Letter to editor recommending reducing the burden of bags on school children
सेवा में,
संपादक महोदय,
लोकसत्ता,
औरंगाबाद।
विषय :- स्कूली बच्चों पर बस्तों का बोझ कम करने हेतु।
महोदय,
उपयुक्त विषय अनुसार में नई औरंगाबाद की रहिवासी हूं। मैं आप के लोकप्रिय समाचार पत्रों की नियमित पठन करती हूं। मेरे विचार पाठकों तक पहुंचाना चाहती हूं। आप मेरे इस विचार को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें। मैं आपकी आभारी रहूंगी।
आजकल पढ़ाई बहुत जरूरी हो गई है। इसलिए दिनों दिन पढ़ाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। बच्चे हलके और बसते से भारी होते जा रहे हैं। आप सारी शिक्षा पुस्तकीय हो गई है। अब शिक्षा में क्रीडा और क्रिया का स्थान घटता जा रहा है। अब जो हम छात्र 3 घंटों की परीक्षा को मान्यता और मूल्यवान कहा जा रहा है। हमारी परीक्षा की प्रणाली यह अच्छी नहीं रही है। बालक के मूल्यांकन में शारीरिक, क्रियाओं, खेला, सामाजिक संस्कृतियों, को शामिल करना चाहिए। पुस्तकों का ज्ञान 40% होना चाहिए। बच्चों का मन खेल और कृति की तरफ ज्यादा देना चाहिए। बच्चे ओझ लेकर जाकर जब घर वापस आते हैं तो वह थक जाते हैं उनकी इच्छा भी नहीं रहती की पढ़ाई करें। मेरी शिक्षा विभाग से विनंती है कि आप इस और अपना लक्ष्य केंद्रित करें। और बच्चों पर बस्तों का जो बोझ है इसे कम करवाऐ।
धन्यवाद।
भवदीय,
12 – रिया शर्मा
औरंगाबाद।
दिनांक :- 20 मार्च, 2022