Chhattisgarh State Class 6 Hindi Chapter 17 नीति के दोहे Solution
Chhattisgarh State Board Class 6 Hindi Chapter 17 नीति के दोहे Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
नीति के दोहे
1.) आम के पेड़ और संत में क्या समानता है?
आम के पेड़ को कितने भी पत्थर मारो वह सिर्फ मीठे फल ही देगा। वैसे ही संत को भी कितना बुरा भला कहा वह अपनी मधुर वाणी नहीं छोड़ेगा यह आम के पेड़ और संत में समानता होती है।
2 .) परोपकार के महत्व को रहीम ने किस प्रकार समझाया है?
रहीम जी कहते हैं कि जो परोपकार करता है वह अपने लिए कुछ नहीं रखना जैसे की जो वृक्ष हमें मीठे मीठे फल देते हैं वह वृक्ष उन फलों को नहीं खाते। इसी प्रकार जो व्यक्ति दूसरों पर परोपकार करना चाहता है वह खुद के लिए संपत्ति इकट्ठा नहीं करता।
3.) उत्तम प्रकृति वाले व्यक्ति कुसंगति से प्रभावित नहीं होते हैं। इसे समझाइए ।
जिस प्रकार चंदन के पेड़ पर सांप होते हैं लेकिन चंदन विषैला नहीं होता। उसी प्रकार उत्तम प्रकृति वाले व्यक्ति कुसंगति में रहकर भी उससे प्रभावित नहीं होते।
4.) मनुष्य देह नाशवान है। इस कथन को कबीर ने कैसे सिद्ध किया है।
मनुष्य देहांत नाशवान है इस पंक्ति का मतलब है कि जैसे पेड़ पर लगे टहनी जब गिर जाती है तो वह फिर से उसे पर नहीं लगती। इस प्रकार मनुष्य का शरीर भी नाशवान है यह हमें बार-बार नहीं मिलता। हमें एक ही बार यह शरीर मिलता है।
5.) भले लोग हमेशा दूसरों के लिए ही कार्य करते हैं। रहीम जी ने इस बात को किस तरह समझाया है?
पेड़ों पर फल लगते हैं लेकिन वह फल पेड़ नहीं खाते। इसी प्रकार भले लोग हमेशा दूसरों के हित के लिए ही कार्य करते हैं।
5.) मानव के रूप में जन्म को दुर्लभ क्यों बताया गया है?
जिस प्रकार पेड़ पर लगी टहनी गिरती है वह फिर से उस पेड़ पर जाकर नहीं लगती है। इसी प्रकार मानव शरीर भी नाशवान है। आत्मा अमर है लेकिन यह जन हमें बार-बार नहीं मिलता। इसीलिए कबीर दास जी ने मानव जीवन को दुर्लभ बताया है।
6.) तुलसी ने मीठे वचन को वशीकरण का मंत्र क्यों कहा है?
मीठे वचन से सुख की उत्पत्ति होती है। अगर हम मीठे वचन बोलते हैं तो फिर सबको पसंद आते है। अगर हम कड़वे वचन का प्रयोग करते हैं तो हम से कोई प्यार नहीं करता। इसीलिए तुलसी ने मीठे वचन को वशीकरण मंत्र कहां है।
7.) तुलसी के अनुसार हमें कैसे स्थान पर नहीं जाना चाहिए?
किसी के अनुसार हमें उसे घर में नहीं जाना चाहिए जिस घर में जान उसे घर के लोगों को खुशी नहीं होती, उनकी आंखें स्नेह और प्यार से गीली ना होती हो। वहां पर सोने की वर्षा ही क्यों ना हो जाए वहां पर नहीं जाना चाहिए।
9.) आज का काम कल पर क्यों नहीं टालना चाहिए?
अगर आज का काम हम आज नहीं करेंगे तो हमारे काम बढ़ते जाएंगे और कोई ना कोई काम हमसे छूट ही जाएगा। इसलिए आज का काम हमें आज ही करना चाहिए।
10.) निम्नलिखित दोहों के अर्थ स्पष्ट कीजिए
क.) तुलसी सत सुअब तरु, फूलि – फलहिं पर हेत ।
इतते ये पाहन हनत उतते ये फल देत
संत मीठे फल की तरह होते हैं। पेडों पर जितना हम पत्थर मारते हैं उतने वह हमें मीठे फल ही देते हैं। वैसे ही संत को कितने भी कड़वे वचन बोलो वह हमें से प्यार से ही बात करते हैं।
ख.) जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापै नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।
अगर कोई सर्वगुण संपन्न व्यक्ति किसी कुसंगत में आ जाए तो कुसंगति का असर उसे गुणवान व्यक्ति पर नहीं पड़ता। ऐसे ही जैसे चंदन पर अगर सांप लिपटा हो तो चंदन विषैला नहीं होता।
पाठ से आगे
1.) अपने मन की व्यथा दूसरों को भी बतानी चाहिए या अपने मन में ही रखनी चाहिए। अपने विचार कारण सहित लिखिए।
हमें हमारे मन की व्यथा सिर्फ ऐसे लोगों को बताना चाहिए जो हमारे मन की अवस्था को जान सकते हैं, हमें समझ सकते हैं। ऐसे लोगों को हमें हमारी मन की व्यथा बिल्कुल नहीं बतानी चाहिए जो लोग हमारी बातों का गलत अर्थ निकालते हैं, जिनको हमारे सुख दुख से कोई संबंध नहीं है।
2.) तुलसीदास जी के अनुसार मुखिया को मुख के समान होना चाहिए आपके अनुसार घर के मुखिया में कौन-कौन से गुण होने चाहिए और क्यों?
घर के मुखिया की वाणी मीठी होनी चाहिए, सबको एक साथ रखने के लिए उसे प्रयत्न करने चाहिए, सब की बातें सुनकर उसे पर चर्चा करने चाहिए और अपने घर के लिए सही निर्णय लेने चाहिए।
3.) हमें बोलते या बातचीत करते समय किन बातों / चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
हमें बोलते समय हमारे मुख से कोई कड़वे बोलना नहीं सिर्फ मीठे बोल कि सामने वाले के लिए हमारे मुंह से निकले इस बात का हमें हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए।
भाषा से
1.) नीचे वाक्यों के कुछ जोड़े दिए गए हैं उन्हें देखिए-
(i) हम आप से कहे थे।
(ii) हमने आप से कहा था।
(i) एक फूल की माला दो।
(ii) फूलों की एक माला दो
(i) में गर्म गाय का दूध पीता हूँ।
(ii) मैं गाय का गर्म दूध पीता हूँ।
यहाँ हर जोड़े के पहले वाक्य में अशुद्धि है, जिसे सुधार कर दूसरे वाक्य में लिखा गया है। जानकारी के आभाव में वाक्य रचना में कई प्रकार की अशुद्धियाँ आ सकती हैं ये अशुद्धियाँ वचन, लिंग, विभक्ति संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, मुहावरे, क्रिया विशेषण, पदक्रम, पुनरुक्ति तथा शब्दों से संबंधित हो सकती है। नीचे कुछ अशुद्ध वाक्य दिए जा रहे हैं उनमें अशुद्धि को पहचानिए और शुद्ध कर के लिखिए-
(1) उसने अनेकों ग्रंथ लिखे।
उसने अनेक ग्रंथ लिखे।
(2) वह धीमी स्वर में बोला।
बहुत धीमी से बोला।
(3) मैं यह काम नहीं किया हूँ।
मैंने यह काम नहीं किया है।
(4) में रविवार के दिन जाऊँगा।
मैं रविवार को जाऊंगा।
(5) गीता आई और कहा।
गीता ने आकर कहा।
(7) उसे भारी दुख हुआ।
उसे बहुत दुख हुआ।
(9) इस क्षेत्र में सर्वस्य शांति है।
इस क्षेत्र में सर्वत्र शांति है।
(10) मैनें ग्रहकार्य नहीं किया है।
मैंने गृह कार्य नहीं किया है।
(6) वह श्याम पर बरस गया।
वह श्याम पर गुस्सा हो गया।
(8) में दर्शन देना आया था।
मैं दर्शन देने आया था।
(11) यह बेफिजूल की बातें करता है।
वह व्यर्थ की बातें करता है।
(12) यहाँ नहीं रूको।
यहां मत रुको।
2.) इन वाक्यों को देखिए-
- i) तीर एक अस्त्र है।
(ii) तलवार एक शस्त्र है।
(ii) ‘बाईबिल एक ग्रंथ है।
(ii) हिन्दी की पुस्तक दो।
शब्दों के इन जोड़ों में रेखांकित शब्द एक समान अर्थ देने वाले माने जाते हैं परंतु वास्तव में उनके अर्थ और प्रयोग में सूक्ष्म अंतर होता है। ऐसे शब्दों को सूक्ष्म अर्थमेदी शब्द कहते हैं। इस प्रकार के शब्द समानार्थी प्रतीत होते हुए भी भिन्न अर्थ प्रगट करते हैं। नीचे कुछ सूक्ष्म अर्थ मेदी शब्दों के जोड़े दिए गए है। आप उनका वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनमें अंतर स्पष्ट हो जाए
(1) अनिवार्य-आवश्यक
तुम्हे पढ़ना आवश्यक है।
तुम्हारे लिए यह काम अनिवार्य है।
(2)गहरा- घना
खाई गहरी है।
वहा से घना अंधेरा है।
(3) आज्ञा- आदेश
राजू ने गुरु के आज्ञा का पालन किया।
महाराज ने सेना को आदेश दे दिया।
(4)प्रणाम- नमस्कार
मैं ने पिता जी को प्रणाम किया।
पत्र में लिखते वक्त मैंने नमस्कार तायाजी ऐसे लिखा।
(5) कठिन- कठोर
सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए।
हमे बच्चों के साथ कठोर होना चाहिए।
(4) वध हत्या
राजा ने दूसरे राज्य के राजा का वध कर दिया।
चोरों ने चोरी करने के लिए घर वालों की हत्या कर दी।
9) अमूल्य बहुमूल्य
हमारे घर वाले हमारे लिए अमूल्य होते हैं।
हमारी दुनिया में बहुत सी ऐसी वस्तु है जो बहुमूल्य है।
छाया परछाई
हम पेड़ की छाया में खड़े रहे।
बच्चे खुद की परछाई देखकर डर जाते हैं।
3.) 1.) हमने कल कबड्डी खेला।
2.) हम कबड्डी खेल रहे हैं।
3.) हम कबड्डी खेलेंगे।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘खेला, खेल रहे हैं और खेलेंगे तीनों क्रियाएँ हैं जो अलग-अलग समय में कार्य के होने का बोच करवा रही हैं क्रिया का वह रूप जिससे उसके होने या करने के समय का पता चले, काल कहलाता है काल के तीन भेद हैं-
1.) भूतकाल : क्रिया बीते समय में हुए कार्य का बोध कराती है (उदा.) हमने पाठ पढ़ लिया था।)
2.) वर्तमान क्रिया वर्तमान में चल रहे कार्य का बोध कराती है (उदा हम पाठ पढ़ रहे है।) –
3.) भविष्य :- क्रिया भविष्य में होने वाले कार्य का बोध कराती है (उदा.) हम पाठ पढ़ेंगे।)
नीचे दिए गए वाक्यों का काल पहचान कर लिखिए।
1.) शायद चोर पकड़ा जाए।
भविष्य काल
2.) पुजारी पूजा करता है।
वर्तमान काल
3.) मोहन आया।
भूतकाल
4.) वह देखता है।
वर्तमान काल
5.) रीता रो रही थी।
भूतकाल
6.) दीपक अखबार बेचेगा।
भविष्यकाल
7.) मैं पढ़ रहा हूँ।
वर्तमान काल
8.) यह आए तो मैं जाऊँ।
भविष्यकाल
9.) मैं अभी सोकर उठी हूँ।
भविष्यकाल
10.) किसान बाजार जा रहा होगा।
वर्तमान काल
11.) वह पढ़ता होगा।
भविष्य काल
12.) बस छूट गयी होगी।
भूतकाल
13.) यदि वर्षा होती तो छतरी बिकती।
भूतकाल
14.) संभव है कि वह लौटा हो।
भूतकाल
15.) महादेवी जी ने संस्मरण लिखे।
भूतकाल
4.) निम्नलिखित के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
साँप- सर्प , नाग
सोना- कनक, कंचन
पेड़- वृक्ष, तरु
सरोवर- तालाब, ताल
तलवार- खड्ग, कृपाण
5.) नीचे लिखे शब्दों के तत्सम रूप लिखिए सनेह / मेह / धूरि / रतन / तरवारि / परलय / दुरलभ / जनम / हरष । निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए – –
कठोर- मृदु
विवेक- अहंकार
हर्ष- दुःख
संतोष- असंतोष
हित- अहित
परमार्थ – स्वार्थ
लघु- दीर्घ