MP Board Class 7 Social Science Chapter 2 Dakshin Bharat Ke Rajya Solution
Madhya Pradesh State Board Class 7 Social Science Chapter 2 Dakshin Bharat Ke Rajya (दक्षिण भारत के राज्य) full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Social Science teacher.
Dakshin Bharat Keदक्षिण भारत के राज्य
अभ्यास प्रश्न
1 .) निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(1) पल्लव वंश के किस शासक ने राजा पुलकेशिन द्वितीय को हराकर ‘वातापीकोड’ की उपाधि धारण की थी-
(अ) महेन्द्र वर्मन
(ब) नरसिंह वर्मन प्रथम
(स) अपराजित वर्मन
(द) यशोवर्मन
उत्तर – (ब) नरसिंह वर्मन प्रथम
(2) राष्ट्रकूट वंश के किस शासक ने एलोरा की गुफा में कैलाश मंदिर का निर्माण करवाया-
(अ) कृष्ण प्रथम
(ब) राजा ध्रुव
(स) कृष्ण द्वितीय
(द) राजेन्द्र प्रथम
उत्तर – (अ) कृष्ण प्रथम
(3) तमिल भाषा में रामायण के रचयिता कौन थे-
(अ) वाल्मिकी
(ब) तुलसीदास
(स) कंबन
(द) आदिशंकराचार्य
उत्तर – (स) कंबन
2.) कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) पल्लव राज्य की राजधानी ………… थी। (तिरुअनंतपुरम, तंजौर, कांचीपुरम)
पल्लव राज्य की राजधानी कांचीपुरम थी।
(2) चोल शासकों द्वारा बनवाया गया राजराजेश्वर (वृहदेश्वर) मंदिर ………… में स्थित है। (तिरुअनंतपुरम, तंजौर, कांचीपुरम)
चोल शासको द्वारा बनवाया गया राज्यराजेश्वर (वृहदेश्वर) मंदिर तंजौर में स्थित है।
(3) चोल प्रशासन में प्रांत को ………… कहा जाता है। (उर, मंडलम, नगरम)
चोल प्रशासन में प्रांत को मंडलम कहा जाता है।
3.) लघु उत्तरीय प्रश्न-
(1) उत्तर भारत व दक्षिण-भारत के बीच निकटता बढ़ने का एक प्रमुख कारण बताइए।
देश के दक्षिण भारत में जो धार्मिक आंदोलन शुरू हुए थे वह उत्तर भारत में भी लोकप्रिय हो गए यह उत्तर भारत व दक्षिण भारत के बीच निकटता बढ़ने का एक कारण है।
(2) ‘मुम्मादी चोल मंडलम’ चोल साम्राज्य के किस प्रांत का नाम था ?
श्रीलंका के उत्तरी भाग का नाम ‘मुम्मादी चोल मंडलम’ था।
(3) चोल कालीन स्थापत्य कला के दो प्रमुख उदाहरण दीजिए।
चोल कालीन स्थापत्य कला के दो प्रमुख उदाहरण: –
चोल राजाओं ने बड़ी ही उदारता से धन और भूमि का दान मंदिरों के निर्माण के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए किया।
चोल कालीन जो मंदिर निर्माण हुए उन मंदिरों के दीवारों पर मूर्तियां और चित्रों को सजाया जाता था। इन चित्रों में पूजा भक्ति नृत्य राज दरबार संगीत इन चित्रों का समावेश किया जाता था।
(4) राष्ट्रकूट वंश के किन्हीं तीन शासकों के नाम बताइए।
कृष्ण प्रथम धारावाहिक कृष्ण द्वितीया यह राष्ट्रकूट वंश के तीन शासको के नाम है।
4.) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
(1) चोल प्रशासन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
कॉल राजा में जो राजा होता था वह मंत्री परिषद की सहायता से अपना राज्य चलता था लेकिन पूरी प्रशासनिक व्यवस्था में राजा ही सर्वोच्च शक्तिशाली होता था। चोल राजाओं ने प्रशासनिक सुविधा के हेतु अपना संपूर्ण राज्य को प्रांतों में विभक्त किया था और यही प्रांत जिलों में विभक्त किया थे। ग्राम को प्रशासन की सबसे छोटी इकाई कहा जाता था। इसमें ग्राम सभा का महत्व होता था। यह ग्राम सभाएं भी तीन भागों में विभक्त की गई थी। उर, सभा या महासभा और नगरम। गांव में प्रशासनिक सुविधा चलाने हेतु अनेक समितिययों का गठन किया था जो न्याय शिक्षा संचार साधन धार्मिक समारोह मंदिर और दान इनकी देखभाल किया करती थी।
अतिरिक्त प्रश्न
प्र.) 1 दिए गए प्रश्नों के उत्तर तीन से चार वाक्य में लिखो।
1.) पूर्व मध्यकाल में देश के उत्तर और दक्षिण भाग के राज्यों के बीच निकटता बढ़ गई थी इसके प्रमुख कारण कौन से थे?
ऐसा माना जाता है कि पूर्व मध्य काल में देश के उत्तरी और दक्षिणी भाग के राज्यों के बीच निकटता बढ़ गई थी इसके प्रमुख कारण थे कि दक्षिण भारत का जो उत्तरी भाग था उसे भाग के राज्यों ने अपने राज्य अधिकार को गंगा नदी की घाटी तक बढ़ाने का प्रयत्न किया था। इसके साथ-साथ दक्षिण भारत में शुरू धार्मिक आंदोलन थे वह अब उत्तर भारत में भी लोकप्रिय हो गए थे। दक्षिण भारत के विभिन्न शासको ने भेजो धार्मिक कर्मकांड करते थे उसके अध्ययन और अध्यापन के लिए उत्तर भारत का जो ब्राह्मण वर्ग था उसे दक्षिण भारत में बसने के लिए आमंत्रित किया था। इन सब बातों का परिणाम यह हुआ कि उत्तरी और दक्षिण भारत के राज्यों के बीच निकटता बढ़ गई।
2.) पल्लव वंश का अंत किस प्रकार हो गया?
कृष्णा नदी के दक्षिण प्रदेश में पल्लवन का उदय हुआ था। नरसिंह वर्मन प्रथम और नरसिंह वर्मन द्वितीय इस वंश के प्रतापी राजा हुए। राजा पुलकेशियन द्वितीय को नरसिंह वर्मन प्रथम ने युद्ध में पराजित कर दिया था। इसी के साथ-साथ उन्होंने कांचीपुरम को अपनी राजधानी बनाया। पल्लवों का संघर्ष चोल , पाण्डेय, चालुक्य और राष्ट्रकूट इन के साथ चलता रहा इसके अंतिम शासक अपराजिता वर्मन थे। इनको चोलो ने हराकर उनके राज्य पर अपना अधिकार जमा लिया। इस प्रकार पल्लव वंश का अंत हो गया।
3.) चेर राज्य के बारे में जानकारी लिखो।
चेर वंश की स्थापना बहुत ही प्राचीन काल में हुई थी। यह बात हमें अशोक के शिलालेखों के जरिए पता चलती है। इन के राज्य में मालाबार, त्रावणकोर, कोचीन सम्मिलित थे। यह राज्य बंदरगाह व्यापार के बड़े केंद्र थे। चेर वंश के वैवाहिक संबंध चोल वंश के साथ थे। लेकिन यह लोग अधिक समय तक शासन नहीं कर सके। आठवीं शताब्दी में पल्लव होने दसवीं शताब्दी में चोलो ने और तेरहवीं शताब्दी में पांडवों ने चैट राज्य पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था।
4.) चोल शासक राजेंद्र प्रथम के बारे में जानकारी लिखो।
राजेंद्र प्रथम यह राज्य राजराज प्रथम का पुत्र था। राजराज प्रथम के बाद राजेंद्र प्रथम गद्दी पर बैठा। उसने पूरे श्रीलंका को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके साथ-साथ उसने केरल और पाण्डेय राज्य पर पूर्ण अधिकार स्थापित कर दिया। पूर्व के पास राज्य में गंगा नदी तक अपना साम्राज्य बढ़ाया और गंगईकोंड यह उपाधि उसने धरण की। उसने बंगाल की खाड़ी पर भी विजय प्राप्त की थी। उसने सुमात्रा और मलय यह द्वीपों के लिए भी समुद्री अभियान भेजा यह उसकी एक महान सफलता थी।
5.)
प्र.) 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति करो।
1.) आठवीं शताब्दी में …………… भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बढ़ गया था।
आठवीं शताब्दी में दक्षिण भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बढ़ गया था।
2.) पल्लवो का शासन प्रबंध ………. था।
पल्लवो का शासन प्रबंध सुव्यवस्थित था।
3.) तैलप द्वितीय ने लगभग ………… वर्षों तक शासन चलाया।
तैलप द्वितीय ने लगभग चौबीस वर्षों तक शासन चलाया।
4.) पाण्डेय राजाओं द्वारा अनेक मंदिर बनवाए गए जिनमें …………… व ……………… के मंदिर प्रसिद्ध है।
पाण्डेय राजाओं द्वारा अनेक मंदिर बनवाए गए जिनमें श्रीरंगम व चिदंबरम के मंदिर प्रसिद्ध है।
5.) चोल साम्राज्य में जन जीवन बहुत ………… था।
चोल साम्राज्य में जन जीवन बहुत संपन्न था।
6.) आठवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक का काल दक्षिण भारत के इतिहास में …………… का काल रहा है।
आठवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक का काल दक्षिण भारत के इतिहास में नवजागरण का काल रहा है।
7.) तंजौर का ‘राजराजेश्वर’ मंदिर और ……………… में चोलों द्वारा अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया गया, जो स्थापत्य कला के अनुपम उदाहरण है।
तंजौर का ‘राजराजेश्वर’ मंदिर और ‘गंगईकोंड चोलपुरम’ में चोलों द्वारा अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया गया, जो स्थापत्य कला के अनुपम उदाहरण है।
प्र.) 3 एक एक वाक्य में उत्तर लिखो।
1.) चौथी शताब्दी में पल्लवन का उदय कौन से नदी के दक्षिण प्रदेश में हुआ?
चौथी शताब्दी में पल्लवन का उदय कृष्णा नदी के दक्षिण प्रदेश में हुआ।
2.) पल्लव राजा कौन से देवता के भक्त थे?
अधिकांश पल्लव राजा भगवान शिव के भक्त थे।
3.) राष्ट्रकूट वंश की नींव किसने डाली?
राष्ट्रकूट वंश की नींव चालुक्य राजा कीर्ति वर्मन के सामंत दंतिदुर्ग ने डाली थी।
4.) तैलप द्वितीय को कल्याणी के चालुक्य क्यों कहा जाता है?
चालुक्य शासक तैलप द्वितीय ने राष्ट्रकूट शासक कर्क द्वितीय को हराकर अपने राज्य की स्थापना कर ली थी और कल्याणी को अपनी राजधानी बनाया इसीलिए तैलप द्वितीय को कल्याणी के चालुक्य कहा जाता है।
5.) चोल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की थी।
6.) संत रामानुज ने कौन सा संदेश दिया?
संतरा मानुष दक्षिण के सुप्रसिद्ध व्यक्ति थे। उन्होंने पुजवा ज्ञान की अपेक्षा प्रेम और भक्ति के माध्यम से ईश्वर के प्रति का मार्ग बताया। उन्होंने जाति पार्टी उच्च नीच के भेद को दूर करने का प्रयास किया।
7.) चोल शासको के काल में कौन सी भाषाओं की उन्नति हुई?
चोल शासको के काल में संस्कृत और तमिल भाषा की उन्नति हुई।
8.) प्रसिद्ध ग्रंथ रामायण की रचना तमिल भाषा में किसने की थी?
प्रसिद्ध ग्रंथ रामायण की रचना तमिल भाषा में कंबन ने की थी।
प्र.) 4 राष्ट्रकूट शासन काल की विशेषताएं लिखो।
राष्ट्रकूट शासन काल की विशेषताएं: –
राष्ट्रकूट शासन काल में प्रशासनिक व्यवस्था में राजा सर्वोच्च अधिकारी होता था। राजा अपना शासन मंत्रियों की सहायता से चलता था।
राष्ट्रकूट के राजाओं ने शिक्षा और कल को संरक्षण दिया। इन्होंने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया। इसके साथ-साथ अपने देवताओं की भी विशाल प्रतिमाएं स्थापित की। अमोघ वर्ष प्रथम यह एक उच्च कोटि का लेखक था।
प्र.) 5 चालुक्य शासन काल के प्रमुख विशेषताएं लिखो।
चालुक्य राजा उदार और कला प्रेमी थे। उनके राज्य में सभी धर्म का आदर किया जाता था। इनकी ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी के प्रति आस्था थी। उन्होंने इस वजह से अलग-अलग मंदिर पर बनवाए थे। इन्होंने बड़े-बड़े चट्टानों को काटकर मंदिरों का निर्माण करवाया था। इसका महत्वपूर्ण उदाहरण है विरुपाक्ष का मंदिर। यह उसे कल का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण मंदिर था।
प्र.) 6 चोल प्रशासन की ग्राम सभा
चोल प्रशासन की ग्राम सभाएं तीन भागों में विभक्त की गई थी। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होते थे। इन में ग्राम सभाओं का महत्वपूर्ण योगदान योगदान होता था। यह ग्राम सभा है तीन भागों में विभक्त थी –
उर -यह ग्राम के आम लोगों की सभा होती थी।
सभा, महासभा -इस सभा या महासभा में विद्वान ब्राह्मण समाविष्ट होते थे
नगरम -इस नागरम में व्यापारी दुकानदार और शिल्पी प्रमुख रूप से समाविष्ट किए जाते थे।
Also See: Bharat aur Biswa