Bihar Board Class 8 Social Science History Chapter 8 जातीय व्यवस्था की चुनौतियां all Question and Answers complete Solution by Neha Mam. Here you will get Bihar Board Class 8 Social Science History Solution all chapters.
Bihar Board Class 8 Social Science History Chapter 8 जातीय व्यवस्था की चुनौतियां
Board |
Bihar State Board (BSEB) |
Class |
8 |
Subject |
Social Science History |
Book Name |
Atit Se Vartman |
जातीय व्यवस्था की चुनौतियां
अ.) रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1.) भारत में सामाजिक भेदभाव …………………… पर आधारित है।
भारत में सामाजिक भेदभाव जाति व्यवस्था पर आधारित है।
2.) समाज में एक छोर पर ब्राह्मण थे तो दूसरे छोर पर ……………………….. ।
समाज में एक छोर पर ब्राह्मण थे तो दूसरे छोर पर अछूत।
3.) पहले जाति प्रथा की आलोचना को सभी प्रकार की ……………………….. से जोड़ा।
पहले जाति प्रथा की आलोचना को सभी प्रकार की असमानता से जोड़ा।
4.) दक्षिण भारत में भी ……………….. की स्थिति चिंताजनक थी।
दक्षिण भारत में भी महिलाओं की स्थिति चिंताजनक थी।
5.) 20वीं सदी के आरंभ में गैर ……………………. आंदोलन आगे बढ़ा।
20वीं सदी के आरंभ में गैर ब्राह्मण आंदोलन आगे बढ़ा।
6.) अछूतो और दलितों को महात्मा गांधी जी ने हरिजन का नाम दिया।
अछूतो और दलितों को महात्मा गांधी जी ने हरिजन का नाम दिया।
7.) बाबा भीमराव अंबेडकर ने …………………….. और पूर्वग्रह को बहुत निकट से महसूस किया था।
बाबा भीमराव अंबेडकर ने जातीय विवाह और पूर्वग्रह को बहुत निकट से महसूस किया था।
आ.) दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखें।
1.) जाति का निर्धारण किस बात पर होने लगा?
जन्म के आधार पर
2.) सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास किस वर्ग ने किया?
पढ़े लिखे वर्ग ने
3.) औपनिवेशिक कल में ब्राह्मणों ने किस शिक्षा को अपनाया?
अंग्रेजी शिक्षा
4.) आर्य वैदिक परंपरा का विरोध करने के लिए ज्योतिबा फुले इन्होंने कौन सी पत्रिका निकाली?
दीनबंधु
5.) जस्टिस पार्टी का नेतृत्व किन्हे सोपा गया?
पेरियार को
6.) गांधी जी का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
दलितों का उत्थान
इ.) सही जोड़ियां लगाओ।
1.) 1873 – हरिजन सेवक संघ की स्थापना।
2.) ज्योतिबा फुले – नारायण धर्म परिपालन योगम की स्थापना।
3.) दक्षिण भारत – पहला अखिल भारतीय डिप्रेस्ड क्लास सम्मेलन।
4.) 1902 – वीरशेलिंगम
5.) 20वीं सदी का आरंभ – दीनबंधु
6.) 1932 – गुलामी पुस्तक प्रकाशित
7.) 1919 – गैर ब्राह्मण आंदोलन का आगे बढ़ाना।
उत्तर –
1.) 1873 – गुलामी पुस्तक प्रकाशित
2.) ज्योतिबा फुले – दीनबंधु
3.) दक्षिण भारत – वीरशेलिंगम
4.) 1902 – नारायण धर्म परिपालन योगम की स्थापना।
5.) 20वीं साड़ी का आरंभ – गैर ब्राह्मण आंदोलन का आगे बढ़ाना।
6.) 1932 – हरिजन सेवक संघ की स्थापना।
7.) 1919 – पहला अखिल भारतीय डिप्रेस्ड क्लास सम्मेलन।
ई.) तीन से चार वाक्य में उत्तर लिखिए
1.) हमारे देश में सामाजिक कुरीतियों ने क्यों जन्म लिया?
भारत में सामाजिक भेदभाव जाति व्यवस्था पर आधारित है। इसे लेकर एक और एक विशेष अधिकार प्राप्त वर्ग जिसे अपना प्रभुत्व इस समाज पर स्थापना किया है और श्रेष्ठ उच्च जाति के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है। और दूसरी और एक शोषित वर्ग है। हमारे देश में भी इसी प्रकार के सामाजिक भेदभाव के अधिक रूप सामने आए जिसे कई प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म दिया।
2.) हमारे देश में किन जातियों के साथ कठोर भेदभाव की नीति अपनाई गई?
हमारे देश में बंगाल के चांडाल बिहार के दो दक्षिण बिहार के भैया महाराष्ट्र के मेहर और उत्तर भारत के अनेक क्षेत्रों में चमार जातियों के साथ कठोर भेदभाव की नीति अपनाई गई। चमड़े का काम करने वाले लोगों को परंपरागत रूप से नीची नजर से देखा जाता था।
3.) किन बातों ने महात्मा ज्योतिबा फुले को जाति प्रथा का प्रबल विरोधी क्यों बना दिया?
ज्योतिबा फुले जाति व्यवस्था को मनुष्य की समानता के खिलाफ मानते थे। उन्होंने जाति व्यवस्था को पूरी तरह से नकारा था। अछूत वर्ग के खिलाफ और मानवीय व्यवहार और उन्हें सामान्य मानव अधिकार से वंचित रखने की स्थिति ने खुले को जाति प्रथा का प्रबल विरोधी बना दिया।
4.) वीराशेलिंगम द्वारा चलाए गए आंदोलन का कौन सा परिणाम हुआ?
वीराशेलिंगम द्वारा चलाए गए आंदोलन एक प्रेरणा स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। जिसने दक्षिण भारत में ऐसे दूसरे महत्वपूर्ण संगठन और आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहायता की। इस परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी की जातीय संगठन ने धीरे-धीरे राजनीतिक शक्तियों का रूप ले लिया। इसका परिणाम 20वीं सदी में चलाए गए आंदोलन में देखा जाता है।
5.) बाबासाहेब अंबेडकर को दलितों के उत्थान के लिए कौन सी बातें महत्वपूर्ण लगी?
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने जातीय भेदभाव और पूर्वग्रह को बहुत निकट से महसूस किया था। उनके जीवन का उद्देश्य दलित उत्थान की भावना से प्रेरित था। वह दलित समाज को सभी अधिकार प्रदान करना चाहते थे। भारतीय जातिगत समाज में दलित वर्ग को समाज में सम्मानपूर्वक स्थान दिलाना अंबेडकर के लिए अधिक महत्वपूर्ण था। अतः उन्होंने दलित लोगों को शिक्षित होने का आवाहन दिया और दलितों को वैधानिक और राजनीतिक अधिकारों की मांग रखी।