हमारे भारत देश में कई साहित्यकार है। जो अपने काव्य से प्रसिद्ध है। अपने समाज का रूप अपनी साहित्य से हम तक पहुंचाते हैं। साहित्यकार हमारे लिए एक हमारे जीवन के रूप रेखा ही है।उनमें से ‘तुलसीदास’ एक महान कवि के नाम से प्रसिद्ध है। जो कविता के साथ-साथ काव्य और ग्रंथों के भी रचनाकार बनकर जब प्रसिद्ध है। वह हमारे आदर्श है ।वह मेरे अलावा कई लोगों के भी प्रिय होंगे ।
मेरा प्रिय कवि पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on My Favourite Author in My Favourite Author par Nibandh Hindi mein)
तुलसीदास जी का जन्म इस. १५३० में हुआ था। उत्तर प्रदेश के वादा जिले के राजपुर गांव में एक मध्यम वर्ग के घर में हुआ था। उनकी माता का नाम तुलसी जी और पिताजी का नाम आत्माराम दुबे था। उनके माता-पिता जी ने उन्हें जन्म के बाद ही उनका त्याग कर दिया था, क्योंकि वह एक अमुक त न जल में जन्में थे। तुलसीदास जी के जन्म से ही बतीत्स दांत थे। बचपन में उनको ‘नरहरी दास जी’ ने ही पला था,उन्हें संसार की स्थितियों का ज्ञान प्राप्त किया।
आगे नरहरी दास ही उनके गुरु बने।उनका विवाह रत्नावली नाम की लड़की के साथ कराया गया। तुलसीदास जी अपनी पत्नी के प्रेम में ज्यादा तौर पर उत्साहित थे। पर एक बार उनकी पत्नी के दाॅट से, उन्होंने अपना घर छोड़कर, काशी क्षेत्र में चले गए। वह अपनी पत्नी से बहुत नाराज हो गए थे। तुलसीदास जी ने काशी क्षेत्र में जाकर काव्य का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। जिससे उन्हें अच्छे जीवन को एक मोड़ दिया था। बचपन में अपने माता-पिता जी के प्यार से वंचित थे। उन्होंने अपने बचपन में उन्हें कठिनाई और ग़रीबी से भरा बचपन देखा था। काशी क्षेत्र में उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित करके, एक सम्मान पाया था। उन्होंने कई काव्यों की रचनाओं की, पर उनके जगह प्रसिद्ध कुछ काव्य है। ‘रामचरितमानस’ ,विनय, पत्रिका, दोहावली, गितावली, रामलीला, संजीवनी, वैराग्य, दीपावली, कवितावली, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, इस सब तुलसीदास जी के जग प्रसिद्ध होकर सबके पसंदीदा काव्य है। तुलसीदास जी का सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण काव्य “राम चरित्र मानस” है। जो श्री राम जी के जीवन चरित्र पर आधारित है। उन्होंने श्री राम जी के जीवन पर आधारित कई काव्य किए। पर रामचरित्र मानस सबसे श्रेष्ठ है। उसमें कई प्रकार के भावनाएं क्षण है। धार्मिकता कि भी रचना कि है।
रामचरित्र मानस में हमारे जीवन के आधारित ही उन्होंने वर्णन करके लिखा है।तुलसीदास जी एक आदर्श कवि है। जो अपने काव्य और कविता की रचना ज्ञान, भक्ति, कर्म और संस्कृति और धर्म, समूह और निर्गुण के आधार पर करते हैं। तुलसीदास जी एक आदर्श होकर निष्ठा वादी थे। उन्होंने अपने जीवन में कई समस्याओं को झेलकर अपना मन कई बुराई के तरफ नहीं जाने दिया। वह हमारे एक आदर्श बनकर रह गए हैं। उन्होंने साबित करके दिखाया कि, हम हमारे जीवन का मार्ग अपने मन से ही निकाल सकते हैं। जीवन का हर एक सुख-दुख झेल सकते हैं। इस कारण कवी तुलसी दास जी मेरे प्रिय कवि है। मैं भी उनकी तरह ही अपने जीवन को सावरकर, उन्हें अपना गुरु मानती हूं।
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