JKBOSE Class 7 Hindi Chapter 13 दोहा एकादश Solution
JKBOSE (Jammu Kashmir State Board Of School Education) Class 7 Hindi Solution Chapter 13 दोहा एकादश all Exercise Question Answers. Students of JK Board Grade 7 Standard can download all Answer.
बोध और सराहना
1.) कबीर ने किसके हृदय में भगवान् को स्थित माना है ?
(क) जो पाप नहीं करता ।
(ख) जो बहुत कम झूठ बोलता है।
(ग) जो तप करता है।
(घ) जिसके ह्रदय में सचाई है।
उत्तर – (घ) जिसके ह्रदय में सचाई है।
2.) कवि ने अत्यधिक बोलना और अत्यधिक चुप रहना दोनों को ही त्याज्य क्यों बताया है ?
कभी कहते हैं कि हमें सोच समझ कर बोलना चाहिए जरूर से ज्यादा बोलना भी हमारे लिए घातक हो सकता है और कम बोलना भी हमारे लिए घातक साबित हो सकता है। जो सही है उसे वक्त जो जरूरी है हमें उतना ही बोलना चाहिए। बोलना एक अमूल्य वस्तु है।
3.) निम्नांकित कथनों के लिए लेखक ने क्या तर्क दिए हैं ?
(क) हे ईश्वर! मुझे इतनी ही संपत्ति दीजिए……….. |
(ख) अपने निन्दक को अपने समीप ही बनाए रखिए, क्योंकि
अपने निंदक को हमें हमारे पास रखने के लिए कभी कहते हैं क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के हमारे स्वभाव को निर्मल बना देता है। इसका मतलब है उसकी निंदा की वजह से हमें हमारे दोष पता चलते हैं और वह हम दूर करने के लिए कोशिश करते हैं।
(ग) साधु की जाति न पूछकर
कवि कहते हैं की शादी की हमें जादू नहीं पूछनी चाहिए इसके बदले हमें उसका ज्ञान पूछना चाहिए। और उनसे जितना ज्ञान हम ले सकते ना चाहिए इससे हमारे जीवन सुंदर बन सकता है।
(घ) माला के मनके को फिराना छोड़कर
कवि कहते हैं कि तुम जब से भगवान के नाम की माला जप रहे हो तब से पूरा एक युग बीत गया। इस वजह से तुम अपने मन से इस भ्रम को निकाल दो और हाथ के मनके को फेंक कर मन के मनके को फिर आओ।
4.) सोना, सज्जन, साधुजन, टूटि जुरै सौ बार ।
दुर्जन, कुंभ- कुम्हार के एके धका दरार ।।
उपर्युक्त दोहे में सज्जन को सोना और दुर्जन को कुम्हार का घड़ा क्यों कहा गया है ?
अगर सोना सज्जन साधु यह टूट भी जाते हैं तो वह फिर से एक हो जाते हैं फिर से जुड़ भी जाते हैं लेकिन दुर्जन कुमार के घड़े के समान होते हैं एक ही धक्के में उनमें ऐसी दरार पड़ जाती है कि वह फिर कभी नहीं जुड़ती। क्योंकि साधु सत्संग में बहुत सारा ज्ञान भरा हुआ होता है। वह अपने ज्ञान का बंटवारा करते हैं दूसरों का जीवन सवारते हैं। लेकिन दुर्जन इनका खुद का जीवन ही बिखरा हुआ होता है और जब यह दूसरों के जीवन में जाते हैं तो दूसरों का जीवन भी खराब कर देते हैं।
5.) ‘तिनका कबहूँ न निन्दिए’ दोहे में किस बात की ओर संकेत किया गया है?
‘ तिनका कबहूँ न निन्दिए’ दोहे मे कवि ने मनुष्य के घमंड और संकेत किया है। वह कहते हैं कि तीन के पैरों तले पड़े हुए होते हैं। इसलिए हमें उनकी निंदा नहीं करनी चाहिए। उनको कमी नहीं लिखना चाहिए। क्योंकि अगर वही दिन का आंखों में चला जाए तो बहुत पीड़ा होती है। इसका मतलब हमें किसी को भी काम नहीं आंकना चाहिए।
6.) निम्नलिखित से संबंधित दोहों का चयर करें :-
(क) आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।
काल्ह करे सो आज कर, आज करै सो अब्ब ।
पल में परलै होयगी, बहुरि करैगो कब्ब।।
(ख) कोई बात सोच-समझकर बोलनी चाहिए।
बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि ।
हिये तराजू तौलि के तब मुख बाहर आनि ।।
(ग) दूसरों के दोष देखने के बजाय अपना दोष देखना हितकर है।
दोस पराये देखि करि, चला हसंत- हसंत ।
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत ।।
(घ) दीन-हीन और निर्धन को अधिक दबाना नहीं चाहिए, क्योंकि किसी दिन • उसमें प्रतिहिंसा जाग सकती है और वह आपके लिए सिरदर्द बन सकता है।
तिनका कबहूँ न निन्दिए जो पायन तर होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परे पीर घनेरी होय ।।