MP Board Class 10 Hindi Navneet Chapter कल्याण की राह Solution
Madhya Pradesh State Board Class 10 Hindi Navneet Chapter कल्याण की राह full exercise question answers. Every questions answer is prepared by expert Hindi Navneet teacher.
कल्याण की राह
बोध प्रश्न-
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1.) चलने के पूर्व बटोही को क्या करना चाहिए ?
बटोही के चलने के पूर्व अपने बाट की मतलब मार्ग की अच्छी तरह से पहचान कर लेनी चाहिए।
2.) कवि के अनुसार व्यक्ति को किस रास्ते पर चलना चाहिए ?
व्यक्ति ने जो रास्ता अच्छी तरह से देख समझ लिया हो उसी रास्ते पर ही कवि के अनुसार व्यक्ति को चलना चाहिए।
3.) प्रत्येक सफल राहगीर क्या लेकर आगे बढ़ा है ?
प्रत्येक सफल राहगीर अपने साथ एक विश्वास को लेकर और एक उद्देश्य लेकर आगे बढ़ता है।
4.) नरेश मेहता अपनी कविता में किसके साथ चलने की बात कह रहे हैं ?
संघर्ष करते हुए सूरज के साथ-साथ चलने की बात नरेश मेहता अपने कविता में करते हैं।
5.) नदियाँ आगे चलकर किस रूप में परिवर्तित हो जाती है?
नदिया आगे चलकर समुद्र इस रूप में परिवर्तित हो जाती है।
6.) कवि ने रुकने को किसका प्रतीक माना है ?
रुकने को कवि ने मरण का प्रतीक माना है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.) कवि स्वप्न पर मुग्ध न होने की राय क्यों देता है ?
कभी कहते हैं कि कभी भी स्वप्न पर मुक्त नहीं होना चाहिए क्योंकि यही स्वप्न ऐसे होते हैं जो मनुष्य को सच्चाई से बहुत दूर ले जाते हैं। यह सपना मनुष्य को कहीं के नहीं रहने देते। मनुष्य हमें शाही इन सपनों के बारे में विचार करता रहता है और उसका जीवन उलट-पुलट हो जाता है।
2.) कवि ने जीवन पथ में क्या-क्या अनिश्चित माना है ?
कवि कहते हैं कि हमारे जीवन पथ पर हमें चलते-चलते कब कौन सा संकट आ जाए, किस जगह पर हमें गुफाएं, नदी मिल जाए, किस जगह पर बाग बगीचे या जंगल मिल जाए, कहां पर हमारी यात्रा खत्म हो जाए यह हमें नहीं पता। यह सब बातें अनिश्चित है।
3.) कवि के अनुसार जीवन पथ के यात्री को पथ की पहचान क्यों आवश्यक है ?
कवि हरिवंशराय बच्चन जी कहते हैं कि हमें अपने जीवन जीने का मार्ग सोच समझकर अपनाना चाहिए। हमें अपना जीवन जीते वक्त हमारा लक्ष्य तय करना चाहिए। उसे लक्ष्य को पाने के लिए जो भी मार्ग अपना ना पड़े उसे सही मार्ग को हमें अपनाना चाहिए। उसे मार्ग पर चलते वक्त हमें अपने आप में दृढ़ विश्वास रखना चाहिए। कभी-कभी हमारे हाथ में असफलता लग सकती है लेकिन इससे हमें डरना नहीं है।
4.) कवि के अनुसार क्षितिज के उस पार कौन बैठा है और क्यों ?
कभी कहते हैं की क्षितिज के उसे पर श्रृंगार करके लक्ष्मी जी बैठी हुई है। वह राह देख रही है कि कोई पुरुषार्थी आएगा और मेहनत और अपने परिश्रम से उन्हें प्राप्त कर लेगा।
5.) मानव जिस ओर गया, उधर क्या हुआ?
माधव जिस जिस जगह पर गया उसे जगह उसने अलग-अलग नगर बसाए और तीर्थ बन गए।
6.) ‘चरैवेति’ कविता में कवि ने लोगों को क्या-क्या सलाह दी है ?
‘चरैवेति’ कविता में कवि ने लोगों से यह कहते हैं कि जिस तरह दिन और रात चलते रहते हैं जिस तरह सूरज उगता है और उसका अस्त भी हो जाता है। इसी तरह हमें अपना जीवन हर वक्त चलना चाहिए हमें अपने जीवन में कभी भी रुकना नहीं चाहिए। मानव हमेशा चलता रहता है और उसी का परिणाम यह है कि उसने नगर और तीर्थ का निर्माण किया हुआ है। जब हम थम जाते हैं तब हमें मृत्यु आ जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
1.) कवि चलने के पूर्व बटरोही को किन-किन बातों के लिए आगाह कर रहा है ?
कभी बटोही से कहते हैं कि तुम चलना शुरू करने से पहले अपने मार्ग की अच्छी तरह से पहचान कर लो। तुम्हें अपने मार्ग का निर्माण खुद करना है। इस मार्ग पर कितने रही चले होंगे बहुतोंका तो कभी पता भी नहीं है। कुछ अनोखे रही ऐसे होंगे जिन्होंने अपने मार्ग का अपने पग चिन्हों का निर्माण किया है और लोग उनके राह पर चल रहे हैं।
2.) स्वप्न और यथार्थ में संतुलन किस तरह आवश्यक है ? स्पष्ट करें।
कभी कहते हैं कि जो स्वप्न तुम देखते हो उसे पर मुक्त मत हो जाना। जीवन में जो सच्चाई है उसे हमें अपना लेना चाहिए। स्वप्न देखना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन हमें सत्य को भी जान लेना चाहिए। व्यक्ति अपनी उम्र और समय के अनुसार सपने देखता ही रहता है लेकिन सपनों से जीवन नहीं चलता। जीवन चलने के लिए हमें सत्य का सहारा सत्य की ही मदद लेनी पड़ती है।
3.) ‘चरैवेति-जन गरबा’ कविता का मूल आशय क्या है ?
जैसे सूरज अपना कार्य करता है जैसे दिन रात हमेशा चलते ही रहते हैं इस तरह मानव को भी हमेशा गतिशील रहना चाहिए। मानव को हमेशा ही चलते रहना चाहिए। इसी मानव ने चलते-चलते अनेक नगरों का निर्माण किया है। जब वह मानव थम जाता है तब उसे मृत्यु आ जाती है। इसी लिए हमें हमेशा ही चलते रहना चाहिए।
4.) कवि युग के संग-संग चलने की सीख क्यों दे रहा है ?
कवि कहता है की व्यक्ति को हमेशा युग के साथ साथ चलना चाहिए। अपने आप में परिवर्तन नहीं कर सकता वह युग के साथ-साथ नहीं चल सकता। वह संसार के इस दौड़ में पीछे रह जाएगा। इसी वजह से हमें हमेशा ही अपने आप में परिवर्तन करना चाहिए और युग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।
5.) निम्नलिखित अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) ‘रास्ते का एक काँटा ………………….. सीख का अनुमान कर।’
कवि बच्चन जी हमसे यह कहते हैं कि हमें स्वर्ग के समान सपने आते हैं। यह सपने आने से हमारे पैरों को पंख लग जाते हैं। मतलब हम इन सपनों के ही बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन इन सपनों को देखते-देखते हमें सत्य कभी भूला नहीं चाहिए। क्योंकि रास्ते में अगर एक कांटा भी मिले तो वह अपने दिल को क्या देता है। और जब इस वजह से खून की दो बंदे गिरती है तो उसमें हमारी पूरी दुनिया डूब जाती है। हमारे आंखों के सामने कितने भी सपने आए हमें हमारे पर पृथ्वी पर ही हमेशा रखना चाहिए। हमें जीवन का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए। हमें जो भी लक्ष्य को प्राप्त करते वक्त शिक्षा मिल जाती है वह हमें हमेशा ही अपनानी चाहिए। जिस रास्ते पर हमें चलना है उसे रास्ते का ज्ञान हमें हमेशा ही होना चाहिए।
(ख) रुकने का मरण नाम ……………………… संग-संग चलते चलो।।
कवि नरेश मेहता कहते हैं कि जब हम निरंतर नदिया बहती रहती है उसी की वजह से सागर का निर्माण होता है। जब बादल घुमड़ घुमड़ कर गरजते रहते हैं उनकी वजह से ही धरती पर एन का निर्माण होता है। जब हम रुक जाते हैं तब हमें मृत्यु आ जाती है। इसीलिए हमेशा हमें गतिशील रहना चाहिए हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमें हमेशा ही समय के साथ-साथ युग के साथ-साथ चलते रहना है।
प्रश्न.) वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा किसी अन्य उदाहरण सहित समझाइए –
जब किसी जगह पर ध्वनि के द्वारा कथन में अलग सा अर्थ प्राप्त किया जाता है तब वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है।
कौन द्वार पर, राधे में हरि
क्या कहा यहाँ ? जाओ वन में।”
“कौन तुम ? मैं घनश्याम ।
तो बरसो कित जाय।। “