Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 2 तोड़ती पत्थर Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 2.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Poem Chapter 2 Todti Pathar.
Karnataka 1st PUC Hindi Poem Chapter 2 – तोड़ती पत्थर Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 2
- Chapter Name – तोड़ती पत्थर.
- I) एक शब्द या वाक्यांश में उत्तर लिखिए:
(१) नारी कहाँ पत्थर तोड़ती थी?
इलाहाबाद के पथ पर नारी पत्थर तोड़ती है।
२) पत्थर तोड़ती नारी के तन का रंग कैसा था ?
जो नई पत्थर तोड़ती है उसके तन का रंग सांवला था।
३) नारी बार- बार क्या करती थी?
नई हाथ में हथोड़ा लेकर बार-बार प्रहार करती थी।
४) नारी कब पत्थर तोड़ रही थी?
नई गर्मियों के दिनों में धूप में पत्थर तोड़ रही थी।
५) नारी के माथे से क्या टपक रहा था?
नारी की माथे से पसीना टपक रहा था।
(६) ‘तोड़ती पत्थर’ कविता के कवि कौन हैं?
तोड़ती पत्थर इस कविता के कवि है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
II निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) इलाहाबाद के पथ पर पत्थर तोड़नेवाली स्त्री का चित्रण कीजिए।
इलाहाबाद के पथ पर एक नई गर्मियों के दिनों में भारी धूप में पत्थर तोड़ रही थी। वहां कोई घना पेड़ नहीं था, जिससे उसको ठंडक और शीतल छाया मिल सके। उसके तन का रंग सांवला था। वह अपना काम पूरी निष्ठा से कर रही थी उसकी, आंखें अपने काम में लगी हुई थी। वह अपने हाथ से हथोड़ा उठाती और पत्थर पर प्रहार करती, उसे पत्थर को तोड़ने की कोशिश करती।
२) किन परिस्थितियों में नारी पत्थर तोड़ रही थी?
इलाहाबाद के पथ पर एक नारी पत्थर तोड़ रही थी। गर्मियों के दिन थे। सूरज माथे पर था। बहुत गर्मी हो रही थी। घना पेड़ भी नहीं था जिससे उसे स्त्री को शीतल छाया मिल सके। हर तरफ गर्म हवा उड़ रही थी। इस परिस्थिति में वह नारी पत्थर तोड़ रही थी।
३) ‘तोड़ती पत्थर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराली इन्होंने तोड़ती पत्थर इस कविता में एक मेहनती स्त्री का चित्रण किया है। वह स्त्री भरी दोपहर में इलाहाबाद के एक रास्ते पर पत्थर तोड़ने का काम कर रही है। उसके आसपास कोई भी घना पेड़ नहीं है जिसके नीचे वह जाकर बैठ सके। ठंडी हवा ले सके। गर्म हवाएं चल रही है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
१) चढ़ रही थी धूप
गर्मियों के दिन
दिवा का तमतमाता रूप ।
उठी झुलसाती हुई लू
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पुस्तक के तोड़ती पत्थर इस कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है।
संदर्भ. भारी गर्मी में एक स्त्री इलाहाबाद के पथ पर कम कर रही है उसका चित्रण इस कविता में किया गया है।
स्पष्टीकरण. एक स्त्री इलाहाबाद के पथ पर भारी गर्मी में काम कर रही थी। वह अपना काम पूरी लगन से कर रही थी। उसके माथे पर से पसीना टपक रहा था। गर्मियों के दिन थे। सारी जगह गर्म हवाएं चल रही थी। लेकिन इन परिस्थितियों में भी वह अपना काम पूरी लगन से कर रही थी। इस वजह से कवि के मन मे उस स्त्री के प्रति सम्मान बढ़ जाता हैं।
२) देखते देखा मुझे तो एक बार
उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार।
देखकर कोई नहीं,
देखा मुझे उस दृष्टि से
जो मार खा रोई नहीं ।
प्रसंग. यह पद्यांश साहित्य वैभव इस पुस्तक के तोड़ती पत्थर इस कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है।
संदर्भ. इस कविता में एक गरीब और सहायक स्त्री का वर्णन किया है।
स्पष्टीकरण. कवि को स्त्री को देखकर बड़ी दया आती है। वह स्त्री भरी गर्मी में दोपहर में तपती धूप में कम कर रही थी। जब कभी उसे स्त्री को देख रहा था तब उसे स्त्री ने भी कवि को अपनी ओर देखते देख लिया। उसने अपनी नजर उठा कर एक विशाल भवन की ओर देखा उसे वहां पर कोई दिखाई नहीं दिया। तब उसने कभी की तरफ देखा उसकी आंखों में विवशता थी। ऐसे लग रहा था कि उसके आंसू सूख गए हो।