Bihar Board Class 7 Social Science History Chapter 1 कहा कब और कैसे ? all Question and Answers complete Solution by Neha Mam. Here you will get Bihar Board Class 7 Social Science History Solution all chapters.
Bihar Board Class 7 Social Science History Chapter 1 कहा कब और कैसे ?
Board |
Bihar State Board (BSEB) |
Class |
7 |
Subject |
Social Science History |
Book Name |
Atit Se Vartman |
कहा कब और कैसे ?
अ.) दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखें।
1.) मध्ययुगीन भारत का आर्थिक जीवन किस व्यवसाय पर आधारित था?
मध्य युगीन भारत का आर्थिक जीवन कृषि इस व्यवसाय पर आधारितथा।
2.) नगरों का विकास और उनकी संख्या में वृद्धि किस वजह से हो रही थी?
उत्पादन के क्षेत्र में आए तकनीकी परिवर्तनों के कारण नगरों के विकास और उनकी संख्या में वृद्धि हो रही थी।
3.) खेतों की कोड़ाई के लिए किन औजारों का इस्तेमाल होता था?
खेतों की कोडाई के लिए कुदाल या फावड़ा का इस्तेमाल होता था।
4.) वस्त्र बनाने के लिए किस शताब्दी से चरखे का प्रयोग शुरू हुआ?
वस्त्र बनाने के लिए 13वीं शताब्दी के आसपास से चरखे का प्रयोग होने लगा।
5.) लेखन क्षेत्र में हमारे देश के लोग मध्ययुगसेपहले किन वस्तुओं का इस्तेमाल करते थे।
लेखन क्षेत्र में हमारे देश के लोग मध्ययुग सेपहले ताड़ के पत्तों का अधिकतर इस्तेमाल करते थे।
6.) 13 वी शताब्दी में दिशा समझने के लिए समुद्री जहाज पर कौन से यंत्र का प्रयोग हुआ?
13वीं शताब्दी के आसपास समुद्री जहाज पर दिशा समझने हेतु कुतुबनुमा मतलब दिशा सूचक यंत्र का प्रयोग हुआ।
7.) इस्लाम धर्म के अनुयाई खुदको को क्या कहलाते है?
इस्लाम धर्म के अनुयाई खुद को मुसलमान कहलाते हैं।
आ.) दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन से चार वाक्य में लिखो।
1.) खेतों की सिंचाई के लिए जल प्राप्त करने के कौन-कौन से साधन थे?
खेतों की सिंचाई करने के लिए ज्यादातर किसान वर्षा पर अवलंबित रहते थे, लेकिन बारिश के पानी को तालाब और कुंडो में इकट्ठा कर सिंचाई की जाती थी। कुएं से भी पानी को बाहर निकालने के लिए कई यंत्र इस्तेमाल किए जाते थे।पानी को बाहर निकालने के लिए घटी यंत्र का इस्तेमाल किया जाता था बाद में रहट का इस्तेमाल होने लगा।
2.) प्राचीन भारत में वस्त्र बनाने के लिए कौन से यंत्र का इस्तेमाल किया जाता था?
प्राचीन भारत में वस्त्र उद्योग चलाने के लिए या फिर वस्त्र बनाने के लिए धागों की कताई के लिए केवल हाथ से चलने वाले पहिए और तकली का प्रयोग होता था। 13वीं शताब्दी के आसपास इस क्षेत्र में चरखी का प्रयोग होने लगा।टकली से सूट काटने में बहुत समय लगता था वही चरखी से सूट काटने की गति काफी बढ़ गई।
3.) ज्ञान और शिक्षा के प्रसार में वृद्धि किस वजह से हुई?
हमारे देश के लोग ताड़ के पत्तों का अधिकतर प्रयोग लेखन क्षेत्र में करते थे। परंतु मध्य युग में तुर्कों के आगमन के साथ लेखन में कागज का व्यापक उपयोग होने लगा। सबसे पहले कागज सो इस विजन के आसपास चीन में बनाया गया था। अपने देश में कागज का प्रयोग 13वीं शताब्दी के आसपास हुआ। इससे ज्ञान और शिक्षा के प्रसार में काफी वृद्धि हुई।
4.) नई तकनीक और आविष्कारों की वजह से युद्ध नीति में कौन से परिवर्तन आए?
युद्ध क्षेत्र में उड़ सवार सैनिकों की सुविधा के लिए दो महत्वपूर्ण आविष्कार इस समय हुए। पहले आविष्कार था लोहे की रकाब जिस सैनिकों को घोड़े पर जमकर बैठने में सुविधा प्राप्त हुई। इसका उपयोग युद्ध के क्षेत्र में होने लगा आक्रमण का तरीका अधिक कारगर हो गया। दूसरा आविष्कार था लोहे की नाल जो घोड़े की खुर में लगाई जाती थी। इसके दो लाभ थे पहले नरम जमीन पर घोड़े के पर को अच्छी पकड़ मिलती थी और दूसरा खुरदरे कठोर जमीन पर खुद सुरक्षित रहते थे। इसके बाद युद्ध नीति में काफी परिवर्तन हुए।
5.) अब लोग अपने साथ-साथ कौन-कौन सी चीज लेकर आए?
अब लोग अपने साथ-साथ उनके रीति रिवाज, खान-पान, पहनावा यह सब लेकर आए। उनके प्रमुख पकवानों में पुलाव, बिरयानी, कोरमा यह प्रमुख है। कालांतर में ऐसे ही नई रीति रिवाज, पकवान तुर्क, अफगान और मुगल भी भारत लेकर आए।
6.) मध्य युग में हिंदू धर्म में कौन-कौन से बदलाव देखने मिले?
मध्य में हिंदू धर्म में कई बदलाव देखने के लिए मिले। भारत में हर जगह हिंदू धर्म मानने वाले लोग जैसे कि शिव विष्णु राम कृष्ण जैसे देवताओं को यहां के लोग बहुत मानते हैं। लेकिन मध्ययुगीन काल में तांत्रिक विचारधारा मतलब शैवमत की एक शाखा के रूप में उभरा इसमें कल धारण करना तथा कल में ही भोजन ग्रहण करते थे।
7.) गुप्त काल में कौन से संप्रदाय की पूजा भारत में करते थे?
गुप्त काल में वैष्णव संप्रदाय के उपवास में पूरे भारत में की जाती थी। अपने उदारवादी प्रवृत्ति और विष्णु के अवतार के रूप में लौकिक देवताओं के उपासना के कारण यह संप्रदाय बहुत लोकप्रिय हुआ इसमें कृष्ण की रासलीला का बड़ा महत्व है।
इ.) रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1.) इस्लाम धर्म के लोग यह मानते हैं कि एक ही ईश्वर है ……………।
इस्लाम धर्म के लोग यह मानते हैं कि एक ही ईश्वर है अल्लाह।
2.) अरब लोगों ने आठवीं शताब्दी में …………………. पर अपना शासन भी स्थापित कर लिया।
अरब लोगों ने आठवीं शताब्दी में सिंध पर अपना शासन भी स्थापित कर लिया।
3.) कबीर, रैदास, नानक, रामानंद आदि प्रसिद्ध संत कवि थे।
कबीर, रैदास, नानक, रामानंद आदि प्रसिद्ध ………………… थे।
4.) बिहार के प्रसिद्ध हिंदी भक्त कवियों में ……………………….. का नाम भी उल्लेखनीय है।
बिहार के प्रसिद्ध हिंदी भक्त कवियों में दरिया साहब का नाम भी उल्लेखनीय है।
5.) इसी काल में ………………………… ने भारतीय इतिहास में एक नई शक्ति के रूप में पदार्पण किया।
इसी काल में राजपूतों ने भारतीय इतिहास में एक नई शक्ति के रूप में पदार्पण किया।
6.) …………………. के माध्यम से भी शासको की तिथि क्रम को समझने में सहायता मिलती है।
सिक्कों के माध्यम से भी शासको की तिथि क्रम को समझने में सहायता मिलती है।
उ.) नीचे दी गई बातें स्पष्ट करें।
1.) बिहार की वास्तुकला –
बिहार की वास्तुकला भी संस्मरण यह है। शेरशाह का सासाराम स्थित मकबरा हिंदू मुस्लिम स्थापत्य के सम्मिश्रण का एक सुंदर नमूना है।मंदिर में मखदूम शाह दौलत का समाधि भवन भी है वह भी उच्च कोटि के कल का उदाहरण प्रस्तुत करता है। मध्यकाल में बिहार में निर्मित मंदिरों में पटना से 18 मिलकी दूरी पर स्थित वैकटपुर का शिव मंदिर जिसके लिए राजा मानसिंह ने आर्थिक सहायता प्रदान की।
2.) पांडुलिपियां –
पांडुलिपियों का स्रोत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान है। जिससे उस इतिहास को जानने में मदद मिलती है।पांडुलिपियां हस्तलिखित सामग्री है। हम जानते हैं की शुरुआत में ताडपत्र और भोजपत्रों पर ही यह लिखी जाती थी। लेकिन जब से कागज का उत्पादन शुरू हुआ तब से यह लिपियां कागज पर लिखी जाने लगी। यह पांडुलिपियां बहुत सारी भाषाओं में हम इस्तेमाल करते हैं।
3.) तुजूक – ए बाबरी
मुगल शासक बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक- ए बाबरी तुर्की भाषा में लिखिए जिसका फारसी अनुवाद बाबरनामा कहलाता है। उसने अपने लड़कपन की घटनाओ लड़ाईओ यहां के महत्वपूर्ण शासन और उनके आप से संबंध यहां के लोगों का रहन-सहन, जलवायु, भूगोल आदि के संबंध में सजीव चित्रण किया है।
4.) सचित्रपुस्तके –
उसे समय की कई पुस्तक सचित्र होती थी। यह चित्र अक्षर किताब के पूरे पन्ने पर छोटे-छोटे चित्रों के रूप में सजे होते थे। इन लघु चित्रों को सिनियेचरकहते हैं। लघु चित्रों को मुगल दरबार एवं उत्तर और दक्षिणी भारत के राजपूत राजाओं के दरबार में महत्वपूर्ण। इन चित्रों में अधिकतर शाही दरबार शिकार और लड़ाई के मैदान का चित्रण होता था।