JKBOSE Class 8 Hindi Chapter 8 क्या निराश हुआ जाए Solution
JKBOSE (Jammu Kashmir State Board Of School Education) Class 8 Hindi Solution Chapter 8 क्या निराश हुआ जाए all Exercise Question Answers. Students of JK Board Grade 8 Standard can download all Answer.
– आपके विचार से
1.) लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
लेखक को लोगों ने धोका दिया है। फिर भी वह निराश नहीं है, क्योंकी जैसे उन्हें धोका देने वाले लोग मिले हैं, वैसे ही उन्हें कुछ कारण न होते हुए भी मदद करने वाले लोग भी मिले हैं। यह बातें उनकी ध्यान में है। बस कंडक्टर ने उनके लिए दूध और दूसरे बस की व्यवस्था की थी। टिकट बाबू ने उनके बचे हुए पैसे लौटाए थे। इसीलिए लेखक को अनेक लोगो ने धोका देने के बावजूद लेखक निराश नहीं है।
2.) समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।
पहली घटना में एक पुलिस वाले ने रेल की पटरी पर एक लड़का अटका हुआ था उसे बचाया। जब उसे बचाया गया तभी वहा से एक रेल गुजर गई। उस पुलिस वाले ने उस बच्चे को समय पर रेल की पटरी से हटाने से उस बच्चे की जान बच गई।
जब रोड पर एक्सीडेंट हुआ था तब रास्ते पर जो लोग थे उन्होंने उनको अस्पताल पहुंचाया था। उसमे से एक व्यक्ती ने उनको अपना खून भी दिया था।
3.) लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हाँ।
पर्दाफाश
1.) दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
हम अगर किसके दोष बताते हैं तो वह बुरी बात नहीं हैं। लेकिन अगर इस सामनेवाला सुनने की हालत में ना हो और उसे गुस्सा आता हो तो यह बुरा रूप ले सकता है।
2.) आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
पहले जो समाचार दिखाए जाते थे उन्हें दिखाने का तरीका शांत था। आजकल जो दोषों का पर्दाफाश दिखाया जाता है उसका तरीका भड़कीला होता हैं। अपना ही चैनल कैसा श्रेष्ठ है यह सबको दिखाना होता है। सभी को अपना टीआरपी बढ़ाना होता है। इसी के पीछे भागते भागते वे कौनसी भी खबरे दिखाते रहते है।
कारण बताइए
1.) निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। परिणाम भ्रष्टाचार – बढ़ेगा।
1.) सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।
लोकशाही खत्म हो जाएगी।
2.) झूठ और फरेब का रोज़गार करने वाले फल-फूल रहे हैं।
लोगों का पैसों के प्रति मोह बढ़ रहा है।
3.) हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।
किसी पर भी विश्वास नहीं रख सकेंगे ।
दो लेखक और बस यात्रा
आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं यदि दोनों बस यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते ? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।
हजारीप्रसाद – नमस्कार भाई
हरिशंकर – अरे! नमस्कार आप यह कैसे?
हजारीप्रसाद – क्या बताऊं….? कल ही आया हूं अपने परिवार के साथ।
हरिशंकर – क्या हुआ आप ऐसे क्यों कर रहे हो?
हजारीप्रसाद – कल ही बस से आया हु। बस रास्ते में पड़ गई बंद। अब क्या करे इतना बड़ा सवाल सामने था। अकेला होता तो कुछ नही। लेकिन कल परिवार भी साथ में था। लेकिन उस बस के कंडक्टर ने बड़ी मदद की।
हरिशंकर – हा मैंने भी ऐसे ही एक बस में सफर किया था। वह बस तो खटारा थी। छह घंटे हमने उसमे सफर किया लेकिन हालत बुरी हो गई।
सार्थक शीर्षक
1.) लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा ?क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ यह शीर्षक जो लिखा है वह उचित है। क्योंकि आज अगर हम हमारे आस पास देखते है सभी जगह निराशा भरी हुई है। कोई भी एक दूसरे पर विश्वास नहीं रखता। सभी को अविश्वास की नजरों से देखा जाता है। अगर क्या निराश हुआ जाए इसकी बजाए कोई दूसरा शीर्षक लिखे तो वह होगा के- निराशा के अंधेरे से आशा के किरण की तरफ
2.) यदि ‘क्या निराश हुआ जाए के बाद कोई विराम चिन्ह लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिन्नहो में से कौन-सा चिन्ह लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। -, ।, !, ?- …..।
यदि क्या निराश हुआ जाए इसके पीछे हमें कोई तो हम …….( क्या निराश हुआ जाए…….) ई रामचंद्र का प्रयोग करेंगे क्योंकि निराशा यह खुद आती है लेकिन हमें आशा की किरण निर्माण करनी पड़ती है या फिर आशाओं के किरणों को ढूंढना पड़ता है। हमारे आसपास निराशा है इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी जगह निराशा से ही भरी हुई है हम अगर आशा के करने को ढूंढ के तो वह हमें मिल जाएगी।
3.) आदर्श की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उतार दीजिए ।
आदर्श की बातें करना आसान है लेकिन उसे पर चलना बहुत कठिन है। क्योंकि हमारे आसपास जो लोग रहते हैं वह सभी निराश हुए होते हैं और वह गलत राह पर चल रहे होते हैं। इनके बीच रहकर आदर्श की बातें करना आसान होता है। लेकिन उस पर चलना किसी भी मनुष्य के लिए कठिन हो जाता है।
सपनों का भारत
हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।
1.) आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।
हमारे विचार से हमारे महान विद्वानों ने एक ऐसे भारतीय कल्पना की थी जहां पर ना कोई गरीब हो और ना कभी श्रीलंका हो सभी लोग अपना अपना काम सुचारू रूप से पूर्ण कर सके किसी को भी अपना काम करने के लिए भ्रष्टाचार करने की जरूरत ना पड़े। किसी को भी अपना काम पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार का हाथ पकड़ना ना पड़े। सभी के आचार्य विचार अच्छे हो।
2.) आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए ।
हमारे सपनों के भारत में भ्रष्टाचारी मुक्त, व्यसन मुक्त भारत है। एक स्वच्छ भारत की कल्पना हम सब कर रहे हैं। लेकिन इन बातों को प्रत्यक्ष रूप में लाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।
भाषा की बात
1.) दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है द्वंद्व समास । इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व स्पर्ध, होड़ की संभावना होती है कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे चरम और परम, चरम-परम, भीरु और बेबस, भीरबेबस दिन और रात दिन-रात और के साथ आए शब्दों के जोड़े को और हटाकर योजक चिन्ह भी लगाया जाता है कभी-कभी एक •साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्वसमास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए ।
आगे -पीछे
आज – कल
खाना – पीना
चढ़ाना – उतरना
हाथ -पांव
जागना – सोना
अपना – पराया
तान – मन
ऊंच – नीच
राम – लक्ष्मण
पाप – पुण्य
दादा -दादी
2.) पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
व्यक्तिवचक संज्ञा- तिलक, गांधी, भारत, मदमनोहन मालवीय, रवींद्रनाथ
भाववाचक संज्ञा- ईमानदार, सच्चाई, मूर्खता, संस्कृति, मनुष्यता
जातिवचक संज्ञा- आदमी, दोष , पति, पत्नी, हिंदू, मुस्लिम, यूरोपीय