महानगरीय जीवन निबंध | Metropolitan Life in Hindi | Hindi Essay | Metropolitan Life Essay in hindi.
आजकल हर कोई महानगरी जीवन जीना पसंद करता है। भारत में मद्रास ,कोलकाता ,मुंबई दिल्ली शहरों को महानगर की उपाधि दी गई है। महानगरीय जीवन का अर्थ है आसमां से बात करती हुए ऊंची इमारत,बड़े स्कूल ,कारखाने, मेट्रो आदि। महानगरों में जीवन व्यlयापन करने के लिए सारी सुख सुविधा उपलब्ध होती है। बड़े-बड़े रास्ते रास्तों पर लाइट उपलब्ध होते हैं। खाने से लेकर पानी तक हर सुविधा उपलब्ध होती है। बच्चों के अच्छी शिक्षा के लिए महानगरों में बड़ी-बड़ी स्कूल उपलब्ध होती है। स्वास्थ्य संबंधित सारी सुविधाएं महानगर में उपलब्ध होती है। लोग अक्सर बड़ी बीमारियों का इलाज करने के लिए महानगरों की तरह ही आते हैं। आजकल हर कोई हर व्यक्ति सुख सुविधा के चलते तथा रोजगार के चलते महानगरों में अपना जीवन व्यतीत करना पसंद करता है। बड़े-बड़े कारखाने तथा उद्योगों के कारण महानगरों में बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होता है। रोजगार के चलते आज हर कोई युवा महानगरों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। महानगर के विकसित स्थान होने के कारण हर घर तक बिजली तथा पानी की सुविधा होती है। तथा बार-बार बिजली कटने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। महानगरों में अनेक प्रकार के सुख सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। महानगरों का सुख सुविधा पूर्ण जीवन किसी सपने से कम नहीं है नl हीं वरदान से कम है। महानगरों के भौतिक सुख सुविधा से आकर्षित होकर ग्रामीण लोग प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में महानगर की ओर पलायन करते हैं। इसी कारण दिन-प्रतिदिन महानगरों की संख्या बढ़ती जा रही है। तथा गांव विरान होते जा रहे हैं। अपनी अंदर की प्रतिभा को उभारने के लिए महानगरों में अच्छा अवसर मिलता है। खेलकूद तथा व्यवसाय करने के लिए महानगरों में अच्छॆ अवसर उपलब्ध होते हैं। अपने गुणों को विकसित करने के लिए अच्छे से अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं। अपनी अंदर की प्रतिभा निखारने के लिए यहां अच्छा वातावरण है।
महानगर की ओर पलायन करने वाले लोगों की संख्या कितनी अधिक है कि आज महानगरों का घनत्व बढ़ता जा रहा है। लोगों को रहने के लिए घर की सुविधा नहीं है। महानगरों में रहने के लिए घर काफी महंगे मिलते हैं। महानगर का जीवनी गतिशील भाग दौड़ बड़ा होता है। बाहर कोई व्यक्ति अपने कार्य में तथा अपने जीवन में व्यस्त होता है। बाजू में कौन क्या कर रहा है इस पर कोई ध्यान नहीं देता l महानगरों का जिवन काफी तनावपूर्ण होता है। भाग दोॆड़ तथा तनावपूर्ण जीवन के कारण आज मनुष्य में अनेक प्रकार कि नए-नए बीमारियl हो रही है। महानगरों में लोग अपने कार्य में व्यस्त होते हैं वह कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति की सहायता करने में दिलचस्पी नहीं लेता। वहां के लोगों में धीरे-धीरे मानवता खत्म हो रहि है यह कहना गलत ना होगा। ऑफिस तथा अन्य तान तनlव सहन न कर पाने के कारण महानगर के लोगों को डिप्रेशन नाम की बीमारियl हो रहे हैं। तथा दूसरी तरफ ग्रामीण भागों में लोग एक दूसरे से मिलकर रहते हैं अपनी समस्या एक दूसरे से सज़ा करते हैं इसी कारण उन्हें इस बीमारी का सामना कम करना पड़ता है। महानगरों में रहने के कितने फायदे हैं उससे अधिक नुकसान है। शहरों के धूल वातावरण तथा प्रदूषण के कारण मनुष्य के जीवन पर विपरित परिणाम पड़ता है। वायु, ध्वनि तथा जल प्रदूषण महानगरों में बड़ी संख्या में होता है इन प्रदूषण का विपरीत परिणाम केवल मनुष्य पर तथा संपूर्ण सजिव पर पड़ता है। भारत की राजधानी दिल्ली की गणना दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में होती है। सर्दियों के दिनों में प्रदूषण की समस्या होती है कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। तथा आंखों में जलन होने लगती है। पलयन के कारण महानगरों की जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि वह अब सुख सुविधा का अभाव होने लगा है। निवास स्थान के अभाव के कारण वहा आने वाले मजदूर झुग्गी झोपड़ीयो में निवास करते हैं।
महानगरी जिवन व्यस्त होता है l लोग social मेडिआ पर सक्रिय रह्ते है l सुख सुविधा उपलब्ध होती हैं l रोजगार मिलता है lवक्त का अlभव रहता है l कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ,महानगरीय जीवन सुखमय और आनंद लेते हुए।
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