य का कर्म तो एक निमित्त मात्र है इस सभी के पीछे करता योगेश्वर ही है। जिसके पास बुद्धि नहीं है वह यह कहता है कि कर्म मैं कर्ता हूं और यह प्राणी की सबसे बड़ी भूल है।
4.) किस कारण से कर्ता का समय व्यर्थ नष्ट हो जाता है
मनुष्य अपना कर्म के बिना नहीं रह सकता। लेकिन मनुष्य इस कर्म के फल की चिंता करते हुए अपना समय गवा देता है। जब उसे अपने कर्म का फल मिल जाता है तो उसे फल को भोगने में वह अपना समय नष्ट कर देता है।
5.) श्रेष्ठ व्यक्ति का चरित्र कैसा होता है?
श्रेष्ठ व्यक्ति का हमेशा ही सभी लोग अनुकरण करते हैं। उनका चरित्र एक श्रेष्ठ चरित्र होता है वह समाज में आदर्श होते हैं। उन्हें अपने सत्कर्मों पर कायम चलते हुए रहना होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
1.) सबसे प्रमुख सावधानी की ओर अर्जुन का ध्यान आकृष्ट करते हुए श्रीकृष्ण ने क्या कहा?
कर्म करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए ऐसा श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है इनमें से प्रमुख सावधानि यह है के श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं किसी भी परिस्थिति में हमें सामान भाव रख कर आगे बढ़ना होगा। हमें सिर्फ कर्म करता रहना होगा कर्म का फल कैसा है इसके बारे में सोचकर समय नहीं गवना है l हमारा जीवन युद्ध के जैसा है जय पराजय हानि लाभ सुख दो यह सब मिलते ही रहेंगे। लेकिन सभी परिस्थितियों में हमें समान रहना होगा। मुंह को त्याग कर सिर्फ कर्म करते रहना होगा।
2.) फल प्राप्ति में सन्देह का प्रश्न किस स्थिति में नहीं रहता है।
जो कर्म करता है उसका भाव शुद्ध होना चाहिए। कर्म करते वक्त फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारा मन, वाणी कर्म शुद्ध होना चाहिए। कर्म करते वक्त स्वार्थ की भावना नहीं होनी चाहिए। फल की प्राप्ति में संदेह का प्रश्न इन स्थितियों में नहीं रहता।
3.) अपने संकल्प से विपरीत होने पर भी मनुष्य को कर्म क्यों करना पड़ता है ?
हमारा जीवन कर्म के अधीन है। हमे हमारा कर्म करते रहना चाहिए। मनुष्य अपने कर्म को छोड़ नही सकता। वह निर्धारित होता है। उसे अपना कर्म करना ही पड़ता है। फल की चिंता किए बिना उसे अपना कर्म करना होता हैं। बुरे कर्म का फल बुरा मिलता है। इसीलिए हमे सत्कर्म करना पड़ता है।
भाषा अध्ययन
(क) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए
नैसर्गिक, समुदाय, मिथ्या योगेश्वर, व्यवधान
नैसर्गिक – प्राकृतिक
समुदाय – समूह
मिथ्या – असत्य
योगेश्वर – परमेश्वर, कृष्ण
व्यवधान – रुकावट
(ख) निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
1.) अपयश का देने वाला।
अपयशदायक
2.) हानि करने वाला।
हानिकारक
3.) कामना से रहित कर्म जो योग का ईश्वर हो
निष्काम कर्म
4.)जो योग का ईश्वर हो
योगेश्वर
5.) स्वार्थ से रहित भाव वाला व्यक्ति
निस्वार्थी