JKBOSE Class 7 Hindi Chapter 7 एक तिनका Solution
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एक तिनका
कविता से
1.) नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए ।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे लोग कपड़े की मूँठ देने लगे ।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – जब एक दिन मुंडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी- आँख लाल होकर दुखने भी लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी- बेचारी ऐठ दबे पांव भाग गई।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया- किसी ढब से जब तिनका निकल गया
2.) एक तिनका कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है ?
एक तिनका इस कविता में कवि अपने ही घमंड मुंडेर पर खड़ा था तो उसकी आंखों में तिनका चला गया। उसने तिनका निकालने की कोशिश की लेकिन उसे वह निकल नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद उनकी आंखें सोचने लगी उनकी आंखें बहुत लाल हो गई। अब वह दर्द भी करने लगी थी। आसपास के कई लोग जमा हो गए और उन्होंने भी उनकी आंखों से तिनका निकालने की कोशिश की। लेकिन वह तिनका निकल ही नहीं रहा था। इससे उनको पता चल गया कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए। हमारा घमंड उतारने के लिए एक दिन का भी काफी है।
3.) आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई ?
आंख में तिनका चला जाने के बाद घमंडी की आंखें लाल हो गई, आंखें दर्द करने लगी ऐसा लग रहा था कि आंखों में सूजन आ गई हो।
4.) घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए लोगों ने कपड़े की मुठ देनी शुरु की।
5.) एक तिनका कविता में घमंडी को उसकी समझ’ ने चेतावनी दी-
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा.
एक तिनका है बहुत तेरे लिए ।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-
तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय ।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय ।।
इन दोनों में क्या समानता है और कया अंतर ? लिखिए।
पहली कविता में कवि कहते हैं कि इतनी घमंड मत कर एक तिनका भी तुम्हारा यह घमंड उतार सकता हैं। दूसरी कविता में कबीर कहते हैं कि तिनका छोटा क्यों न हो उसे पैरों से कुचला मत करो। अगर वही तिनका आंख में चला गया तो आंखों में बहुत तकलीफ होती है। इसीलिए हमे कभी घमंड नहीं करना चाहिए। यही सीख हमे इन दोनो कविता में से मिलती है।
अनुमान और कल्पना
1.) इस कविता को कवि ने मैं से आरंभ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ कवि का यह मैं कविता पढ़नेवाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़नेवाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में में की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव आ जाएगा। कविता में मैं के स्थान पर वह या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
वह घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में उसकी पड़ा।
वह झिझक उठा, हुआ बेचैन -सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मुँह देने लोग कपड़े की लगे ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी ।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यों उसे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा.
तू एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
3.) नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का तिनका उड़ा अकास ।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास ।।
तिनका उड़ा अकास – शरीर को छोड़कर आत्मा चली गई।
तिनका-तिनका हो गया – आत्मा जो गई थी वह ईश्वर ( परमात्मा) से मिलगई।
तिनका तिनके पास – आत्मा शरीर को छोड़कर गई उसके बाद शरीर उसके रिश्तेदारों के पास रह गया।
भाषा की बात
किसी ढब से निकलना का अर्थ है किसी ढंग से निकलना ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धन से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘धप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान मारिए –
छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से,
(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया, फुर्र से उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन से गुज़री, मैं ठंड में थर्र से काँप गया ।