Karnataka 1st PUC Hindi Madhyugin Kavya Chapter 2 तुलसीदास के दोहे Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 11 Hindi Solution Chapter 2.
There are 3 Parts in Karnataka Class 11 Textbook. Here You will find Madhyugin Kavya Chapter 2 Tulsidas ke dohe.
Karnataka 1st PUC Hindi Madhyugin Kavya Chapter 2 – तुलसीदास के दोहे Solution
- State – Karnataka.
- Class – 1st PUC / Class 11
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 2
- Chapter Name – तुलसीदास के दोहे.
I एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
१ ) तुलसीदास किस पर विश्वास करते हैं?
तुलसीदास रघुनाथ यानी भगवान राम पर विश्वास करते है।
२) तुलसीदास किसको आराध्य देव मानते हैं?
तुलसीदास रघुनाथ जी को अपना आराध्य देव मानते हैं।
३) संत का स्वभाव कैसा होता है?
आम के पेड़ की तरह संत का स्वभाव होता हैं।
४) तुलसीदास काया और मन की उपमा किससे देते हैं?
तुलसीदास काया को खेत और मन को किसान की उपमा देते हैं।
५) मधुर वचन से क्या मिटता है?
मधुर वचन बोलने से अहंकार मिट जाता है।
६) पंडित और मूर्ख एक समान कब लगते हैं?
काम, क्रोध, मद और लोभ या बाते अपनाने से पंडित और मूर्ख एक समान लगते है।
७) तुलसीदास कहाँ जाने के लिए मना करते हैं?
जहा आदर और स्नेह नहीं मिलता वहा जानें से तुलसीदास मना करते है।
८) बिना तेज के पुरुष की अवस्था कैसी होती है?
जब आग बुझने के बाद जैसे अवस्था राख की होती है वैसे बिना तेज के पुरुष की अवस्था होती हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१)तुलसीदास की रामभक्ति का वर्णन कीजिए।
तुलसीदास कहते हैं कि राम मेरे लिए स्वाति नक्षत्र है और मैं चातक हूं। मुझे सिर्फ मेरे राम भगवान पर ही भरोसा है, उसी की आशा है, और उन्हें का ही बल है। जैसे स्वाति नक्षत्र में बारिश होती है उसे बारिश के पहले बूंद के लिए चातक जैसे तरसता है वैसे ही मैं भगवान राम के लिए तरसता हूं।
२) तुलसीदास के अनुसार संत के स्वभाव का वर्णन कीजिए ।
तुलसीदास के अनुसार संतन का स्वभाव आम के पेड़ की तरह होना चाहिए। आम का वृक्ष जैसे मीठे मीठे फल देता है, लेकिन उसके बदले कुछ भी अपेक्षाएं नहीं रखता। मनुष्य आम के पेड़ को पत्थर मारता है, लेकिन उसके बदले वह पेड़ मनुष्य को मीठे-मीठे फल ही देता है। वह सिर्फ लोगों की भलाई ही करता है। ऐसे ही संतों का स्वभाव भी होना चाहिए।
३) तुलसीदास ने मधुर वचन के महत्व का कैसे वर्णन किया है?
जिस तरह उबले हुए दूध पर ठंडा जल छिड़कने से वह थोड़ा नीचे बैठ जाता है, इस तरह जब हम मीठे बोल बोलते हैं तब हमारे अंदर का अहंकार मिट जाता है। इसीलिए हमें हमेशा ही मधुर वचन बोलने चाहिए।
४) तुलसीदास ने नदी और नाव का प्रयोग किस संदर्भ में किया है?
तुलसीदास कहते हैं कि हमें इस संसार में अलग-अलग स्वभाव के लोग मिलेंगे लेकिन हमें सबसे साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। हमें सबके साथ अच्छा व्यवहार ही करना चाहिए।
५) तुलसीदास कुल रीति के पालन करने के सम्बन्ध में क्या कहते हैं?
तुलसीदास जी कहते हैं कि हमें अपने कुल की परंपराओं का हमेशा ही पालन करना चाहिए उन्हें कभी त्यागना नहीं चाहिए। जो हमारे लायक हो उसी से ही ब्याह करना चाहिए, जो पर के लायक हो उसे बैर करना चाहिए और जिस के लायक हो उस से ही प्रेम करना चाहिए।
III.) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:p
१ ) तुलसी काया खेत है, मनसा भयौ किसान ।
पाप पुण्य दो बीज हैं, बुवै सौ लुनै निदान ॥
प्रसंग. यह दोहा साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के तुलसीदास के दोहे इस संग्रह से लिया है। इस दोहे के रचनाकार तुलसीदास है।
संदर्भ. इस दुनिया में अलग-अलग विचारों के अलग-अलग स्वभाव के मनुष्य रहते हैं। उन सबके साथ हमें मिलजुल कर रहना चाहिए।
स्पष्टीकरण . इस सारे संसार में अलग-अलग विचारों के, प्रांतों के, धर्म के मनुष्य रहते हैं। सबके स्वभाव अलग-अलग होते हैं सब की मान्यताएं अलग-अलग होती है। उन सब के साथ हमें मिलजुल कर रहना चाहिए। सबके साथ प्रेम से रहना चाहिए।
२) काम, क्रोध, मद, लोभकी, जौ लौं मन में खान |
तौं लौ पंडित मूरखी, तुलसी एक समान ॥
प्रसंग. यह दोहा साहित्य वैभव इस पाठ्य पुस्तक के तुलसीदास के दोहे इस संग्रह से लिया है। इस दोहे के रचनाकार तुलसीदास है।
संदर्भ. तुलसीदास कहते हैं कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो अगर उसके पास अहंकार है, लोभ है, मद, मत्सर है जो दूसरों की प्रति तिरस्कार अपने मन में रखता है वह व्यक्ति मूर्ख लोगों के समान होता है।
स्पष्टीकरण . तुलसीदास कहते हैं हमारे मन में जब तक मद, मोह, लोभ यह सब हमारे मन में है तब तक हम एक मूर्ख के समान है। जब तक हम इन सब को त्याग नहीं देते तब तक पंडित और मूर्ख एक समान ही है।