Haryana Board (HBSE) Class 8 History Chapter 7 Solution – यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ. Here in this post we have provided Class 8 History यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Haryana State Board Solution. Haryana State Board History Class VIII Students can download this Solution to Solve out Exercise Questions and Answers. Here in below we have provide Important Inside Question answer from this Chapter.
Haryana State Board Class 8 History Chapter 7 यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Solution:
अध्याय 7 : यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तार वादी नीतियां।
प्रश्न 1.रिक्त स्थान भरो।
1.) मराठा शासक के प्रधानमंत्री को………कहा जाता था।
उत्तर पेशवा
2.) मैसूर राज्य पहले………साम्राज्य का एक अंग था।
उत्तर विजयनगर।
3.) हम ……….के नागरिकों को अंग्रेज कहते हैं।
उत्तर ब्रिटेन।
4.) सबसे पहले भारत छोड़कर जाने वाली यूरोपियन शक्ति………..थी ।
उत्तर डच
5.) झांसी को…………की नीति के अंतर्गत ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया ।
उत्तर लैप्स
प्रश्न 2.उचित मिलान करें।
1.बक्सर का युद्ध क) नाना फडणवीस
2.प्लासी की लड़ाई ख) मीर कासिम
3.मराठा सरदार ग) वाडियार
4.मैसूर का राजवंश घ) वांडीवाश
5.निर्णायक फ्रांसीसी हार च) सिराजुद्दौला
उत्तर:1. ख 2. च 3. क 4. ग 5. घ
प्रश्न 3 आओ विचार करें।
1.) यूरोपीय शक्तियों के आगमन से पहले भारत के विदेशी व्यापार की क्या हालत थी?
उत्तर: यूरोपीय देश भारत में आने से पहले भारतीय सामान लाल सागर और भूमध्य सागर के मार्ग में से लाया जाता था। कुछ व्यापार स्थल मार्गो से होता था जो ईरान और अफगानिस्तान से गुजरता था। उस समय भारतीय व्यापार पर और अब व्यापारियों का एकाधिकार था। आ 15 वी शताब्दी में पश्चिम एशिया पूर्व यूरोप तथा मिश्र पर तुर्को ने अधिकार कर लिया। उस समय भारतीय व्यापार में बाधाएं उत्पन् होनी शुरू हो गई। इस प्रकार से प्रचलित व्यापार मार्ग बंद हो गया। इसी वजह से भारतीयों को नए राष्ट्र की तलाश करनी पड़ी।
2.) यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरंभ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने के पीछे क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर: अधिक से अधिक मुनाफा कमाना, क्षेत्रीय विभाग विस्तार में सेना द्वारा आसानी से हमला कर पाना, अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण करना ,अपने विरोधियों को खत्म करना, समुद्री व्यापार पर एकाधिकार करना इसी वजह से यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरंभ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने लगे थे।
3.) भारतीय शासक संख्या बल और स्थानीय परिवेश से परिचित होने के बावजूद भी यूरोपीय शक्तियों के विरुद्ध सफल नहीं है कारणों पर चर्चा करें।
उत्तर: भारतीय शासकों के शासकों के बीच आपसी मतभेद एवं फूट होती थी। अच्छी युद्ध रणनीति का ना होना। और अपने द्वारा धोखा दिया जाना इन कारणों की वजह से भारतीय शासक संख्या बल और स्थानीय परिवेश से परिचित होने के बावजूद भी यूरोपीय शक्तियों उसके विरुद्ध सफल नहीं हो पाए ।
4.) अंग्रेजों एवं मराठों के मध्य हुए युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर: दक्षिण भारत में मराठी एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उन्हें तथा दूसरी तरफ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी यूरोपीय शक्तियों में सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरी। सत्ता प्राप्त करने के लिए अंग्रेज और मराठों में 3 बड़े युद्ध लड़े गए।
पहला युद्ध लगभग 7 साल चला लेकिन बिना फैसले के समाप्त हो गया।
दूसरा युद्ध। अंग्रेजों की कूटनीति के कारण इस युद्ध में पहले पेशवा और उसके बाद सिंधिया, होलकर, गायकवाड और भोंसले सभी पराजित हुए। और भारत के बड़े भूभाग पर कंपनी का विस्तार हुआ।
तीसरा युद्ध। इस युद्ध में भी मराठी पराजित हुए। puna का बड़ा राज्य भी अंग्रेजी साम्राज्य में मिला दिया गया और छोटी-छोटी रियासतें कंपनी के अधीन हो गई।
5.) भारत के इतिहास में प्राचीन लड़ाई और बक्सर के युद्ध का महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बंगाल के नवयुवकों नवाब सिराजुद्दौला के बीच बंगाल के प्लासी नामक स्थान पर अंग्रेजों के साथ उसकी लड़ाई हुई। इस युद्ध में नवाब हारा परंतु दुर्बलता के कारण नहीं अंग्रेजों की कूटनीति के कारण। बाद में आमिर जाफर बंगाल का नवाब बना। परंतु अंग्रेजों ने इस बार भी अपने षड्यंत्र से उसे गद्दी से उतार कर मीर कासिम को गद्दी पर बिठाया। उसके बाद मीर कासिम, सिराजुद्दौला और मुगल सम्राट तीनों ने मिलकर कंपनी की सेना के साथ युद्ध लड़ा। इसे बक्सर के युद्ध कहा जाता है। बक्सर के युद्ध में तीनों सेनाओं का पराजय हुआ। और अंग्रेजों ने बंगाल, बिहार,उड़ीसा इन तीनों पर एक साथ अधिकार प्राप्त किया। अधिकार प्राप्त करने के बाद अंग्रेजों ने अपना विस्तार धीरे-धीरे पूरे भारत में गया।
For more chapters solution : ⇓
- Chapter 1 मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध
- Chapter 2 सिक्ख गुरु परंपरा
- Chapter 3 राष्ट्रीय भक्ति आंदोलन
- Chapter 4 छत्रपति शिवाजी एवं पेशवा
- Chapter 5 सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध
- Chapter 6 अठारहवीं सदी का भारत
- Chapter 8 कम्पनी की शोषणकारी नीतियाँ व उनका विरोध
- Chapter 9 1857 ई. की महान क्रांति