“भ्रष्टाचार” यह नाम सुनकर थोड़ा अजीब लगता है, कि कैसे तैयार हुआ है शब्द ? जिसे सुनकर मन को असुरक्षित लगता है। उसका जन्म कैसे हुआ होगा?ऐसे प्रश्न मन में आने लगते हैं।पिछले कुछ साल में सब लोग अपनी जिम्मेदारी से निस्वार्थ से,बिना मूल्य काम करते थे। अब विविध बदलाव के कारणों से मनुष्य के अचार और विचार तथा व्यवहार में भी बदलाव दिखता है।
मानव जाति में पहले से ज्यादा तौर पर बदलाव किया है,और उसके साथ-साथ उनके अचार,विचार, व्यवहार में बदलाव के कारण भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम हम ही करते हैं।जो हमारे पर ही कभी-कभी भारी पड़ता है। जिसे हम पर समस्याओं का प्रहार होता है। भ्रष्टाचार की शुरुआत कहां से हुई है? यह हमें नहीं पता पर उसको जड़ से निकालकर हम समाज को एक मोड़ दे सकते हैं। भ्रष्टाचार अलग-अलग क्षेत्र में होता है। जिसका जुर्माना हमें ही भुगतना पड़ता है।
सरकारी काम करते समय हम रिश्वत देते हैं। जो एक फैशन बनकर रह चुका हैं। सिपाही से लेकर मंत्रियों तक हमें रिश्वत देनी पड़ती है।ना देने पर हमारा काम नहीं हो सकता, क्योंकि उनको हमारे से ही किसी ने रिश्वत देकर बढ़ावा दिया होता है। जो हमारे समाज में रहने वाले गरीबों के लिए एक समस्या का कारण बनता है। स्कूलों में अगर किसी अच्छे नंबर वाले बच्चों को एडमिशन लेना है। तो उससे डोनेशन लेते हैं ।बल्कि गरीबों को अपना पेट पालना ही ज्यादा तौर पर संभव नहीं होता।वह अपने बच्चों को कैसे उच्च शिक्षा दे सकते हैं?
अस्पतालों में इतनी फ्रिज बढ़ चुकी है ,कि आम आदमी वह नहीं दे सकता।जिसे उसे अपने जीवन से हार कर मौत को अपनाना पड़ता है। कई भ्रष्टाचारी कर्मचारियों की वजह से अपने काम को हम सही समय पर या बिना रिश्वत के नहीं कर सकते । उन्हें हमसे कुछ चाय पानी के रूप में रिश्वत चाहिए होती है, बल्कि उन्हें उनके काम का सही दाम सरकार देता है। कर्मचारी उनसे बड़े अफसर और मंत्री और तब भी यही हो रहा है।
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कुछ प्रशासन को भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए, और उनको दंड देना चाहिए।हमारी प्रशासन को इतना कठोर बनना चाहिए ,कि उन्हें भ्रष्टाचार को निष्पक्ष के साथ समझ सके। हमारी व्यवस्था इतनी मजबूत होनी चाहिए की, कितनी भी बड़ी पद पर बैठे अपराधियों को सजा देने में आसानी हो। हमें भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले को समाज से अलग करके उनको कुछ भी सहयोग न मिलने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने आप को ही समाज को न्याय देने के लिए निश्चय करना है कि, हम ही भ्रष्टाचार नहीं करेंगे और हमारे आसपास अगर कहीं हो रहा है, तो उसे रोकेंगे।
तभी हम भ्रष्टाचार को समाज से उखाड़ कर एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज बना सकते हैं ।और अच्छे भविष्य की कल्पना कर सकते हैं, जिससे हमारे जीवन में समस्या नहीं तो समाधान ला सकतें है।
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