पानीपत का तीसरा युद्ध | Third Battle of Panipat in Hindi | Hindi Essay | Third Battle of Panipat Essay in Hindi.
पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी 1761 में हुआ था। यह युद्ध अहमदशाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ था। यह युद्ध भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध में से एक है। यह युद्ध लड़ने का मुख्य उद्देश्य भारत की अस्मिता की रक्षा करना था। इस युद्ध को पानीपत का तीसरा युद्ध इसलिए कहा जाता है कि यह युद्ध पानीपत के मैदान पर हुआ था और यह युद्ध पानीपत मैदान का तीसरा बड़ा युद्ध था। पानीपत मैदान आज के वर्तमान समय में हरियाणा राज्य में स्थित है। भारतीय इतिहास में पानीपत का मैदान एक युद्ध स्थल के रूप से भी जाना जाता था। पानीपत का तीसरा युद्ध भारत के सैन्य इतिहास की एक बहुत बड़ी क्रांतिकारी घटना मानी जाती है।
पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों की सेना का नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ ने किया था। अहमदशाह अब्दाली की सेना का नेतृत्व अब्दाली ने किया था। इस युद्ध में अब्दाली के 42000 अफगान घुड़सवार थे जिनमें से 28000 नियमित घुड़सवार थे और 32000 रोहिल्ला पैदल सेना थी। मराठों की सेना में 55000 मराठा घुड़सवार थे जिनमें से 11000 नियमित घुड़सवार थे। इस युद्ध में काफी जीवित हानि हुई थी। इस युद्ध में मराठों के कई सरदारों को वीरगति प्राप्त हुई जैसे कि विश्वासराव, सदाशिवराव आदि। इस युद्ध में शामिल होने के लिए मराठा महिला भी आई पर वह युद्ध मैदान से कुछ कोस दूर थी। इस युद्ध में मराठों की बहुत हानि हुई थी कुल मिलाकर 28000 मराठा सैनिकइस युद्ध में मारे गए थे। और इस युद्ध में कई मराठा सैनीको को बंदी बनाया गया था जिन्हें कुछ समय बाद मार डाला था। इस युद्ध में मराठों की पराजय का कारण भाऊ सदाशिवराव को उत्तर में युद्ध करने का अनुभव नहीं था यह कहा जाता था। पानीपत के तीसरे युद्ध में लगभग सभी मराठा सरदार मारे गए थे।
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