MP Board Class 10 Hindi Navneet Chapter शल्यचिकित्सक के प्रवर्तक – सुश्रुत Solution
Madhya Pradesh State Board Class 10 Hindi Navneet Chapter शल्यचिकित्सक के प्रवर्तक – सुश्रुत full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
शल्यचिकित्सक के प्रवर्तक – सुश्रुत
बोध प्रश्न
अभ्यास
1.) ‘सुश्रुत संहिता’ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
शल्य चिकित्सा दांत चिकित्सा और अस्थि चिकित्सा का वर्णन सुश्रुत संहिता इसमें मिलता है। इसमें कुल मिलाकर 101 यंत्रों का वर्णन है। इन यंत्रों के नाम है सिंहमुख, मक्रमुख, गृध्रमुख।सभी यंत्रों के नाम पशु पक्षियों के नाम पर लिखे गए हैं। मुद्रिका मंडलाय करपत्र ऐसे 20 यंत्रों के नाम और वर्णन भी इनमें है।इन्हें लड़कियों के डिब्बे में रखा जाता है ताकि इनमें जंग ना लगे यह अवतार सोने चांदी के बने हुए होते हैं। टांके लगाने के लिए एक विशेष प्रकार की सुई होती है।
2.)मानव शरीर के भीतरी अंगों की बनावट की जानकारी प्राप्त करने की सुश्रुतयुगीन पद्धति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
मानव शरीर के भीतरी अंगों की बनावट की जानकारी प्राप्त करने केलिएउन्होंने एक अनोखी विधि खोज कर निकली थी। वे लोग मृत्यु शरीर को एक भारी वस्तु से बांध देते थे। उसे शरीर को नहर में डाल देते थे। कई दिनों बाद उसे मृत शरीर की बाहरी त्वचा और ऊतक फूल जाते थे। इसके बाद उन्हें अलग कर दिया जाता। इस तरीके से मानव के शरीर के आंतरिक अंगों की रचना दिखाई देती थी। सुश्रुत संहिता में तरबूज ककड़ी करेला इन सब्जियों पर भी परीक्षण किया जाता था।
3.) सुश्रुत संहिता के अनुसार शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण किस प्रकार दिया जाता था ?
सुश्रुत संहिता में विभिन्न प्रकार के सब्जियों पर अभ्यास किया जाता था। अपने अभ्यास के लिए वह अलग-अलग फल और सब्जियों पर प्रयोग करते थे। इस चिकित्सा का प्रशिक्षण देने हेतु शिष्यों को पेड़ पौधों की लताएं, चिकनी मिट्टी, मलमल, कंदमूल फल फूल इसे बने मानव के पुतलों पर बहुत अभ्यास करना पड़ता था।इसी तरह से चमड़े पर तक किस तरह से लगाया जाता है यह भी उन्हें सिखाया जाता था।
4.)सुश्रुत को शल्य चिकित्सा के अतिरिक्त अन्य किन रोगों की महत्वपूर्ण जानकारी थी ?
हृदय रोग, विटामिन सी की कमतरता, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, एंजाइना, मधुमेह इन रोगों की जानकारी सुश्रुत को थी।
5.) सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की कौन-कौन सी विधियों का वर्णन किया गया है ?
सुश्रुत संहिता में सभी मिलकर 120 अध्याय है और इन सभी अध्यायों को 6 भागों में बांटा गया है।इसके साथ-साथ उसे सुश्रुत संहिता में शल्य यंत्रों का भी वर्णन है। कप स्थान शरीर स्थान निदान स्थान उनकी जानकारी सुश्रुत संहिता में दी गई है। जब कोई दुर्घटना होती है तब उसमें चोट लगती है या फिर आंतो फट जाते हैं यह एक दूसरे से किस तरह से जोड़े जाते हैं इसकी भी तकनीक सुश्रुत संहिता में है। इन सब की महत्वपूर्ण और विस्तृत जानकारी इसमें दी गई है। ऑपरेशन के बाद रोगी को क्या करना चाहिए आहार कौन सा लेना चाहिए कौन-कौन से औषधि उसको लेनी चाहिए यह सब बातें सुश्रुत संहिता में है।
6.)महर्षि सुश्रुत के विषय में आप क्या जानते है ? विस्तार पूर्वक लिखिए।
महर्षि सुश्रुत्व काशी के राजा के शिष्य थे। उनके पिता का नाम विश्व मित्र था। उनका जीवन गंगा नदी के तट पर बिता। प्राचीन काल में गंगा के किनारे एक आयुर्वेद की पाठशाला थी इस पाठशाला के आचार्य थे महर्षि सुश्रुत।महर्षि सुश्रुत ने मानव के शरीर का पूर्ण अभ्यास किया था। उन्होंने चिकित्सा के लिए नई-नई तकनीक का अवलंब किया। यह चिकित्सा विज्ञान केक्षेत्रमें बहुत आगे थे
7.)भारतीय चिकित्सा विज्ञान का ‘स्वर्णयुग’ किसे कहा जाता है और क्यों ?
तक्षशिला काशी और नालंदा यहां पर बड़े-बड़े विद्यालय द। इस विद्यालय में बहुत दूर-दूर से विद्यार्थी एट द। वह चिकित्सा विज्ञान में अपना अभ्यास करते और मानव कल्याण की प्रतिज्ञा करते।ई सन पूर्व 600 वर्ष से ई सनपूर्व 1000 यह योग विज्ञान का स्वर्ण युग माना जाता है। इस युग में चरक, वाग्भट, अत्रेय इनके जैसे चिकित्सक शास्त्रियों ने भारत में जन्म लिया।