Letter to friend telling about the children begging on the street
नेहा
149, गांधी चमन
जालना।
१३ जानवरी, २०२२
प्रिय भक्ति!
ठीक हो?
आशा करती हूं तू खुशहाल होगी। मैं भी यहां आनंद में हूं।
कल हमारी पूरी कक्षा एक थान को भेंट देने के लिए गई थी। मैंने तुझे दिन भर याद किया। पूरा दिन हमने बहुत मजा किया लेकिन वहां मैंने देखा कि छोटा बच्चा मजदूरी कर रहा था। उधर सारे बच्चे कोई ना कोई काम कर रहा था। उनकी उम्र लगभग हमारे उम्र जैसे ही है। यार! उसका काम मेरे दिमाग में अभी भी घूम रहा है।
अरे! रास्ते में मैंने देखा कि अनेक बच्चे भीख मांगते हुए नजर आए। उनकी उम्र पढ़ने-लिखने की है। मुझे उन बच्चों पर दया आ रही है। अरे सरकार आना बच्चों के लिए सुविधा नहीं देती। क्या वह बच्चे आना थे? उनको मजबूरी क्यों करनी पड़ रही है? मुझे यह सब मेरे दिमाग में घूम रहा है।
अब जाने दे, मुझे अब काम है इसलिए मैं पत्र लिखना बंद कर रही हूं।
तेरी
नेहा